नमस्कार, आज हम इस article का शीर्षक है, Mahatma Gandhi Quotes in Hindi, तो इसमें हम महात्मा गाँधी जी के 250 से भी ज्यादा Quotes (विचारों) को जानेंगे. हमने आपके लिए बहुत से Quotes को उनके अंग्रेजी अनुवाद के साथ लिखा है और कुछ Quotes को हमने केवल हिन्दी में ही बाद में दर्शाया है.
Mahatma Gandhi जी के बारे में संक्षेप में
महात्मा गाँधी जी का चित्र (Portrait of Mahatma Gandhi Ji)
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करम चाँद गाँधी था. उनका जनम 2 अक्तूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था. उनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी था और माता जी का नाम पुतलीबाई था. वे पेशे से एक वकील थे. उनके बारे में विस्तार से यहाँ से जाने: महात्मा गांधी – विकिपीडिया
Mahatma Gandhi Quotes in Hindi with English Quotes
तो ये रहे महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) के वे quotes जिनका अंग्रेजी Quote (English Quote) भी साथ में दिया गया है. तो इस तरह आप महात्मा गाँधी के बारे में अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में भी बहुत कुछ जान सकते हैं. (Mahatma Gandhi in Hindi)
नीचे दिए गए, Table of Contents को इस blog post को आसानी से browse करने के लिए use कीजिये.
Contents
- 1 Mahatma Gandhi Quotes in Hindi with English Quotes
- 2 Special Category Wise Mahatma Gandhi Quotes in Hindi
- 2.1 विभिन विषयों पर अनमोल विचार
- 2.2 दोष स्वयं में देखें
- 2.3 प्रेम : एक सुखद अनुभव
- 2.4 सर्वधर्म समान
- 2.5 धर्म
- 2.6 विचार
- 2.7 ज्ञान और शांति
- 2.8 गरीबी/छुआछूत
- 2.9 प्रतिभा/कला
- 2.10 सच्ची परीक्षा
- 2.11 स्त्री जाति
- 2.12 कवि और साहित्य
- 2.13 जीवन उपयोगी वाणी
- 2.14 स्वराज्य
- 2.15 अहिंसा
- 2.16 सत्य
- 2.17 विश्वास
- 2.18 सेवा
- 2.19 Related Posts:
Nobody can hurt me without my permission.
कोई भी बिना मेरी आज्ञा के मुझे दुःख नहीं पहुंचा सकता.
Strength does not come from physical capacity. It comes from an indomitable will.
शक्ति शारीरिक बल से नहीं आती. यह तो अदम्य इच्छा से आती है.
You must not lose faith in humanity. Humanity is an ocean; if a few drops of the ocean are dirty, the ocean does not become dirty.
आपको इंसानियत से अपना भरोसा हटाना नहीं चाहिए. इंसानियत एक सागर है; यदि किसी एक सागर की कुछ बूँदें गंदी हैं, तो सागर गंदा नहीं हो जाता.
You must be the change you wish to see in the world.
आप वह बदलाव होने चाहिए जो कि आप इस संसार में देखना चाहते हैं.
The best way to find yourself is to lose yourself in the service of others.
अपने आप को ढूँढने का सबसे बढ़िया तरीका अपने आप को दूसरों की सेवा करने में खो देता है.
First they ignore you, then they laugh at you, then they fight you, then you win.
पहले वे आप को नज़र अंदाज करेंगे, फिर वे आप पर हँसेंगे, फिर वह आपके साथ लड़ेंगे, फिर आप जीत जायेंगे.
An eye for eye only ends up making the whole world blind.
एक आँख के लिए आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है.
Happiness is when what you think, what you say, and what you do are in harmony.
खुशियाँ तब होती हैं जब जो आप सोचते हैं, जो आप बोलते हैं और जो आप करते हैं, ये सब सामंजस्य होते हैं.
The weak can never forgive. Forgiveness is the attribute of the strong.
कमज़ोर कभी भूल नहीं सकता. भूल जाना बलवान का गुण होता है.
Live as if you were to die tomorrow; learn as if you were to live forever.
ऐसे जीओ जैसे कल तुमने मर जाना था, सीखो ऐसे जैसे तुमने हमेशा के लिए जीना हो.
My life is my message.
मेरा जीवन मेरा सन्देश है.
Where there is love there is life.
जहाँ कहीं भी प्यार होता है, वहां जीवन होता है.
When I admire the wonders of a sunset or the beauty of the moon, my soul expands in the worship of the creator.
जब मैं सूर्यास्त या चंद्रमा की सुन्दरता की प्रशंसा करता हूँ, मेरी आत्मा इन सबको बनाने वाले की पूजा में फ़ैल जाती है.
It is health that is real wealth and not pieces of gold and silver.
वह सेहत है जो असली दौलत है ना कि सोने और चाँदी के टुकड़े.
It may be possible to gild pure gold, but who can make his mother more beautiful?
शुद्ध सोने को चमकाना संभव हो सकता है, पर कौन अपनी माँ को सुन्दर बना सकता है?
Non-violence is the greatest force at the disposal of mankind. It is mightier than the mightiest weapon of destruction devised by the ingenuity of man.
मनुष्यता को नष्ट करने के लिए सबसे बड़ी शक्ति हिंसा है. यह इंसान के द्वारा तैयार किए गये खतरनाक से खतरनाक हथियार से भी खतरनाक है.
A nation’s culture resides in the hearts and in the soul of its people.
किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्मा में बस्ती है.
Prayer is the key of the morning and the bolt of the evening.
प्रार्थना सुबह की चाबी है और संध्या की पेंच है.
You can chain me, you can torture me, you can even destroy this body, but you will never imprison my mind.
तुम मुझे जंजीरों में बाँध सकते हो, तुम मुझ पर अत्याचार कर सकते हो, यहाँ तक कि तुम इस शरीर को नष्ट कर सकती हो, पर तुम मेरे मन को कभी भी काबू में नहीं कर सकते.
There is more to life than increasing its speed.
