Tourist Places in Delhi अर्थात इस आर्टिकल में आप पढेंगे राजधानी दिल्ली में दर्शनीय स्थलों के बारे में विस्तार से एक निबंध. दिल्ली भारत की राजधानी है और इसके बारे में और पढने के लिए यह निबंध ज़रूर पढ़े: भारत की राजधानी – दिल्ली पर निबंध | Essay on Delhi in Hindi
राजधानी दिल्ली : दर्शनीय स्थल
दिल्ली आज ही भारत की राजधानी नहीं बनी, बल्कि पाण्डवों के काल से यह गौरव से मण्डित होती आ रही है । ही, आज जिस स्थान पर यह स्थित है, राजधानी के रूप में यह स्थान और नाम अवश्य कई बार बदल चुकी है । कहा जा सकता है कि मेरठ या रोपड आदि के आस-पास स्थित हस्तिनापुर गाँव से लेकर महरौली और छतरपुर तक के इलाके मे इस राजधानी का रूप बनता-बिगडता रहा है । जो और जैसा भी हो, इसका अतीत तो गौरवपूर्ण रहा ही, वर्तमान भी गौरवपूर्ण है । भविष्य की राम जाने । राजधानी दिल्ली के बाहर-भीतर अनेक ऐतिहासिक एव नव-विनिर्मित आधुनिक दर्शनीय स्थान हैं ।
कभी बान्दनी चौक का बाजार राजधानी की शान समझा जाता था । वहाँ एक नहर भी बहा करती थी, वह न रही । फिर टाउन हॉल के सामने एक घण्टाघर बना, जो गिर कर समाप्त हो गया । आज चान्दनी चौक का महत्त्व इसके आस-पास के हर प्रकार के आवश्यक सामान की उपलब्धता के कारण है । ही, कुछ ऐतिहासिक मस्जिदें, गुरुद्वारा शीशगज, अब सूखा पड़ा फव्वारा, लाल मन्दिर, दीवान हॉल, गौरी शंकर का मन्दिर, जैन मन्दिर आदि स्थान आज भी इसका महत्त्व बनाए और बढाए हुए हैं ।
इन सब के सामने है ऐतिहासिक लाल किला. जहाँ प्रतिवर्ष राष्ट्रीय ध्वज फहराकर स्वतंत्रता-दिवस मनाया जाने के कारण आधुनिक दृष्टि से भी इसका महत्त्व बढ गया है । इस के ठीक सामने बाएँ हाथ पर पडती है प्रसिद्ध जामा मस्जिद । दायीं ओर कुछ दूरी पर एक चर्च र्भो है । एक रास्ता ऐतिहासिक काश्मीरी गेट और जरनल पोस्ट ऑफिस की तरफ चला जाता है, जबकि दूसरा .दरियागंज होते हुए उस खूनी दरवाजे और दिल्ली गेट की तरफ, जहाँ कितने ही स्वतत्रता-सेनानियो को सन् 1857 मे फांसी पर लटका दिया गया था । थोडे आगे बढने पर समाचारपत्रों के कार्यालय, नेहरू डील म्युजियम, उसके सामने भीतर जाकर बालभवन जैसे दर्शनीय स्थल हैं ।
लाल किले के पीछे आधुनिक भारत के निर्माता महात्मा गान्धी, जवाहर लाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इन्दिरा गान्धी, राजीव गांधी आदि की समाधियाँ भी दर्शनीय और मन को शान्तिपूर्ण गौरव प्रदान करने वाले स्थल हैं । इन्हें राष्ट्र के गौरव स्थल भी कहा-माना जाता है । इनके अतिरिक्त हजरत निजामुद्दीन औलिया का मजार, साथ ही बना अमीर खुसरो का मजार आदि पवित्र स्थान का भी दर्शनीय महत्त्व है कि जहाँ आकर सभी जातियो धर्मो के लोग आदर और नम्रता के साथ नतमस्तक हो जाया करते हैं ।
