अकबर और बीरबल की कहानियाँ हमें हमेशा कुछ न कुछ सिखाती हैं और मनोरंजन भी करती हैं। इन कहानियों के माध्यम से हम बुद्धिमत्ता और हास्य की अद्वितीय मेल को देख सकते हैं। आज की कहानी “काला और सफेद” भी ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी है।
कहानी की शुरुआत
मुगल सम्राट अकबर के दरबार में बीरबल अपनी बुद्धिमत्ता और सूझ-बूझ के लिए जाने जाते थे। एक दिन महाराज अकबर दरबार में अपने मंत्रियों और दरबारियों के साथ बैठे हुए थे। उन्होंने सभी से एक सवाल पूछा, “दुनिया में सबसे साफ रंग कौन सा है?”
दरबारियों ने विभिन्न रंगों का नाम लेना शुरू कर दिया – लाल, हरा, नीला, और सफेद। अधिकतर दरबारियों ने सफेद रंग का नाम लिया क्योंकि सफेद रंग को पारंपरिक रूप से स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। अकबर ने सभी की बातें सुनने के बाद, अंततः बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुम्हारी क्या राय है?”
बीरबल का उत्तर
बीरबल ने थोड़ी सोच-विचार के बाद कहा, “जहाँपनाह, मेरी नजर में काला रंग सबसे साफ और पवित्र है।” यह सुनकर सभी दरबारी आश्चर्यचकित हो गए और अकबर भी हंस पड़े। अकबर ने कहा, “बीरबल, तुम हमें यह कैसे समझा सकते हो?”
बीरबल की व्याख्या
बीरबल ने बड़े ही आत्मविश्वास से उत्तर दिया, “महाराज, जब हम रात को सोते हैं, तो हमारी आँखें बंद हो जाती हैं और सब कुछ काला हो जाता है। कालेपन के दौरान हमारी आँखें आराम करती हैं और हम शांति से सोते हैं। इसके विपरीत, दिन में सब कुछ सफेद और उज्जवल होता है और हमारी आँखों को लगातार काम करना पड़ता है। रात का काला हमें शांति और आराम देता है, जबकि दिन का उजाला हमें काम पर लगाता है। इसलिए मेरी नजर में काला सबसे साफ और पवित्र है।”
महाराज का निर्णय
बीरबल की इस व्याख्या ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया। अकबर ने बीरबल की बुद्धिमत्ता की सराहना की और उन्हें उनकी तर्कसंगत सोच के लिए सम्मानित किया।
कहानी से शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि ہر किसी چیز की اپنی महत्व ہوتی ہے और परंपरागत मान्यताओं کے परے सोच کر ہم बहुत کچھ नیا سیکھ सकते ہیں۔