जीवन की गति बढ़ाने की अपेक्षा जीवन में बहुत कुछ है.
There is a sufficiency in the world for man’s need but not for man’s greed.
इंसान की जरूरत को पूरा करने के लिए दुनिया में काफी कुछ है पर इंसान की लालच को संतुष्ट करने के लिए नहीं.
There is a higher court than courts of justice and that is the court of conscience. It supersedes all other courts.
न्याय के कोर्ट से भी बढ़कर एक कोर्ट है, अंतरात्मा की आवाज. यह सभी कोर्टों को प्रतिस्थापित कर सकती है.
The greatness of a nation can be judged by the way its animals are treated.
किसी राष्ट्र की महानता इस चीज़ से देखी जा सकती है के वहां जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है.
Anger and intolerance are the enemies of correct understanding.
गुस्सा और असहिष्णुता समझदारी के सच्चे दुश्मन है.
I object to violence because when it appears to do good, the good is only temporary; the evil it does is permanent.
मैं अहिंसा का विरोध करता हूँ क्योंकि जब ये अच्छी लगती है तो इसके द्वारा किया गया अच्छापन अस्थायी होता हिल परन्तु जो इससे बुराई होती है वह स्थायी होती है.
An ounce of practice is worth more than tons of preaching.
एक औंस अभ्यास उपदेश से टनों बेहतर होता है.
Those who know how to think need no teachers.
जिनको पता है कि कैसे सोचना है, उन्हें गुरु की जरूरत नहीं.
A man is but the product of his thoughts what he thinks, he becomes.
इंसान और कुछ भी नहीं बस अपने विचारों का उत्पाद है, जो वह सोचता है वो बन जाता है.
Poverty is the worst form of violence.
हिंसा का सबसे बुरा रूप गरीबी है.
In a gentle way, you can shake the world.
सज्जन तरीके से आप दुनिया को हिला सकते हैं.
Action expresses priorities.
प्रक्रिया प्राथमिकताओं को व्यक्त करती है।
Fear has its use but cowardice has none.
दर का अपना इस्तेमाल होता है परन्तु कायरता का नहीं.
Honest disagreement is often a good sign of progress.
ईमानदार असहमति अकसर उन्नति का एक अच्छा लक्षण होती है.
If I had no sense of humour, I would long ago have committed suicide.
यदि मेरे में हँसोड़पन – भावना न होती तो मैंने कब कि आत्महत्या कर ली होती.
List of More Mahatma Gandhi Quotes in Hindi
विचार 1. हर रात, जब मैं सोने जाता हूँ, मैं मर जाता हूँ। और अगली सुबह, जब मैं उठता हूँ, मेरा पुनर्जन्म होता है।
विचार 2. हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा।
विचार 3. अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना।
विचार 4. विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए. जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है।
विचार 5. भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है।
विचार 6. हम जो दुनिया के जंगलों के साथ कर रहे हैं वो कुछ और नहीं बस उस चीज का प्रतिबिम्ब है जो हम अपने साथ और एक दूसरे के साथ कर रहे हैं।
विचार 7. एक कृत्य द्वारा किसी एक दिल को ख़ुशी देना, प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है।
विचार 8. हो सकता है आप कभी ना जान सकें कि आपके काम का क्या परिणाम हुआ, लेकिन यदि आप कुछ करेंगे नहीं तो कोई परिणाम नहीं होगा।
विचार 9. पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।
विचार 10. अहिंसात्मक युद्ध में अगर थोड़े भी मर मिटने वाले लड़ाके मिलेंगे तो वे करोड़ो की लाज रखेंगे और उनमे प्राण फूकेंगे। अगर यह मेरा स्वप्न है, तो भी यह मेरे लिए मधुर है।
विचार 11. मै हिंदी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता, किन्तु उनके साथ हिंदी को भी मिला देना चाहता हूं।
विचार 12. शांति का कोई रास्ता नहीं है, केवल शांति है।
विचार 13. भविष्य में क्या होगा, मै यह नहीं सोचना चाहता। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।
विचार 14. श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास।
विचार 15. प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है।
विचार 16. सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं।
विचार 17. विश्व इतिहास में आजादी के लिए लोकतान्त्रिक संघर्ष हमसे ज्यादा वास्तविक किसी का नहीं रहा है। मैने जिस लोकतंत्र की कल्पना की है, उसकी स्थापना अहिंसा से होगी। उसमे सभी को समान स्वतंत्रता मिलेगी। हर व्यक्ति खुद का मालिक होगा।
विचार 18. सात घनघोर पाप: काम के बिना धन;अंतरात्मा के बिना सुख;मानवता के बिना विज्ञान;चरित्र के बिना ज्ञान;सिद्धांत के बिना राजनीति;नैतिकता के बिना व्यापार ;त्याग के बिना पूजा।
विचार 19. व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं अपितु उसके चरित्र से आंकी जाती है।
विचार 20. जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा।
विचार 21. प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है।
विचार 22. मैं किसी को भी गंदे पाँव के साथ अपने मन से नहीं गुजरने दूंगा।
विचार 23. प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है।
विचार 24. प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।
विचार 25. सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमें अनेक फल आते हुए नजर आते है, उनका अंत ही नहीं होता।
विचार 26. आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
विचार 27. राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।
विचार 28. मृत, अनाथ, और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह तबाही सर्वाधिकार या फिर स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम पर लायी जाती है?
