एक बार की बात है, मुगल सम्राट अकबर और उनके नवरत्नों में से एक, बीरबल, एक दिन दरबार में बैठे हुए थे। अकबर अपनी समझ और ज्ञान के लिए जाने जाते थे, वहीं बीरबल अपनी चतुराई और बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थे। दिन का समय था और दरबार में सभी दरबारी हंसी-मजाक कर रहे थे।
इसी दौरान, अकबर के मन में एक विचार आया। उन्होंने बीरबल को बुलाकर कहा, “बीरबल, मुझे एक प्रश्न का उत्तर चाहिए। अगर कोई व्यक्ति धनवान हो, तो उसे जीवन में खुशी और संतोष कैसे मिल सकता है?”
बीरबल ने अकबर की बात ध्यानपूर्वक सुनी और मुस्कराते हुए उत्तर दिया, “जहांपनाह, इसे समझने के लिए एक छोटी कहानी सुनाता हूं। एक बार एक व्यक्ति था जो बेहद धनवान था, लेकिन उससे भी अधिक अहंकारी और लालची था।” बीरबल ने कहना जारी रखा, “उसका नाम सुशील था और उस व्यक्ति के पास हर साधन और सुविधा थी, परंतु फिर भी वह कभी खुश नहीं रहता था।”
एक दिन सुशील अपने गाँव के ही एक फकीर के पास गया और उससे पूछा, ‘मुझे बताओ कि मेरी जिंदगी में खुशियाँ कैसे आएंगी?’ फकीर ने उसे एक मुस्कान के साथ देखा और कहा, ‘अगर तुम सचमुच खुशी चाहते हो, तो तुम्हें अपने धन का कुछ हिस्सा दूसरों के साथ बांटना होगा।’
सुशील ने फकीर की बात को गंभीरता से लिया और अपार संपत्ति वाले दिन से अगले ही दिन यह निश्चय किया कि वह अपने धन का एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए दान करेगा। उसने गाँव में जगह-जगह भोजन और वस्त्र वितरित किया। जब उसने दूसरों की मदद की, तो उसे एक अनोखा संतोष मिला और उसके चेहरे पर ख़ुशी की झलक आने लगी।
अब बीरबल अकबर की तरफ देख कर बोले, “जहांपनाह, खुशी और संतोष हमें दूसरों की सेवा करने से मिलते हैं, चाहे हम किसी भी हालात में क्यों न हों। यही कहने का तात्पर्य है कि धन तभी खुशियां ला सकता है जब उसे सही तरीकों से उपयोग किया जाए।”
अकबर बीरबल की बुद्धिमान बातें सुनकर संतुष्ट हो गए और उनकी चतुराई की सराहना भी की। उन्होंने बीरबल को पुरस्कार देने का निश्चय किया और कहा, “आज तुमने हमें सही दिशा दिखलाई है। हमें हमेशा एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और यही सच्चा सुख है।”
चतुराई की वजह से मिला सम्मान
यह सुनने के बाद, सभी दरबारी बीरबल की चतुराई और सुजानता की तारीफ करने लगे। अकबर ने बीरबल को सम्मानित किया और दरबार में घोषणा की कि बीरबल की बातों का पालन सभी करें।
इस प्रकार, अकबर और बीरबल की इस कथा ने सबको यह सिखाया कि हमारी जीवन की सच्ची खुशी और संतोष दूसरों की भलाई में ही निहित है।
कहानी यहीं समाप्त होती है, लेकिन इसका सन्देश अमर है। हर इंसान को अपनी संपत्ति और संसाधनों का प्रयोग दूसरों की मदद के लिए करना चाहिए, ताकि वह भी संतोष और खुशी पा सके।
इसीलिए, यह कहना सही होगा कि बीरबल की बुद्धिमान सलाह ने न केवल अकबर के सवाल का समाधान किया, बल्कि सभी के जीवन में एक नया विचार भरने का काम भी किया। इस कथा से हमें भी यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में संतोष और खुशी का असली मार्ग सेवा और सहयोग में निहित है।
यह कहानी यह भी दर्शाती है कि कैसे एक छोटे से अच्छे काम का बड़ा असर हो सकता है, और हमें हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहना चाहिए।