बीरबल का सोने का हार – Akbar Birbal Story in Hindi

अकबर और बीरबल की कहानियाँ भारतीय लोककथाओं में बहुत प्रसिद्ध हैं। इनमें चतुराई, बुद्धिमानी और हास्य का अद्भुत मिश्रण होता है। आज हम बताते हैं एक ऐसी कहानी जो बीरबल की चतुराई का एक और उदाहरण पेश करती है।

कहानी की शुरुआत

एक बार की बात है, अकबर बादशाह अपने दरबार में बैठे थे। तभी एक व्यापारी दरबार में आया और उसने बादशाह से मिलने की अनुमति मांगी। जब व्यापारी को अनुमति मिली, तो वह बादशाह के सामने झुका और बोला, “जहाँपनाह, मैं आपके न्याय पर विश्वास रखता हूँ और इसी कारण आज आपके दरबार में आया हूँ।” बादशाह ने कहा, “आपके विश्वास के लिए धन्यवाद। अब बताइए, आपको क्या समस्या है?”

व्यापारी की समस्या

व्यापारी ने कहा, “हुजूर, कुछ दिन पहले मेरे पास एक सोने का हार था, जो बहुत कीमती था। मैंने वह हार अपने नौकर को साफ करने के लिए दिया था और अब वह नौकर हार लेकर गायब हो गया है।” बादशाह ने पूछा, “क्या तुमने नौकर के बारे में कोई जानकारी हासिल करने की कोशिश की?”

व्यापारी ने कहा, “हाँ जहाँपनाह, मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन मुझे कुछ भी पता नहीं चला। मैं आपके दरबार में इसलिए आया हूँ कि आप मेरी सहायता करें और मेरे साथ न्याय करें।”

बीरबल की चतुराई

अकबर बादशाह ने विचार करते हुए कहा, “यह मामला आसान नहीं है। बीरबल को बुलाया जाए।” बीरबल दरबार में आए और बादशाह ने उन्हें सारी घटना बताई। बीरबल ने एक पल के लिए सोचा और फिर बोले, “जहाँपनाह, मुझे इस मामले को सुलझाने के लिए थोड़ा समय चाहिए।”

गारंटी की योजना

बीरबल ने सबको आदेश दिया, “कल सुबह सभी नौकरों को दरबार में हाजिर होने का आदेश दो। मैं एक योजना बनाना चाहता हूँ।” अगले दिन, सभी नौकर दरबार में हाजिर हो गए। बीरबल ने उन्हें एक पंक्ति में खड़े होने का आदेश दिया।

बीरबल ने सभी नौकरों को एक-एक करके एक लकड़ी का टुकड़ा दिया और बोले, “यहाँ सभी के पास एक ही लंबाई की लकड़ी है। कल सुबह जिसे उसके पास की लकड़ी का टुकड़ा एक इंच बड़ा हो जाएगा, वही हार चुराने वाला है। अब जाओ और कल सुबह वापस आओ।”

असली चोर का पर्दाफाश

अगली सुबह सभी नौकर दरबार में वापस आए। बीरबल ने एक-एक करके सभी की लकड़ियाँ जांची। एक नौकर की लकड़ी बाकी सबकी तुलना में एक इंच छोटी थी। बीरबल ने नौकर से कहा, “तुमही चोर हो। तुमने डर के कारण रात में लकड़ी को थोड़ा छोटा कर दिया, क्योंकि तुम जानते थे कि तुमने हार चुराया है। दरअसल, लकड़ी का टुकड़ा बड़ना तो दूर, उससे कुछ नहीं होता, लेकिन तुम्हारा डर ही तुम्हें पकड़वा गया।”

नौकर ने सचाई कबूल कर ली और व्यापारी का सोने का हार लौटाया। व्यापारी ने खुश होकर बीरबल को धन्यवाद दिया और उसका सम्मान किया।

निष्कर्ष

इस कहानी से यह पता चलता है कि चतुराई और बुद्धिमानी से किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। बीरबल की चतुराई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि किसी भी चुनौती का सामना सोच-विचार और धैर्य से किया जा सकता है।

यह कहानी अकबर और बीरबल की मनोरंजक दुनिया की एक और झलक देती है, जहां बुद्धिमत्ता का हमेशा वर्चस्व होता है।

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