भगत सिंह, जिन्हें शहीद-ए-आज़म के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी थे। उन्होंने अपने जीवन को देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया और उनकी वीरता और देशभक्ति आज भी लोगों को प्रेरित करती है। उनके अनमोल विचार युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं।
“इंकलाब ज़िंदाबाद!”
“क्रांति अमर रहे!”
यह नारा भगत सिंह का सबसे प्रसिद्ध और प्रेरणादायक नारा है। यह आज भी लोगों के मन में जोश और क्रांति की भावना उत्पन्न करता है।
“बोलने से पहले अगर कोई मरने को तैयार रहता है, तब उसके विचारों में ताकत आती है।”
यह उद्धरण यह दर्शाता है कि जब कोई अपने विचारों के लिए मर-मिटने को तैयार रहता है, तब ही उसके विचारों में सच्ची शक्ति होती है। आप जो भी बोलें, उसे आत्म-विश्वास और परिपूर्णता के साथ बोलें।
“जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।”
यह उद्धरण हमें आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान का महत्व सिखाता है। हमें अपने जीवन को अपने दम पर जीना चाहिए और दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
“मैं एक मानव हूं और जो चीजें मानवता को प्रभावित करती हैं, उनसे मुझे मतलब है।”
भगत सिंह का यह विचार मानवता के प्रति उनकी संवेदनशीलता और समर्पण को दर्शाता है। वह मानवता के लिए अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देते थे।
“मैं इस बात पर जोर देता हूं कि मैं महत्वाकांक्षी, आशावादी और जीवन के प्रति उत्साही हूं।”
यह उद्धरण यह दिखाता है कि भगत सिंह कितने महत्वाकांक्षी और आशावादी थे। उन्होंने हमेशा जीवन में ऊँचाईयां पाई और उनके लिए प्रयासरत रहे।
“किसी भी इंसान को मारना आसान है, पर उनके विचारों को नहीं। बड़े साम्राज्य ढह गए, जबकि विचार बच गए।”
यह उद्धरण इस सच्चाई को बयान करता है कि विचारों की शक्ति अजेय है। भले ही एक व्यक्ति का अंत हो जाए, उसके विचार सदैव जीवित रह सकते हैं और प्रेरणा देते रह सकते हैं।
“अगर बहरों को सुनाना है तो आवाज को जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा मकसद किसी को मारना नहीं था। हमने ब्रिटिश हुकूमत पर बम गिराया था। ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आजाद करना चाहिए।”
यह उद्धरण भगत सिंह के इस विचार को स्पष्ट करता है कि उनका संघर्ष और क्रांति किसी एक विशेष व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना था।
“मैं एक सपने के लिए खड़ा हुआ हूं और प्रतिबद्ध हूं, भले ही इसे मुझे किसी भी कीमत पर क्यों न चुकाना पड़े।”
यह उद्धरण भगत सिंह की दृढ़ता और उनके विचारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वे अपने सपने और विचारों के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे।
“मैं एक इंसान हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है वह मुझे भी प्रभावित करता है।”
भगत सिंह का यह उद्धरण उनकी मानवता के प्रति उनके गहरे प्रेम को उजागर करता है। वे केवल अपने देश के लिए ही नहीं, बल्कि मानवता के लिए भी लड़ रहे थे।
“क्रांति मानव जाति का एक अनमोल अधिकार है। स्वतंत्रता सबका कभी न खत्म होने वाला जन्मसिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।”
यह उद्धरण बताता है कि क्रांति, स्वतंत्रता और श्रम मानवता के मूलाधिकार हैं। ये विचार दर्शाते हैं कि भगत सिंह कैसे समाज में समानता और न्याय की भावना में विश्वास रखते थे।
“आधुनिक युग का महान प्रतीक ध्येय क्या होगा? यह होना चाहिए कि मनुष्य मानवता के समान हो, और सारा मुक्ति संग्राम इतनी मजबूती से खड़ा हो कि कोई दूसरों को शोषित न कर सके।”
इस उद्धरण में भगत सिंह हमें यह संदेश देते हैं कि सच्ची स्वतंत्रता और क्रांति का उद्देश्य यह होना चाहिए कि मानवता के हर सदस्य को समान अधिकार और सम्मान मिले, और किसी को भी दूसरे का शोषण करने का अवसर न मिले।
“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी स्वतंत्र है।”
यह उद्धरण भगत सिंह की अदम्य इच्छाशक्ति और स्वतंत्रता की भावना को दर्शाता है। वे हर परिस्थिति में स्वतंत्र महसूस करते थे, चाहे वे जेल में ही क्यों न हों।
भगत सिंह के ये अनमोल विचार हमें न केवल देशभक्ति और स्वतंत्रता की प्रेरणा देते हैं, बल्कि हमें मानवता, करुणा, और सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं। उनकी विचारधारा आज भी हमें सही मार्ग पर चलने की ऊर्जा देती है।