विचार 29. विश्व के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों, लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
विचार 30. जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता। दुःख के बिना सुख नहीं होता।
विचार 31. मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ।
विचार 32. कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा।
विचार 33. अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है।
विचार 34. कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है।
विचार 35. निरंतर विकास जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पंहुचा देता है।
विचार 36. दुनिया में ऐसे लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता सिवाय रोटी के रूप में।
विचार 37. चिंता से अधिक कुछ और शरीर को इतना बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोडा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए।
विचार 38. पूर्ण धारणा के साथ बोला गया “नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है।
विचार 39. मैं सभी की समानता में विश्वास रखता हूँ, सिवाय पत्रकारों और फोटोग्राफरों के।
विचार 40. यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।
विचार 41. पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं।
विचार 42. कुछ करने में, या तो उसे प्रेम से करें या उसे कभी करें ही नहीं।
विचार 43. गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है।
विचार 44. सत्य एक है, मार्ग कई।
विचार 45. अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है।
विचार 46. पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
विचार 47. हम जिसकी पूजा करते है उसी के समान हो जाते है।
विचार 48. गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किये गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में।
विचार 49. शारीरिक उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न हो तो वह दम्भपूर्ण और हानिकारक हो सकता है।
विचार 50. काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।
विचार 51. आदमी अक्सर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं फ़लां चीज नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं। इसके विपरीत, अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूँगा, भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो।
विचार 52. लम्बे-लम्बे भाषणों से कही अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना।
विचार 53. चलिए सुबह का पहला काम ये करें कि इस दिन के लिए संकल्प करें कि- मैं दुनिया में किसी से डरूंगा। नहीं.-मैं केवल भगवान से डरूं। मैं किसी के प्रति बुरा भाव ना रखूं। मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं। मैं असत्य को सत्य से जीतुं। और असत्य का विरोध करते हुए, मैं सभी कष्टों को सह सकूँ।
विचार 54. जो भी चाहे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुन सकता है। वह सबके भीतर है।
विचार 55. अपनी बुद्धिमता को लेकर बेहद निश्चित होना बुद्धिमानी नहीं है। यह याद रखना चाहिए की ताकतवर भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान से भी बुद्धिमान गलती कर सकता है।
विचार 56. भगवान का कोई धर्म नहीं है।
विचार 57. समाज में से धर्म को निकाल फेंकने का प्रयत्न बांझ के पुत्र करने जितना ही निष्फल है और अगर कहीं सफल हो जाय तो समाज का उसमे नाश होता है।
विचार 58. मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।
विचार 59. गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुशी बिखेरता है। उसकी खुशबु ही उसका संदेश है।
विचार 60. जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है।
विचार 61. जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो, उसे प्रेम से जीतें।
विचार 62. केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़के तो उसकी कुछ बुंदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती है।
विचार 63. तुम जो भी करोगे वो नगण्य होगा, लेकिन यह ज़रूरी है कि तुम वो करो।
विचार 64. सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।
विचार 65. अपने ज्ञान के प्रति ज़रुरत से अधिक यकीन करना मूर्खता है। यह याद दिलाना ठीक होगा कि सबसे मजबूत कमजोर हो सकता है और सबसे बुद्धिमान गलती कर सकता है।
विचार 66. आपकी मान्यताएं आपके विचार बन जाते हैं,आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं,आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं,आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं,आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य आपकी नियति बन जाती है।
विचार 67. जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रति प्रेम पर हावी हो जायेगी, दुनिया में अमन आ जायेगा।
विचार 68. जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है।
विचार 69. कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।
मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।
विचार 70. मैं तुम्हे शांति का प्रस्ताव देता हूँ. मैं तुम्हे प्रेम का प्रस्ताव देता हूँ. मैं तुम्हारी सुन्दरता देखता हूँ.मैं तुम्हारी आवश्यकता सुनता हूँ.मैं तुम्हारी भावना महसूस करता हूँ।
विचार 71. हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है।
विचार 72. कोई भी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती यदि वह अपने को हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते।
विचार 73. सत्य कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो उचित हो।
विचार 74. अक्लमंद काम करने से पहले सोचता है और मूर्ख काम करने के बाद।
विचार 75. चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए।
