एक समय की बात है, मुगल सम्राट अकबर के दरबार में एक बहुत ही तेज-तर्रार, होशियार और सूझ-बूझ से भरा व्यक्ति था, जिसका नाम था बीरबल। बीरबल अपनी अत्यधिक बुद्धिमत्ता और समझदारी के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध थे। उनकी चतुराई के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे। यह कहानी अकबर और बीरबल की एक ऐसी ही रोचक मुठभेड़ की है, जिसमें बीरबल ने अपनी बुद्धिमत्ता से एक बड़ी समस्या का समाधान किया।
एक अनोखा विवाद
एक बार, अकबर के दरबार में दो व्यापारी एक बहुत ही गंभीर विवाद लेकर पहुंचे। दोनों व्यापाही अपनी-अपनी बात पर अड़े थे और अकबर से न्याय की गुहार लगा रहे थे।
पहला व्यापारी बोला, “जहांपनाह, यह व्यापारी झूठ बोल रहा है। इसने मेरे पैसे अभी तक नहीं लौटाए हैं।“
दूसरा व्यापारी तपाक से जवाब दिया, “यह झूठ है! मैंने इसके सभी पैसे लौटा दिए हैं।“
अकबर इस मामले में बड़े मुश्किल में पड़ गए। उन्होंने तुरंत बीरबल को बुलाया और इस विवाद को सुलझाने का आदेश दिया।
बीरबल की चतुराई
बीरबल ने दोनों व्यापारियों को ध्यान से सुना और फिर एक पल के लिए सोचने लगे। उन्होंने सोचा कि इस विवाद को सुलझाने के लिए कुछ नया तरीका अपनाना होगा।
उन्होंने पहले व्यापारी से पूछा, “क्या तुम उस थैली को पहचान सकते हो जिसमें तुमने पैसे दिए थे?“
व्यापारी ने उत्तर दिया, “हां, जरूर! वह मेरी अपनी बनवाई हुई थैली थी।“
बीरबल ने दूसरे व्यापारी से पूछा, “क्या तुम्हारे पास वह थैली है?“
दूसरा व्यापारी बोला, “हां, मेरे पास ही है।“
बीरबल ने वह थैली मंगवाई और ध्यान से जांच की। उन्होंने थैली को उलट-पलट कर देखा और फिर उसमें से एक चुटकी चावल निकाला।
समाधान का सत्य
बीरबल ने मुस्कुराते हुए अकबर से कहा, “जहांपनाह, इस मामले का समाधान मिल गया है।“
अकबर ने हैरान होकर पूछा, “कैसे?“
बीरबल ने उत्तर दिया, “जहांपनाह, इस थैली में जो चावल के दाने हैं उनसे यह स्पष्ट होता है कि यह व्यापारी झूठ बोल रहा है।“
अकबर और दरबार के अन्य सभी सदस्य चौंक गए। उन्होंने पूछा, “कृपया स्पष्ट करें।“
बीरबल बोले, “जब किसी थैली को लम्बे समय तक कहीं रखा जाता है तो उसमें चावल, अनाज या अन्य पदार्थ के दाने लग जाते हैं, जो समय के साथ उसका हिस्सा बन जाते हैं। यदि इस व्यापारी ने थैली वापिस की होती, तो इसमें चावल के दाने नहीं होते।“
न्याय का दिन
अकबर ने बीरबल की समझदारी और सूझ-बूझ की प्रशंसा की। उन्होंने आदेश दिया कि पहला व्यापारी सही है और दूसरे व्यापारी को दंडित किया जाएगा। इस प्रकार बीरबल ने अपनी सूझ-बूझ से एक बार फिर दरबार में अपनी श्रेष्ठता साबित की।
इस घटना के बाद, सभी ने एक बार फिर बीरबल की बुद्धिमत्ता का लोहा माना। उनके चतुर और निष्पक्ष न्याय के प्रति सम्मान ओर भी बढ़ गया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चाई और सूझ-बूझ से हर समस्या का समाधान संभव है। बीरबल की चतुराई और समझदारी हमेशा हमें सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा देती है।