बीरबल और बेइमान व्यापारी – Akbar Birbal Story in Hindi

मुगल सम्राट अकबर के दरबार में बीरबल की बुद्धिमत्ता और विवेक का कोई मुकाबला नहीं था। एक दिन, एक व्यापारी दरबार में उपस्थित हुआ और अकबर को अपनी समस्या बताई। उसने कहा कि एक दूसरा व्यापारी उसके पैसे लेकर भाग गया है और उसने झूठा वादा किया था कि वह उसे एक मूल्यवान वस्त्र बेचेगा।

अकबर ने तुरंत बीरबल को बुलाया और उसे कहा कि वह इस मामले की जाँच करे। बीरबल ने दोनों व्यापारियों को दरबार में बुलाने के लिए कहा। जब दोनों व्यापारी दरबार में उपस्थित हुए, तो बीरबल ने उनसे उनकी बातें सुनीं।

व्यापारी की शिकायत

पहला व्यापारी, जो शिकायतकर्ता था, बोला, “महाराज, मैंने इस व्यक्ति को 5000 अंश दिए थे यह कह कर कि वह मुझे एक बहुमूल्य वस्त्र देगा। लेकिन, जब मैंने वह वस्त्र देखा तो वह बिलकुल भी मूल्यवान नहीं था और बहुत ही खराब हालत में था। मैं चाहता हूँ कि मुझे मेरे पैसे वापस मिलें।”

दूसरे व्यापारी की बात

दूसरा व्यापारी, जिसे बेईमान कहा जा रहा था, बोला, “महाराज, मैंने अपना वचन पूरा किया और जो वस्त्र दिखाया था वह सच में मूल्यवान था। यदि वह गरीब हालत में है तो यह इस व्यक्ति की गलती है जिसने इसकी देखभाल नहीं की।”

बीरबल की दृष्टि

बीरबल ने दोनों की बात सुनी और फिर गंभीरता से सोचने लगा। उसके बाद उसने आदेश दिया कि दोनों व्यापारियों को एक सप्ताह के लिए स्थानांतरण किया जाए और उन्हें कहा कि वे अपने घर जाएँ और आराम करें। इस दौरान, उसने दोनों व्यापारियों के सहयोगियों से उनकी जांच की।

रहस्योद्घाटन

एक सप्ताह के बाद, बीरबल ने दरबार में दोनों व्यापारियों को बुलाया। उसने बताया कि उसने उनके सहयोगियों से बातचीत की है और सच्चाई का पता लगाया है।

बीरबल बोला, “पहला व्यापारी सच कह रहा है। दूसरा व्यापारी वास्तव में बेईमान है और उसने कई लोगों को धोखा दिया है। इसके अलावा, उसने लगातार झूठे बहाने बनाकर लोगों से पैसे ऐंठे हैं।”

न्याय

अकबर ने तुरंत आदेश दिया कि दूसरे व्यापारी को उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाए और उसे कारावास में डाला जाए। पहले व्यापारी को उसके पैसे वापस किए गए और उसे सम्राट से न्याय मिला।

इस प्रकार, बीरबल की बुद्धिमत्ता और चौकन्नी दृष्टि ने फिर एक बार अकबर के दरबार में न्याय की स्थापना की।

यह कहानी सिखाती है कि सच्चाई और न्याय हमेशा विजयी होते हैं। बीरबल की चतुराई और न्याय की भावना हमें सिखाती है कि सही रास्ते पर चलते रहना चाहिए और असत्य से लड़ना चाहिए।

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