विचार 76. जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
विचार 77. वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है।
विचार 78. कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना।
विचार 79. किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।
विचार 80. आप तब तक यह नहीं समझ पाते की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते।
Special Category Wise Mahatma Gandhi Quotes in Hindi
विभिन विषयों पर अनमोल विचार
- राष्ट्रों की प्रगति क्रमिक विकास और क्रांति दोनों तरीकों से हुई है । क्रमिक विकास और क्रांति दोनों ही समान रूप से जरूरी हैं ।
- प्रेम की शक्ति दंड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती
- आनंद का रहस्य ही त्याग में है ।
- बिना अवसर के बोलना निरर्थक है ।
- आत्मा को जान लेने पर मनुष्य मृत्यु से नहीं डरता ।
- शस्त्रधारी निरस्त होकर दीन बन जाता है, परंतु सत्याग्रही कभी दीन बनता ही नहीं । वह नश्वर शरीर या शरीर के शस्त्रों पर भरोसा ही नहीं रखता । वह अजेय, अमर और अविनाशी आत्मा के बल पर युद्ध करता है ।
- डरना और डराना दोनों पाप हैं ।
- जीवन में सबसे बड़ी कला तपस्या है ।
- कवि के अर्थ का उग्त ही नहीं है ।
- कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है ।
- चोरी का धन कच्चे पारे के समान है ।
- चरित्र दृष्टि ठोस शिक्षा की बुनियाद है ।
- सीधा रास्ता जैस । सरल है वैसा ही कठिन है ।
- अग्नि कहने मात्र से कोई नहीं जल जाता, भेद जाने बिना राम कहने से क्या लाभ ।
- मनुष्य स्वयं अपना शत्रु है और वह चाहे तो अपना मित्र भी बन सकता है ।
- नम्रता का अर्थ है उग्ह भाव का अत्यधिक क्षय ।
- बुराई से असहयोग करना मानव का पवित्र कर्तव्य है ।
- आराधना भक्ति है । वह मरकर जीने का मंत्र है ।
- धन खाद की तरह है, जब तक फैलाया न जाए, तब तक कम उपयोगी होता
- हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है, मेरे मन की ही नहीं, तुम्हारे मन की भी ।
- लगन के बिना किसी में भी महान प्रतिभा पैदा नहीं हो सकती ।
- परस्पर विरोधी बातों में एकता कराने से बढ्कर दुष्कर कार्य कोई नहीं ।
- विचार शून्य जीवन पशु जैसा है ।
- गलती स्वीकार कर लेना झाडू बुहारने के समान है, जिससे गंदगी साफ हो जाती है ।
- चित्त की अशांति में जो राम-नाम का आश्रय लेता है, वह जीत जाता है ।
- शुद्ध हृदय से निकला हुआ वचन कभी निष्फल नहीं होता ।
- शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं उपलब्ध होती, वह अजेय संकल्प से उत्पन्न होती है ।
- यदि आदमी सीखना चाहे तो उसकी हरेक भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है ।
- जो जैसी संगति करता है, वह वैसा ही फल पाता है ।
- जो न्याय का सच्चा पालन करने वाला होगा, वही सत्याग्रही हो सकेगा ।
- शारीरिक श्रम करने वाला मेहनती, ईमानदार तथा चरित्रवान होता है ।
- तेरी बुद्धि और तेरे हृदय को जो सत्य लगे, वह तेरा कर्तव्य है ।
- जो व्यक्ति आधुनिक सभ्यता के उरावरण में अपनी उपावश्यकताएं बढ़ाते जाते हैं और स्वयं शारीरिक श्रम नहीं करते, वे गरीबों का शोषण करते हैं ।
- पवित्र साधनों तप, सत्य, आचरण से अर्जित संपत्ति ही सुखकारी होती है । झूठ, फरेब तथा कुटिलता से अर्जित धन जहां लगाया जाता है, वह उसे विनष्ट कर डालता है ।
- रोटी की सुधा बौद्धिक श्रम नहीं हो सकता । मनु को दो प्रकार की क्षुधा होती है, शारीरिक और मानसिक । जिस तरह मानसिक सुधा के लिए लौकिक कार्य किए जाते हैं, शरीर की सुधा रोटी है, शरीर की उसवश्यकता शरीर द्वारा ही पूरी करनी चाहिए ।
- जीवन में सुख की अपेक्षा दुख ही अधिक हैं, इसमें संदेह नहीं ।
- कानों के दुरुपयोग से मन बहुत अशांत और कुलपित हो जाता है, लेकिन कान इसका अनुभव नहीं कर पाते ।
- शरीर उरात्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसा पवित्र है ।
- जहां देह वहां कर्म तो है ही, उससे कोई मुक्त नहीं है । फिर भी शरीर को प्रभु मंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए ।
- जो व्यवहार तत्त्व के निकट नहीं जाता, वह अशुद्ध और त्याज्य है ।
- डरने वाला व्यक्ति स्वयं ही डरता है । उसे कोई डराता नहीं ।
- सात पाप : सिद्धांत रहित राजनीति, श्रम रहित धन, अंतरात्मा -रहित मौज, चरित्र रहित ज्ञान, नैतिकता रहित व्यापार, मानवता रहित विज्ञान, त्याग रहित पूजा
- मेरा यह कहना नहीं कि हम शेष दुनिया से बचकर रहें या अपने चारों तरफ दीवारें खड़ी कर लें,.. .लेकिन मैं यह जरूर कहता हूं कि पहले हम अपनी संस्कृति का सम्मान करना सीखें और उसे आत्मसात करें ।.. .मेरी यह दृढ़ मान्यता है कि हमारी संस्कृति में जैसी मूल्यवान निधियां हैं वैसी किसी दूसरी संस्कृति में नहीं, हमने उसे पहचाना नहीं । हमें तो उसका तिरस्कार करना, उसके गुणों की कीमत कम करना ही सिखाया गया है । अपने उगचरण में उसका व्यवहार करना तो हमने लगभग छोड़ ही दिया है । उराचार के बिना कोरा बौद्धिक ज्ञान उस निर्जीव देह की तरह है जिसे मसाला भरकर रखा जाता है.. .मेरा धर्म मुझे आदेश देता है कि मैं अपनी संस्कृति सीखूं ग्रहण करूं और उसके अनुसार चलूं । अपनी संस्कृति से कटकर हम एक समाज के रूप में मानो आत्महत्या कर लेंगे, किंतु साथ ही वह मुझे दूसरों की संस्कृतियों का अनादर करने या उन्हें तुच्छ समझने से भी रोकता है ।
- उगवेश और क्रोध को वश में कर लेने से शक्ति बढ़ती है । उगवेश को आत्म बल में रूपांतरित किया जा सकता है ।
- मनुष्य जीवन का उद्देश्य आत्मदर्शन है उसकी सिद्धि का एकमात्र उपाय परमार्थिक भाव से जीव मात्र की सेवा करना है ।
- सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, वह तो हमारे ही अंदर मौजूद है, मगर अहंकर छोड़े बगैर उनकी प्राप्ति नहीं होने वाली ।
- उगप कायरता से मरें, इसकी अपेक्षा बहादुरी से प्रहार करते हुए मरना कहीं बेहतर है ।
