बीरबल का बदला – Akbar Birbal Story in Hindi

अकबर के दरबार में बीरबल की बुद्धिमानी और चतुराई के बारे में सभी जानते थे। वह हमेशा अपनी समझदारी से लोगों की समस्याओं का हल निकालता था और दरबार के सभी सदस्य उसकी प्रशंसा करते थे। लेकिन कुछ दरबारी ऐसे भी थे जो बीरबल से ईर्ष्या करते थे और हमेशा उसकी बदनामी का मौका ढूंढ़ते रहते थे। इस कहानी में हम बीरबल की ऐसी ही एक चतुराई का वर्णन करेंगे, जिससे उसने अपने दुश्मनों को सबक सिखाया।

ईर्ष्यालु दरबारी की साजिश

दरबार में एक दरबारी था जिसका नाम काज़ी था। वह बीरबल की ख्याति से बहुत ईर्ष्या करता था और हर समय सोचता रहता था कि कैसे उसकी बदनामी की जाए। एक दिन, उसने एक चालाक योजना बनाई और कुछ अन्य दरबारियों के साथ मिलकर बीरबल के खिलाफ राजा अकबर को भड़काने का निर्णय लिया।

काज़ी और उसके साथी दरबारियों ने मिलकर एक झूठी कहानी बनाई कि बीरबल ने राजा के खिलाफ कोई षडयंत्र रचा है। उन्होंने यह कहानी अकबर को सुनाई और उसे भड़काने की कोशिश की। अकबर को भी कुछ संदेह हुआ, लेकिन वह बीरबल पर अंधा विश्वास करता था।

अकबर का आदेशनामा

फिर भी, अकबर ने अपनी प्रजा के प्रति उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए बीरबल को बुलाया और उससे इस बारे में पूछा। बीरबल ने बिना देर किए सभी आरोपों को नकारा और कहा कि वह निर्दोष है। बीरबल ने अकबर से कहा कि वह दोषमुक्त साबित होने के लिए कोई भी परीक्षा देने को तैयार है।

अकबर ने कुछ समय के लिए सोचा और फिर एक योजना बनाई। उन्होंने बीरबल से कहा कि उसे अगले दिन इसी समय दरबार में उपस्थित होना है और अपनी समझदारी से अपनी निर्दोषता साबित करनी है। बीरबल ने सिर झुकाकर राजा का आदेश स्वीकार कर लिया।

बीरबल की चालाकी

अगले दिन, सभी दरबारी दरबार में उपस्थित थे। बीरबल भी समय पर पहुंच गया। अकबर ने बीरबल को देखकर कहा, “बीरबल, तुम्हें अपनी बुद्धिमानी से यह साबित करना है कि तुम निर्दोष हो, अन्यथा तुम्हें सजा दी जाएगी।” बीरबल मुस्कुराया और बोला, “जी, महाराज।”

फिर बीरबल ने दरबारियों की ओर देखा और कहा, “महाराज, मुझे कुछ कहने की अनुमति दीजिए। क्या मैं यहां उपस्थित सभी दरबारियों से कुछ प्रश्न कर सकता हूं?” अकबर ने सहमति दी।

सच्चाई का पर्दाफाश

बीरबल ने एक-एक कर सभी दरबारियों से प्रश्न पूछना शुरू किया। सभी दरबारियों ने सच्चाई बताने के बजाय काज़ी की बनाई कहानी का समर्थन किया। बावजूद इसके, बीरबल ने धैर्य नहीं खोया। फिर उसने काज़ी से प्रश्न किया, “काज़ी, क्या आपने मुझे राजा के खिलाफ षडयंत्र रचते हुए देखा?”

काज़ी ने तन्मयता से कहा, “हां, बीरबल। मैंने तुम्हें राजा के खिलाफ षडयंत्र रचते हुए देखा है।” बीरबल मुस्कुराया और कहा, “क्या आप गवाही देने के लिए तैयार हैं?” काज़ी ने आत्मविश्वास से कहा, “बिल्कुल!”

बीरबल ने अकबर की ओर देखा और बोला, “महाराज, अब मैं सच्चाई साबित करने जा रहा हूं।” और फिर उसने सभी दरबारियों के सामने एक गुप्त पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें काज़ी और उसके साथियों की सारी साजिश का विवरण था।

न्याय की विजय

राजा अकबर ने वह पत्र देखा और उसमें लिखी बातें पढ़कर आश्चर्यचकित हो गए। बीरबल ने उन सबूतों के आधार पर अपनी निर्दोषता सिद्ध कर दी। काज़ी और उसके साथी दरबारियों को अपने झूठ और साजिश का परिणाम भुगतना पड़ा। अकबर ने तुरंत सभी दोषियों को दंड दिया और बीरबल की बुद्धिमानी की सराहना की।

इस घटना के बाद, दरबार में फिर कभी बीरबल के खिलाफ कोई षडयंत्र नहीं रचा गया। बीरबल ने अपनी चतुराई और समझदारी से एक बार फिर से साबित कर दिया कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है।

इस प्रकार, बीरबल ने न केवल अपनी निर्दोषता सिद्ध की, बल्कि अपने दुश्मनों को भी सबक सिखाया। यह कहानी हमें सिखाती है कि सत्य और समझदारी से किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

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