अकबर महान मुग़ल सम्राट थे और उनके दरबार में अनेक विद्वान और चतुर दरबारी होते थे। इनमें से सबसे चतुर और तेजस्वी दरबारी थे बीरबल। बीरबल की तेज बुद्धि और हाजिरजवाबी के कारण उन्हें सम्राट अकबर का बहुत विश्वास और स्नेह प्राप्त था। एक दिन, अकबर ने सोचा कि क्यों न बीरबल की बुद्धिमानी का एक और परीक्षण लिया जाए।
शुरुआत की कहानी
एक सुबह, जब सम्राट अकबर अपने दरबार में बैठे थे, उन्होंने एक कठिन सवाल पूछा। उन्होंने अपने सभी दरबारियों से कहा, “क्या तुममें से कोई यह बता सकता है कि मेरे दाहिनी कोहनी के जुबान किसके पास है?” सभी दरबारी चुप रहे क्योंकि यह सवाल बहुत कठिन था और उनमें से कोई भी इसका उत्तर देने में सक्षम नहीं था।
तब सम्राट ने कहा, “अरे, हमारे चतुर बीरबल कहां हैं? मुझे यकीन है कि वह इस सवाल का जवाब दे सकते हैं।” तुरंत ही एक दरबारी बीरबल को बुलाने गया। बीरबल दरबार में आए और आदरपूर्वक सम्राट के सामने झुके।
बीरबल की समझदारी
सम्राट ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, मुझे बताओ कि मेरे दाहिनी कोहनी का जुबान किसके पास है?” बीरबल ने थोड़ा सोचा और तुरंत जवाब दिया, “जहांनपना, आपके दाहिनी कोहनी का जुबान आपके बायीं कोहनी के पास है।”
सम्राट और दरबारियों ने पहले कुछ समझ नहीं पाया, फिर वह हंसे और बीरबल की बुद्धिमानी की प्रशंसा की। बीरबल ने अपनी हाजिरजवाबी और तर्कपूर्ण उत्तर से सभी को प्रभावित किया था।
सम्राट की प्रशंसा
सम्राट अकबर ने कहा, “बीरबल, तुम्हारी बुद्धिमानी ने फिर से मुझे प्रभावित किया है। तुम सच में बहुत चतुर हो और तुम्हारे तर्क का कोई सानी नहीं है।” सभी दरबारियों ने भी बीरबल की प्रशंसा की और उनकी एक और कहानी दरबार में मशहूर हो गई।
इस तरह से, बीरबल ने अपनी बुद्धिमानी और तत्काल उत्तर देने की क्षमता से एक बार फिर साबित कर दिया कि वह दरबार के सबसे चतुर व्यक्ति थे। बीरबल की यह कहानी आज भी हमें सिखाती है कि कठिन से कठिन सवाल का भी जबाब तुरंत और सही तरीके से सोचने से पाया जा सकता है।