- जैसे बिंदु का समुदाय समुद्र है, इसी तरह हम मैत्री करके सागर बन सकते हैं । जगत में सब एक-दूसरे के साथ मित्र भाव से रहें तो जगत का रूप ही बदल जाए ।
- प्रत्येक मातृभाषा का अनादर मां के अनादर के बराबर है, जो मातृभाषा का अपमान करता है वह देशभक्त कहलाने लायक नहीं ।
- जो आदमी अपने काम में रम जाता है, उसे वह बोझ या नुकसान नहीं मालूम होता । जिसे काम से प्रेम नहीं, उसे थोड़ा-सा काम भी अधिक मालूम होता है, जैसे कैदियों को एक दिन वर्ष की तरह मालूम होता है ।
- जिस समय मनुष्य कामांध हो जाता है, उस समय उसे इस बात का बिल्कुल ध्यान नहीं रहता कि स्त्री की शक्ति कितनी अधिक अशक्त है और उसमें प्रजोत्पादन का भार उठाने तथा बालकों का पालन-पोषण करने की शक्ति कितनी कम है ।
- अपने देश या अपने शासक के दोषों के प्रति सहानुभूति रखना या उन्हें छिपाना देशभक्ति के नाम पर लजाना है । इसके विपरीत देश के दोषों का विरोध करना सच्ची देशभक्ति है ।
- आइघ का उल्लंघन केवल तभी सद्गुण हो सकता है, जब वह किसी अधिक ऊंचे उद्देश्य के लिए किया जाए और उसमें कटुता, द्वेष या क्रोध न हो ।
दोष स्वयं में देखें
- अपने दोष हम देखना नहीं चाहते हैं, दूसरों के देखने में हमें मजा उगता है । बहुत सारे दुख तो इसी आदत से पैदा होते हैं ।
- जो उगदमी अपनी प्रशंसा के भूखे होते है, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है । जिनमें योग्यता होती है उसका ध्यान उधर नहीं जाता ।
- ‘सस्ते से सस्ता खरीदना और महंगे से महंगा बेचना’ इस नियम के बराबर मनुष्य के लिए कलंकरूपी दूसरी कोई बात नहीं है ।
- दूसरों को डाला अंकुशा गिराने वाला है और अपना बनाया उरंकुश उत्थानकारी है ।
- यदि शारीरिक उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न हो तो यह दम्भपूर्ण और हानिकारक हो सकता है ।
- धर्म कुछ संकुचित संप्रदाय नहीं है, केवल बाह्याचार नहीं है बल्कि विशाल व्यापक धर्म है ईश्वरत्व के बारे में हमारी अचल श्रद्धा, पुनर्जन्म में विश्वास और अहिंसा के प्रति सम्मान ।
- अंधा वह नहीं, जिसकी आख नहीं है । अंधा वह है, जो अपना दोष छिपाता है ।
- गुलामों की अपेक्षा उन पर अत्याचार करने वाले की हालत ज्यादा खराब होती है ।
- दूसरे के दोष पर ध्यान देते समय हम स्वयं बहुत भोले बन जाते हैं, परंतु जब हम उरपने दोषों पर ध्यान देंगे, तो उरपने को कुटिल और कामी पाएंगे ।
- अगर हम संसद की ब्रिटिश प्रणाली की नकल करेंगे, तो ऐसी वेश्या को अपनाएंगे जो खरीदी और बेची जाएगी ।
प्रेम : एक सुखद अनुभव
- देश से ही नहीं, बल्कि जो दिल से भी गुलाम हो गए हैं, वे कभी उगजादी हासिल नहीं कर सकते । जीवन का सच्चा ध्येय जीवन की सार्थकता है ।
- प्रेम कभी दावा नहीं करता, वह हमेशा देता है, प्रेम हमेशा कष्ट सहता है, न कभी झुंझलाता है न बदला लेता है ।
- पूणा सदा घातक होती है, प्रेम अमर होता है । मनुष्य का कर्तव्य है कि पूणा को मिटाए और प्रेम को बढ़ाए ।
- देश प्रेम से बढ्कर कोई सेवा नहीं है ।
- जहां प्रेम है, वहां जीवन है, जहां पूणा है वहां विनाश है ।
सर्वधर्म समान
- अपने मार्ग पर कायम रहकर किसी भी दूसरे धर्म में जो विशेषताएं दिखाई दें, उन्हें लेने का हमारा अधिकार है । इतना ही नहीं ऐसा करना हमारा धर्म है । दूसरे धर्मों से कुछ भी न लिया जा सके, इसका नाम धर्मान्धता है ।
- धर्मों की आत्मा एक है, परंतु वह अनेक रूपों में प्रकट हुई है । धर्म में रूप अनंतकाल तक रहेंगे ।
- तात्कालिक उपावश्यकता यह नहीं है कि धर्म एक हों, बल्कि यह है कि विभिन्न धर्मों के अनुयायियों में परस्पर उगदर और सहिष्णुता हो ।
- सच्ची शिक्षा तो वह है, जिसके द्वारा हम अपने को, आत्मा को, ईश्वर को और सत्य को पहचान सकें ।
- हृदय में देवासुर संग्राम चलता ही रहता है । कब हमें असुर भरमाता है और कब देव रास्ता दिखाते हैं, यह हम सदा नहीं जान सकते । धर्म ही हमें यह विवेक देता है ।
- ईश्वर न काबा में है न काशी में है । न मंदिर में है न मरिजद में । वह तो चर-चर में व्याप्त है, हर दिल में मौजूद है ।
- मुझे अपना धर्म झूठा लगे तो मुझे उसका त्याग करना चाहिए । दूसरे धर्म में जो कुछ अच्छा लगे उसे उनपना लेना चाहिए । उरपने उरपूर्ण धर्म को पूर्ण बनाना हमारा कर्तव्य है ।
- मेरा धर्म सिद्धांत है ईश्वर की और इसलिए मनुष्य जाति की सेवा पर एक भारतवासी के नाते मैं भारत की और एक हिन्दू के नाते भारतीय मुसलमानों की सेवा न करूं तो न ईश्वर की सेवा कर सकता हूं न मनुष्य जाति की ।
- हमें जापान के सुंदर वस्त्र पहनने चाहिए, ऐसा भगवत गीता में कहीं नहीं लिखा है । प्रत्येक शास्त्र में यही लिखा है कि उगपका उद्धार होगा, इसलिए हमारे देश के कारीगर उरपने घरों में भजन गाते हुए जो कपड़ा बनाते हैं, उस वस्त्र को पहनना हमारा धर्म है ।
- जिसे रोजमर्रा की जिंदगी में अमल न लाया जा सके, वह धर्म धर्म नहीं हो सकता ।
धर्म
- धर्मों की आत्मा एक है, परंतु वह अनेक रूपों में प्रकट हुई है । पूजा या प्रार्थना वाणी से नहीं, हृदय से करने की चीज है ।
- धर्म की शिक्षा लौकिक विषयों की तरह नहीं दी जाती, हृदय की भाषा में दी जाती है ।
- व्यक्ति की पूजा के बजाय गुण की पूजा करनी चाहिए । क्योंकि व्यक्ति तो गलत साबित हो सकता है, लेकिन उसके गुणों का नाश नहीं होता ।
- धर्म राजनीति की आत्मा है जिसके अभाव में राजनीति केवल भ्रष्ट नीति एवं स्वार्थ नीति बन जाती है ।
- किसी मनुष्य का कोई भी कार्य, चाहे वह कितना ही महान हो, तब तक वास्तविक रूप में फलित नहीं होगा जब तक उसे स्पष्ट धार्मिक सहारा न हो, परंतु धर्म क्या है? मेरा उत्तर यही होगा, धर्म वह नहीं जो संसार भर के धर्म ग्रंथों के पाठ से प्राप्त हो । धर्म वह पदार्थ नहीं जिसे मस्तिष्क ग्रहण कर सके । धर्म तो हृदय -ग्राह्य है ।
- हिन्दू धर्म के नाम से प्रचलित ग्रंथों में जो कुछ लिखा है, वह सब धर्मवचन हैं, ऐसा नहीं है और हिन्दू जनता को यह सब मानना चाहिए, ऐसा भी नहीं है.
