एक समय की बात है, जब मुगल सम्राट अकबर अपने शासन में न्यायप्रियता और बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थे। उनके राज्य में बीरबल नामक एक मंत्री था, जो अपनी तर्कशक्ति और बुद्धिमानी के लिए जाना जाता था। अकबर और बीरबल के बीच अक्सर रोचक वार्तालाप और घटनाएँ होती थीं, जिनमें बीरबल की चतुराई और अकबर की सवालों पर शक्ति प्रकट होती थी।
चमत्कारी कारनामा
एक दिन अकबर ने अपने दरबारियों के बीच एक अनोखी घोषणा की। उन्होंने कहा, “जब किसी इंसान को किसी राह का पता नहीं होता है, तब वह क्या करता है?” यह सुनकर दरबारियों ने एक-दूसरे की ओर देखा और एक-दूसरे से राय पूछी, लेकिन कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया।
तब अकबर ने कहा, “इस प्रश्न का उत्तर केवल बीरबल ही दे सकता है।” उन्होंने बीरबल को बुलवा लिया और वही प्रश्न उनके सामने रखा। बीरबल ने अकबर की तरफ मुस्कुराते हुए कहा, “महाराज, मैं इसका उत्तर आज ही एक छोटी यात्रा कर के बता सकता हूँ।” अकबर ने सहमति दी और उन्हें जाने की अनुमति दी।
बीरबल की यात्रा
बीरबल ने यात्रा के लिए तैयारी की और अपने सिपाही और सेवकों के साथ शहर के बाहर की ओर चलने लगे। उन्होंने एक अजीब आदेश दिया कि जब तक हम रास्ते में किसी भी इंसान से मिलने न जाएं, हम बिना रुके चलते रहेंगे। रास्ते में बीरबल ने अपने सेवकों से कहा कि वे बीरबल के पीछे आएं और उन्हीं के कदमों के निशानों पर चलें।
कुछ समय बाद, बीरबल और उनके सेवकों का एक लंबा समूह शहर के बाहर एक बड़े बगीचे में पहुंचा। अचानक, बीरबल ने एक राहगीर को देखा और उसके पास आकर पूछा, “कृपया मुझे बताएं कि यहाँ से राजधानी कैसे पहुँचा जा सकता है?”
राहगीर ने उनकी ओर देखा और कहा, “मुझे भी इस राह का पता नहीं है, लेकिन आप मेरे पीछे चल सकते हैं, मैं आपको यहाँ की दूसरी तरफ ले चलूँगा।” बीरबल उसी राहगीर के पीछे चलने लगे।
सत्य का उद्घाटन
जब बीरबल और उनके सेवक पैदल चलते हुए काफी दूर पहुँच गए, तब बीरबल ने उस राहगीर से कहा, “धन्यवाद, अब हमें अपना रास्ता मिल गया है।” वह अपने साथियों के साथ वापस राजधानी लौट आए। बीरबल ने अकबर को इस घटना के बारे में बताया और कहा, “महाराज, जब किसी को रास्ता नहीं पता होता है, तो वह किसी अनुभवी इंसान के पीछे चलता है और उसी का अनुसरण करता है।”
अकबर ने बीरबल की चतुराई और उनकी तार्किक बुद्धिमता की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा, “बीरबल, तुमने एक बार फिर साबित कर दिया कि तुम्हारी बुद्धिमता और तर्कशक्ति अतुलनीय है।”
निष्कर्ष
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे जीवन में जब भी हम किसी अनिश्चित मार्ग पर होते हैं, तो हमें किसी योग्य और अनुभवी व्यक्ति का अनुसरण करना चाहिए। बीरबल की चतुराई और उनकी हार्दिकता हमारे लिए एक प्रेरणा बनती है, जो हमें नई रहने और सही दिशा में चलने की सिख देती है।