बीरबल और किसान की तूंभी – Akbar Birbal Story in Hindi

एक समय की बात है। मुगल सम्राट अकबर अपने राज्य की देखभाल बहुत ही अच्छे ढंग से करते थे और उनके दरबार में बीरबल जैसी बुद्धिमान व्यक्तित्व भी थे। बीरबल अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे। ऐसी ही कई कहानियों में से एक दिलचस्प कहानी है – ‘बीरबल और किसान की तूंभी’।

किसान की समस्या

एक दिन, एक गरीब किसान दरबार में आया और उसने अकबर के समक्ष अपनी समस्या रखी। उसने बताया, “महाराज, मैं एक गरीब किसान हूं और मेरे पास एक छोटी सी जमीन है। एक दिन मैंने अपनी जमीन पर एक तूंभी (कद्दू) उगाई। यह तूंभी बहुत बड़ी और सुन्दर थी। मैंने सोचा कि इसे आपको उपहार स्वरूप समर्पित करूं। लेकिन जब मैंने अपनी पड़ोसी को यह बताया, तो उसने मुझे कहा कि मुझे यह तूंभी उसे दे देनी चाहिए। अब वह मुझ पर दावा कर रहा है कि तूंभी उसकी है। कृपया मेरी मदद करें।”

अकबर का आदेश

अकबर ने ध्यान से किसान की बात सुनी। उन्होंने कहा, “इस मामले को बीरबल देखेंगे और न्याय करेंगे।” अकबर ने बीरबल को इस मामले की जांच करने और उचित निर्णय लेने का आदेश दिया। बीरबल ने मामले को ध्यान से सुना और उसे समझा।

बीरबल का समाधान

बीरबल ने मुस्कुराते हुए किसान और उसके पड़ोसी को बुलाया। फिर उन्होंने कहा, “ठीक है, हम इस तूंभी का मालिक दावेदार का निर्णय बहुत सरल तरीके से करेंगे। अब मैं इस तूंभी को बीच से काट दूंगा और दोनों हिस्सों को आप लोगों में बाँट दूंगा। दोनों में से जो व्यक्ति तूंभी का सही मालिक होगा, वह इस तूंभी का आधा हिस्सा नहीं चाहेगा।”

जैसे ही बीरबल ने तूंभी को काटने की बात कही, पड़ोसी ने जल्दी से कहा, “हाँ, तूंभी को काट दो और मुझे उसका हिस्सा दे दो।” लेकिन किसान की आँखों में आँसू आ गए और उसने कहा, “नहीं बीरबल जी, कृपया तूंभी को मत काटें। यदि ऐसा करना पड़े तो पूरी तूंभी मेरे पड़ोसी को दे दीजिए। बस इसे मत काटें।”

सच्चाई का उजागर होना

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब सच्चाई उजागर हो गई है। असली मालिक वही होता है जो अपनी संपत्ति को विभाजित होते नहीं देख सकता। किसान की चिंता इस तूंभी के प्रति यह दिखाती है कि तूंभी वास्तव में उसकी है।” बीरबल ने किसान को उसकी तूंभी वापस लौटा दी और पड़ोसी को सजा देने की सलाह दी।

न्याय का महत्व

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि न्याय पूर्वक और भोली भावना से की गई चीजें हमेशा सही परिणाम देती हैं। बीरबल ने बड़ी ही सूझबूझ और धैर्य के साथ इस विवाद को हल किया, जिससे सम्राट अकबर और अन्य दरबारी भी बहुत प्रसन्न हुए।

इस प्रकार बीरबल ने न केवल एक निर्दोष किसान को उसकी तूंभी दिलवाई बल्कि न्याय और सत्य की महत्ता को भी सिद्ध किया। यही कारण है कि आज भी बीरबल की कहानियाँ हम सभी के बीच न्याय और बुद्धिमत्ता के प्रतीक के रूप में जीवित हैं।

कहानी का निष्कर्ष: सच्ची भावनाएं और निष्पक्ष न्याय हमेशा ही सही दिशा दिखाते हैं और कठिनाइयों को सरल बना देते हैं।

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