विचार
- मैले बर्तन में डाला साफ पानी भी मैला हो जाता है, वैसे ही मैले मन में अच्छे विचार भी मैले हो जाते हैं ।
- हमने जो कुछ पढ़ा है, उस पर विचार करें, उसे हजम करें और उसे उरपने जीवन का अंग बना लें ।
- आचाररहित विचार चाहे जितना अच्छा हो, फिर भी खोटे मोती की तरह समझना ।
- विचार ही कार्य का मूल है । विचार गया तो कार्य गया ही समझो ।
- मेरी कठिनाई दूर भविष्य के बारे में नहीं है । मैं तो सदा वर्तमान पर ही पूरा ध्यान लगा सकता हूं और उसी की मुझे कभी-कभी चिंता होती है । अगर वर्तमान को संभाल लिया जाए तो भविष्य अपने आप संभल जाएगा ।
- वचन का पालन करने वाला कंजूस की भांति तोल-तोलकर अपने मुख से शब्द निकालता है ।
ज्ञान और शांति
- दिमाग में भरे हुए ज्ञान का जितना अंश काम में लाया जाए, उतने का ही कुछ मूल्य है, बाकी सब व्यर्थ बोझ है ।
- ईश्वर रूप हुए बिना मनुष्य का समाधान नहीं होता, उसे शांति नहीं मिलती, ईश्वर रूप होने का प्रयत्न ही सच्चा और एकमात्र पुरुषार्थ है ।
- नवयुवकों का तमाम शिक्षण फिजूल है, अगर उन्होंने सद्व्यवहार नहीं सीखा ।
- सत्संग पारस मणि है ।
- पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित विश्व एक गलत दिशा में जा रहा है और यह उस पतंगे की भांति है जो अग्नि की लपटों के इर्द-गिर्द लापरवाही से नृत्य करता हुआ उसी अग्नि में भस्म हो जाता है ।
- जीवन में ज्ञान से बढ्कर और कोई पवित्र वस्तु नहीं है ।
- जिसे नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते ।
- सच्ची शिक्षा तो वह है जिसके द्वारा हम अपने को, आत्मा को, ईश्वर को, सत्य को पहचान सकें ।
गरीबी/छुआछूत
- मेरी अल्प बुद्धि के अनुसार तो भंगी पर जो मैल बढ़ता है वह शारीरिक है और वह तुरंत दूर हो सकता है, किंतु जिन पर असत्य और पाखंड का मैल चढ़ गया है, वह इतना सूक्ष्म है कि उसे दूर करना बड़ा कठिन है । किसी को अस्पृश्य गिन सकते हैं ।
- गाली सह लेने का मतलब है गाली देने वाले की इच्छा के वश न होना, गाली देने वाले को असफल बना देना, यह नहीं कि जैसा वह कहे वैसा करना ।
- जिस प्रकार एक रत्ती संखिया से लोटा भरा दूध बिगड़ जाता है, उसी प्रकार छुआछूत से हिन्दू धर्म चौपट हो रहा है ।
- ऊंच-नीच की मान्यता हिंदू- धर्म पर कलंक है, उसे हमें मिटा देना चाहिए ।
- बलपूर्वक पालन कराया गया वैधव्य पाप है ।
- अस्पृश्यता एक ऐसा सर्प है, जिसके सहस्त्रमुख हैं और जिसके प्रत्येक मुख में जहरीले दांत हैं । यह इतनी शक्तिशाली है कि इसे अपना अस्तितिव कायम रखने के लिए मनु अथवा प्राचीन स्मृतिकारों की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
- जिन्हें दोनों वक्त भूखा रहना पड़ता है उनके सामने मैं ईश्वर की चर्चा कैसे करूं? उनके सामने तो परमात्मा दाल-रोटी के रूप में ही प्रकट हो सकते हैं । वे विरले ही होते हैं ।
प्रतिभा/कला
- कला मुझे उसी अंश तक स्वीकार्य है जिस ‘अंश तक वह कल्याणकारी एवं मंगलकारी हो ।
- जिसे पुस्तकें पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रह सकता है ।
- जिस तरह अध्ययन करना अपने आप में कला है, उसी प्रकार चिंतन भी एक कला है ।
- प्रतिभा शब्दों के समूहों को, अर्थों के समुदाय को अलंकारों एवं सुंदर उक्तियों को तथा अन्याय काव्य सामग्री को हृदय में परिभाषित करती है । जिसमें कोई प्रतिभा नहीं है उसके लिए प्रत्यक्ष दीखते हुए भी अनेक पदार्थ परोक्ष से मालूम होते हैं और प्रतिभा संपन्न व्यक्ति के लिए अनेक अप्रत्यक्ष पदार्थ भी प्रत्यक्ष से प्रतीत होते हैं ।
सच्ची परीक्षा
- मनुष्य की सच्ची परीक्षा विपत्ति में ही होती है और रोने-धोने से घाव कभी नहीं भरा करते ।
- जो कमजोर होता है वह सदा रोष करता है । हाथी चींटी से द्वेष नहीं करता । चींटी चींटी से द्वेष करती है ।
- भूल करना मनुष्य का स्वभाव है, की गई भूल को स्वीकार करना एवं वैसी भूल फिर न करने का प्रयास करना वीर एवं शूर होने का प्रतीक है ।
- हृदय की सच्ची प्रार्थना से हमें सच्चे कर्तव्य का पता चलता है । आखिर में तो कर्तव्य करना ही प्रार्थना बन जाती है ।
- हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते ।