इस स्थान से बाहर पर थोडी दूर पर बनी महाकवि और महान् सेनापति अचूर्रहीम खानखाना की समाधि तो है ही, पुराना किला भी है कि जिसे कुछ लोग पाण्डवो का किला भी कहते-मानते हैं । इसी की बगल और छाया मे बना हुँ चिडियाघर, जहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी आरक्षित रह कर आगन्तुक दर्शकों का मन अपनी क्रियाओ से मोहित कर लिया करते हैं । शहर के भीतर बल्लीमारान मे मिर्जा गालिब का घर भी यात्रा-स्थल माना जाता है ।
अनेक पुरानी बावड़ियों, ऐतिहासिक मदरसा और भवन भी दर्शनीय कहे जाते हैं । कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मन्दिर, गोल मार्कीट के सामने स्थित बिरला मन्दिर के नाम से जाना जाने वाला विशाल लक्ष्मीनारायण का मन्दिर, कई बौद्ध-जैन स्थानक भी यहाँ विद्यमान हैं । नगर सीमा से बाहर निकल जाने पर ओखला बेराज एक अच्छा पिकनिक स्थल माना जाता रहा है । इसी प्रकार कुतुब मीनार भी अपने ऐतिहासिक एवं रोमानी वातावरण के कारण दिल्ली आने वालों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है ।
वर्हो स्थित योगमाया का मन्दिर, फूल वालों की सैर-स्थल, छतरपुर स्थित देवी-मन्दिर, कुतुब की लाट के पास स्थित अशोक की लाट, आस-पास के भग्नावशेष सभी कुछ आकर्षक एवं दर्शनीय हैं-यद्यपि अब इस तरह के सभी स्थान लूटने-लुटाने के कारण भी प्रसिद्ध हो चुके हैं । दिल्ली के आस-पास और भी कई ऐतिहासिक भग्नावशेष विद्यमान हैं । तुगलकाबाद का टूटा-फूटा किला जहाँ कभी राजधानी दिल्ली ही आबाद थी, कम रोमानी और दर्शनीय स्थान नहीं है । बदरपुर की सीमा के पास स्थित सूरजकुण्ड भी कभी दिल्ली का ही अंग था जो अब एक विकसित आधुनिक पर्यटन स्थल बन चुका है ।
इधर काश्मीरी गेट के बस अहुए के पास बना कुदसिया महल और पार्क भी इतिहास की धरोहर हैं । नई दिल्ली का कनॉट प्लेस और वहाँ का रईसी वातावरण अपना अलग ही महत्त्व रखता है । वहाँ छोटे-बडे अनेक दर्शनीय पार्क और बागीचे भी हैं । लोदी गार्डन, तालकटोरा गार्डन बुद्ध जयन्ती पार्क, जैन-शान्ति पार्क तो दर्शनीय है ही राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन भी दर्शनीय है । यों सारा राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि आधुनिक शिल्प के भव्य नमूने होने के कारण दर्शनीय हैं ।
इसके सामने स्थित विजय चौक जहाँ गणतंत्र दिवस की भव्य परेड होती है, उससे कुछ दूरी पर स्थित इण्डिया गेट, वहाँ हमेशा प्रज्वलित रहने वाली जय जवान ज्योति स्वतंत्रता-संघर्ष का स्मरण करा देती है । उसकी बगल मे चिल्हन पार्क तो है ही आस- पास के हरियाले लीन भी बडे भव्य एवं आकर्षक हैं । यमुना नदी की चर्चा और दर्शन किए बिना दिल्ली-दर्शन को सम्पूर्ण माना ही नहीं जा सकता । इस प्रकार नए-पुराने के सम्मिश्रित रूप में आज दिल्ली का चप्पा-चप्पा दर्शनीय कहा जा सकता है ।
