अकबर के दरबार में बीरबल अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई के लिए मशहूर थे। एक दिन, एक सेठ बीरबल की परीक्षा लेना चाहता था कि क्या वाकई बीरबल उतने चतुर हैं जितना कि लोग कहते हैं। सेठ ने यह निश्चय किया कि वह बीरबल को एक कठिन परिस्थिति में डालकर उनकी बुद्धि का परीक्षण करेगा।
सेठ का चतुर प्रपंच
सेठ ने एक सुन्दर योजनाबद्ध दांव रचा। वह एक बड़े नोटों की गड्डी लेकर बादशाह अकबर के दरबार में आया और उसे बादशाह को भेंट किया। सेठ ने बादशाह से कहा, "जहांपनाह, मैं यह राशि आपके खजाने में जमा करना चाहता हूँ। लेकिन इसे जमा करने का एक विशेष तरीका है।"
अकबर ने सेठ से पूछा, "कैसा तरीका?" सेठ ने बड़ी चालाकी से जवाब दिया, "इस राशि को खजाने में जमा करने के लिए मुझे सबसे बुद्धिमान व्यक्ति की सहायता चाहिए, और सुना है कि बीरबल से अधिक बुद्धिमान कोई नहीं है। तो मैं चाहूंगा कि बीरबल ही इस राशि को खजाने में जमा करें।"
बीरबल की समझदारी
बीरबल को बुलाया गया। जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो सेठ ने उन पर एक कठिन शर्त लगाई। सेठ ने कहा, "बीरबल, मुझे मेरी यह राशि वापस चाहिए, लेकिन एक ऐसी शर्त के साथ जो आप पूरी नहीं कर पाओगे।"
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, "कौन सी शर्त सेठ जी?" सेठ ने कुछ सोचा और कहा, "तुम्हें मुझे यह राशि अपनी माता की गोद में बैठकर देनी होगी।"
दरबार के सभी लोग हैरान हो गए और बीरबल भी चौंक गए। लेकिन बीरबल ने अपनी चतुराई का प्रमाण देना उचित समझा। बीरबल ने अपने मन में कुछ सोचते हुए सेठ की शर्त को स्वीकार कर लिया।
बीरबल की चाल
अगले दिन, बीरबल अपनी माता के साथ दरबार में पहुंचे। सभी दरबारी बहुत उत्सुक थे यह देखने के लिए कि बीरबल कैसे इस शर्त को पूरा करेंगे। बीरबल ने अपनी मां को दरबार के मध्य में लाकर बैठा दिया और स्वयं उनकी गोद में बैठ गए।
सेठ यह देखकर हैरान रह गया। बीरबल ने धीरे-धीरे अपनी मां के हाथों से राशि उठाकर सेठ को दे दी और मुस्कुराते हुए कहा, "लीजिए सेठ जी, आपकी शर्त पूरी की। मैंने आपकी राशि अपनी माता की गोद में बैठकर आपको दे दी।"
राजा अकबर का निर्णय
राजा अकबर, दरबारी और सेठ सभी बीरबल की इस चतुराई को देखकर दंग रह गए। अकबर ने कहा, "बीरबल, तुम्हारी बुद्धिमत्ता और चतुराई से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ। तुमने न केवल इस कठिन शर्त को पूरा किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि बिना किसी धोखे के भी चतुराई का प्रयोग कर सकते हैं।"
सेठ ने भी बीरबल की बुद्धिमत्ता को मान्यता देते हुए कहा, "बीरबल, मैं आपकी कुशाग्र बुद्धि का कायल हो गया हूँ। आप वास्तव में इस दरबार के सबसे चतुर और बुद्धिमान व्यक्ति हैं।"
निष्कर्ष
इस प्रकार बीरबल ने अपनी चतुराई और बुद्धिमानी का फिर एक बार प्रदर्शन किया और साबित किया कि वह वास्तव में अद्वितीय थे। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि बुद्धि और चतुराई के साथ किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।