- कष्ट सहने पर ही अनुभव होता है ।
- जैसे तिनका हवा का रूख बताता है वैसे ही मामूली घटनाएं भी मनुष्य के हृदय की शक्ति को बताती हैं ।
स्त्री जाति
- संयमहीन स्त्री या पुरुष को गया-बीता समझिए ।
- स्त्री जाति पुरुष जाति से अधिक उदात्त और अधिक ऊंची है, क्योंकि वह आज भी त्याग की, मूक कष्ट सहन करने की, नम्रता की, श्रद्धा की और ज्ञान की जीवित मूर्ति है ।
- स्त्री सहनशक्ति की साक्षात प्रतिमूर्ति है, धैर्य का अवतार है । भीतर का सौंदर्य देखोगे तो बाहर का सौंदर्य फीका लगेगा ।
कवि और साहित्य
- कवि तो समय की परिधि में नहीं बंधता, उसकी रचना अनंतकाल के लिए होती है और इसलिए उसके काव्य में ऐसे अर्थ भी सिद्ध होते हैं जो उसकी अपनी कल्पना में नहीं होते, यही उसकी काव्य की पूर्णता और विशेषता है ।
- अपनी अल्पता का दर्शन करना महान बनने का आरंभ है । अलग पड़ा समुद्र बिंदु अपने को समुद्र कहकर सूख जाएगा, परंतु अपनी बिंदुता स्वीकार करे तो वह समुद्र की ओर प्रयाण करेगा और उसमें लीन होकर समुद्र बन जाएगा ।
- पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि रत्न बाहरी चमक-दमक दिखाते हैं, जबकि पुस्तकें अंतःकरण को उज्ज्वल करती हैं ।
- असंतोष चाहिए ही, किंतु असंतोष खुद के बारे में हो, अब क्या.. .अब तो मैं पूर्ण हो गया । ऐसा समझकर मैं बैठूंगा.. .उसी दिन मेरा विनाश हुआ समझो । असंतोष का अर्थ यह कदापि नहीं कि मैं अपने कर्तव्य कर्म में हमेशा परिवर्तन करने की इच्छा करूं ।
जीवन उपयोगी वाणी
- हमारी सभ्यता की जान यह है कि हम उरपने तमाम सार्वजनिक या निजी कामों में नैतिकता को प्रधान स्थान देते हैं ।
- दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना चाहिए । सच्चा मूल्य तो उस श्रद्धा का है जो कड़ी-से-कड़ी परीक्षा के समय भी टिका रहे ।
- मैं उस तरह की शांति नहीं चाहता जो हमें कब्रों में मिलती है । मैं तो उस तरह की शांति चाहता हूं जिसका निवास मनुष्य के हृदय में है ।
- मौन सर्वोत्तम भाषण है । अगर बोलना ही है तो कम-से-कम बोलो, दो के बदले सिर्फ एक शब्द से काम चलाओ ।
- पवित्र साधनों तथा सत्य आचरण से अर्जित संपत्ति ही सुखकारी होती है । झूठ, फरेब तथा कुटिलता से अर्जित धन जहां लगाया जाता है, वह उसे विनष्ट कर डालता है ।
- संसार में उथल-पुथल और झंझावत में रहते हुए भी जो मनुष्य अपनी मानसिक शांति कायम रख सके, वही सच्चा पुरुष है ।
- सबसे अच्छा तो यह है कि झूठ का जवाब ही न दिया जाए । इससे झूठ अपनी मौत मर जाता है । उसकी अपनी कोई शक्ति नहीं होती । विरोध पर वह फलता-फूलता है ।
- आत्मा की शक्ति को पहचानना ही आत्म-ज्ञान है । आत्मा तो बैठे-बैठे दुनिया को हिला सकती है ।
- धरती हर व्यक्ति की आवश्यकताओ को पूरा कर सकती है, पर किसी एक के भी लालच को नहीं ।
- बड़प्पन सिर्फ उम्र में ही नहीं उस के कारण मिले ज्ञान अनुभव और चतुराई में भी है । जहां ये तीनों बातें न हों, वहां उम्र के कारण बड़प्पन तो रहता ही है, किंतु सिर्फ उस की ही पूजा कोई नहीं करता ।
स्वराज्य
- जैसे मुझे खाने-पीने का हक है, उसी तरह मुझे अपना काम अपने ढंग से करने का हक है, वही स्वराज्य है ।
- स्वराज्य का अर्थ हिन्दुस्तान के सात लाख गांवों की जनता का सर्वोन्मुखी जीवन और विकास है ।
- किसी के अनुग्रह की याचना करना अपनी स्वतंत्रता का वध करना है ।
- स्वराज्य आज हो या आगे, काफी समय तक मौजूदा राज से कुछ बेहतर होने वाला नहीं । हमको याद रखना चाहिए कि स्वराज्य होने पर लोग झटपट सुखी नहीं हो जाएंगे । स्वतंत्र होने के साथ-साथ चुनाव-पद्धति में निहित सारे दोष, अन्याय, धनवानों की सत्ता के अत्याचार तथा शासन करने में अनुभवहीनता, ये सभी हमारे ऊपर हावी होने वाले हैं । लोगों को ऐसा महसूस होने लगेगा कि यह झंझट हमने क्यों मोल लिया । लोग अफसोस के साथ बीते वक्त की याद करेंगे कि तब अधिक न्याय था । अब से कहीं अच्छा शासन था, शांति थी और अधिकारियों में थोड़ी बहुत मात्रा में ईमानदारी थी । लाभ केवल यह होगा कि एक तरह से अपमान और गुलामी का कलंक हमारे माथे से हट जाएगा ।
