बीरबल की तीन दिन की परीक्षा – Akbar Birbal Story in Hindi

अकबर और बीरबल की कहानियां भारतीय लोककथाओं में अद्वितीय स्थान रखती हैं। इन कहानियों में बीरबल की बुद्धिमानी और हास्यप्रद व्यक्तित्व को बखूबी दर्शाया गया है। आज हम आपको एक ऐसी ही रोचक कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसका नाम है “बीरबल की तीन दिन की परीक्षा”.

प्रस्तावना

एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल की बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेने के बारे में सोचा। उन्होंने निश्चय किया की बीरबल को ऐसी स्थिति में डाला जाएगा जहां से निकलने के लिए उसे अपनी समस्त चतुराई का प्रयोग करना पड़े।

पहला दिन

अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा, “बीरबल, तुम्हें आज से तीन दिन की एक परीक्षा देनी है। इसके लिए तुम्हें शहर से बाहर एक निर्जन स्थान पर जाना होगा। पहले दिन वहां तुम्हें एक पेड़ के नीचे एक कड़ाही में दूध उबालना है।

बीरबल ने यह सुनकर करतल ध्वनि किया और खुशी से वहां से रवाना हो गया। उसने पास के गांव से एक बड़ी कड़ाही ली और चल पड़ा। उसने पहले दिन अकबर के आदेशानुसार उस निर्जन स्थान पर पहुंच कर कड़ाही में दूध उबालना प्रारम्भ कर दिया। दूध उबालता रहा, उफान आने पर गिरता भी रहा। बीरबल ध्यान से इसमें लगा रहा।

दूसरा दिन

दूसरे दिन अकबर ने बीरबल को पुन: बुलाया और कहा, “बीरबल, अब दूसरे दिन तुम्हें उसी पेड़ के नीचे जहां तुमने दूध उबाला था, एक बहुत बड़ी मछली पकानी है।

बीरबल ने दूसरा आदेश भी सराहा और खुशी से उठ गया। उसने एक बड़ी मछली मंगवाई और उसी स्थान पर जाकर मछली को कड़ाही में झोंक दिया और पकाने लगा। मछली पकाने में काफी समय लग गया लेकिन बीरबल ने इसमें भी धैर्य रखा।

तीसरा दिन

तीसरे दिन अकबर बीरबल को फिर से बुलाकर एक अंतिम आदेश दिया, “बीरबल, आज तुम्हें एक ऐसे हथियार की खोज करनी है जिससे तुम हवा को काट सको।

यह सुनकर बीरबल थोड़ा सोच में पड़ गया। लेकिन उसने तुरंत राहत प्राप्त की और सिर झुका कर अपने कार्य में जुट गया। उसने कई जगहों पर खोज की लेकिन उसे निराशा ही मिली। अंत में उसने सोचा कुछ अनोखा करना चाहिए ताकि बादशाह भी हैरान रह जाएं।

तभी वह एक झील के पास पहुंचा और वहां से एक पुरानी तलवार ली। तलवार से उसने हवा को जोरदार झटका दिया। तलवार के साथ हवा भी धीरे-धीरे कट गई। बीरबल खुशी-खुशी वापस अकबर के पास लौटा।

पूरी परीक्षा का निष्कर्ष

अकबर ने बीरबल से उसकी मेहनत और चतुराई के बारे में पूछताछ की। बीरबल ने विनम्रता से जवाब दिया, “पहले दिन मैंने दूध उबाला क्योंकि दूध उबालने पर उसकी ऊपरी सतह पर मलाई बन जाती है जो हमारे प्रयासों और समर्पण का फल है।

दूसरे दिन मैंने मछली पकाई क्योंकि मछली पकाने से सजीवता में अनुभव और संयम की आवश्यकता होती है।

और तीसरे दिन मैंने हवा को काटने के लिए तलवार का प्रयोग किया क्योंकि हमें हर समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए हमें किसी भी साधन का उपयोग करना आना चाहिए।

अकबर का प्रसन्नता

यह सुनकर अकबर बहुत प्रसन्न हुआ और उन्होंने बीरबल की अक्लमंदी तथा व्यावहारिक सोच की सराहना की। इस प्रकार बीरबल ने अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से फिर एक बार साबित कर दिया कि वह पूरी तरह से योग्य और सक्षम हैं।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर समस्या का समाधान धैर्य, समर्पण और चतुराई के साथ ढूंढा जा सकता है।

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