- जबकि हम स्वराज्य आदोलन को चालू रखना चाहते हैं, हमें चाहिए कि हम निकम्मे साहित्य को पढ़ना बंद कर दें । निरर्थक बातें करना छोड़ दें और उरपने जीवन का एक-एक क्षण स्वराज्य के काम में बिताने लगें ।
अहिंसा
- मेरे लिए सत्य से परे कोई धर्म नहीं है और अहिंसा से बढ्कर कोई परम कर्त्तव्य नहीं है ।
- मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अगर किसी ने अहिंसा के सिद्धांत का पालन किया और उसका प्रचार किया तो वे थे भगवान महावीर ।
- अहिंसा श्रद्धा और अनुभव की वस्तु है एक सीमा के आगे वह तर्क की वस्तु नहीं ।
- हिंसा के मुकाबले में लाचारी का भाव आना अहिंसा नहीं, कायरता है । नम्रता का अर्थ है अहं भाव का अत्यधिक क्षय ।
- शांतिमय लड़ाई लड़ने वाला जीत से कभी फूल नहीं उठता और न मर्यादा ही छोड़ता है ।
- अहिंसा सत्य का प्राण है । उसके बिना मनुष्य पशु है ।
- एक मनुष्य खाने-पीने से अहिंसा का सूक्ष्म पालन करता है, परंतु यदि व्यापार में अनीति से काम लेता है, दंगा देने से नहीं हिचकिचाता, उरपने स्वार्थ के लिए दूसरों को दुख देता है, तो निःसंदेह वह अहिंसा धर्म का पालन नहीं करता । दूसरा मनुष्य मांसाहारी है या आहार के नियमों का सूक्ष्मता से पालन नहीं करता, परंतु उसका हृदय दूसरों को दुखी देखकर पिघल जाता है और उनकी मदद करने की चेष्टा में वह अपने को खपा देता है । कहना पड़ेगा कि यह परोपकार-रत सा! अहिंसा धर्म को जानता है और उसका भली-भांति पालन करता है ।
सत्य
- सत्य ही सत्य का पुरस्कार है । कीमती-से-कीमती वस्तु बेचने वाले को जैसे उससे अधिक कीमती वस्तु नहीं मिल सकती है वैसे ही सत्यवादी भी सत्य से बढ्कर और क्या चीज चाहेगा ।
- सत्य के पुजारी पर परिस्थिति का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए । परिस्थिति के कारण बने हुए कितने ही विचार गलत ठहरते हैं ।
- निर्मल अंतःकरण को जिस समय जो प्रतीत हो वही सत्य है उस पर दृढ़ रहने से शुद्ध सत्य की प्राप्ति हो जाती है ।
- दर्पण का अर्थ है वास्तविकता दिखलाना इसलिए मनुष्य अपने दोष सबके सम्मुख न देखकर दर्पण में एकांत में देखता है । सत्य मिथ्या की प्यास बुझाता है ।
- सत्य के शोध में जो व्यक्ति लोकाचार अड़चन डालें, उन्हें तोड़ डालना चाहिए ।
विश्वास
- विश्वास कोई नाजुक फूल नहीं है जो जरा से तूफानी मौसम में कुम्हला जाए, वह तो अटल हिमालय के समान है, बड़े-से-बड़ा तूफान भी उसे नहीं हिला सकता ।
- बिना विश्वास के काम करना अगाध गड्ढे में गिरने के समान है । विश्वास करना एक गुण है । अविश्वास दुर्बलता की जननी है ।
सेवा
- सेवा उसकी करो जिसे सेवा की जरूरत है, जिसे जरूरत नहीं उसकी सेवा करना ढोंग है, दंभ है ।
- संत पुरुष के लिए एकांत में रहकर विचारमात्र से भी सेवा कर सकना संभव है ऐसा लाखों में एक निकल सकता है ।
- अगर आप ईश्वर का साक्षात्कार करना चाहते हैं, तो दरिद्रनारायण की सेवा करें ।
- मान-पत्र में स्तुत्यात्मक शब्द कम-से-कम रहें, जिसको हम मान-पत्र देना चाहते हैं उसके विचारों के अनुरूप क्या हुआ और क्या करने का निश्चय किया गया है, इसका मान-पत्र में उल्लेख होना चाहिए । साथ ही मान-पत्र देने वाली संस्था और समाज का उसमें परिचय भी दिया जाना चाहिए ।
- जो लोग मेरे शरीर की मूर्तियां स्थापित करके और तस्वीरें बनाकर मेरा सम्मान करना चाहते हैं, उन्हें मैं चेतावनी देना चाहता हूं कि ऐसे प्रदर्शन को मैं दिल से नापसंद करता हूं ।
- अपनी शुद्ध सेवा के बल पर जो पद और सत्ता हमको मिलते है, वे हमारे हृदय को उच्च बनाते रहते हैं । जो सत्ता के नाम पर सिर्फ बहुमत के बल पर प्राप्त की जाती है, वह कोरा भ्रमजाल है ।
- हरेक सभा में मुझे तीन, चार या इससे भी अधिक मान-पत्र मिलते हैं । उनमें से बहुतेरों में मुझे कोई कला नहीं दीख पड़ती । अधिकतर मान-पत्र तो केवल मेरी स्तुति के विशेषणों से ही भरे रहते हैं । इसमें मेरी दृष्टि में तो विचार और विवेक दोनों का अभाव है । किसी मनुष्य के सामने उसके गुणों का कथन करके हम न तो उसका सम्मान करते हैं और न उसे खुश ही रख सकते हैं । जिन विशेषणों का प्रयोग मेरे लिए किया जाता है, उन सबको अगर मैं स्वीकार कर लूं तो मेरा बहुतेरा काम रुक जाए ।
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