दिल्ली आज ही भारत की राजधानी नहीं बनी, बल्कि पाण्डवों के काल से यह गौरव से मण्डित होती आ रही है । ही, आज जिस स्थान पर यह स्थित है, राजधानी के रूप में यह स्थान और नाम अवश्य कई बार बदल चुकी है । कहा जा सकता है कि मेरठ या रोपड आदि के आस-पास स्थित हस्तिनापुर गाँव से लेकर महरौली और छतरपुर तक के इलाके मे इस राजधानी का रूप बनता-बिगडता रहा है । जो और जैसा भी हो, इसका अतीत तो गौरवपूर्ण रहा ही, वर्तमान भी गौरवपूर्ण है । भविष्य की राम जाने । राजधानी दिल्ली के बाहर-भीतर अनेक ऐतिहासिक एव नव-विनिर्मित आधुनिक दर्शनीय स्थान हैं ।
कभी बान्दनी चौक का बाजार राजधानी की शान समझा जाता था । वहाँ एक नहर भी बहा करती थी, वह न रही । फिर टाउन हॉल के सामने एक घण्टाघर बना, जो गिर कर समाप्त हो गया । आज चान्दनी चौक का महत्त्व इसके आस-पास के हर प्रकार के आवश्यक सामान की उपलब्धता के कारण है । ही, कुछ ऐतिहासिक मस्जिदें, गुरुद्वारा शीशगज, अब सूखा पड़ा फव्वारा, लाल मन्दिर, दीवान हॉल, गौरी शंकर का मन्दिर, जैन मन्दिर आदि स्थान आज भी इसका महत्त्व बनाए और बढाए हुए हैं ।
इन सब के सामने है ऐतिहासिक लाल किला. जहाँ प्रतिवर्ष राष्ट्रीय ध्वज फहराकर स्वतंत्रता-दिवस मनाया जाने के कारण आधुनिक दृष्टि से भी इसका महत्त्व बढ गया है । इस के ठीक सामने बाएँ हाथ पर पडती है प्रसिद्ध जामा मस्जिद । दायीं ओर कुछ दूरी पर एक चर्च र्भो है । एक रास्ता ऐतिहासिक काश्मीरी गेट और जरनल पोस्ट ऑफिस की तरफ चला जाता है, जबकि दूसरा .दरियागंज होते हुए उस खूनी दरवाजे और दिल्ली गेट की तरफ, जहाँ कितने ही स्वतत्रता-सेनानियो को सन् 1857 मे फांसी पर लटका दिया गया था । थोडे आगे बढने पर समाचारपत्रों के कार्यालय, नेहरू डील म्युजियम, उसके सामने भीतर जाकर बालभवन जैसे दर्शनीय स्थल हैं ।
लाल किले के पीछे आधुनिक भारत के निर्माता महात्मा गान्धी, जवाहर लाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इन्दिरा गान्धी, राजीव गांधी आदि की समाधियाँ भी दर्शनीय और मन को शान्तिपूर्ण गौरव प्रदान करने वाले स्थल हैं । इन्हें राष्ट्र के गौरव स्थल भी कहा-माना जाता है । इनके अतिरिक्त हजरत निजामुद्दीन औलिया का मजार, साथ ही बना अमीर खुसरो का मजार आदि पवित्र स्थान का भी दर्शनीय महत्त्व है कि जहाँ आकर सभी जातियो धर्मो के लोग आदर और नम्रता के साथ नतमस्तक हो जाया करते हैं ।
इस स्थान से बाहर पर थोडी दूर पर बनी महाकवि और महान् सेनापति अचूर्रहीम खानखाना की समाधि तो है ही, पुराना किला भी है कि जिसे कुछ लोग पाण्डवो का किला भी कहते-मानते हैं । इसी की बगल और छाया मे बना हुँ चिडियाघर, जहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी आरक्षित रह कर आगन्तुक दर्शकों का मन अपनी क्रियाओ से मोहित कर लिया करते हैं । शहर के भीतर बल्लीमारान मे मिर्जा गालिब का घर भी यात्रा-स्थल माना जाता है ।
अनेक पुरानी बावड़ियों, ऐतिहासिक मदरसा और भवन भी दर्शनीय कहे जाते हैं । कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मन्दिर, गोल मार्कीट के सामने स्थित बिरला मन्दिर के नाम से जाना जाने वाला विशाल लक्ष्मीनारायण का मन्दिर, कई बौद्ध-जैन स्थानक भी यहाँ विद्यमान हैं । नगर सीमा से बाहर निकल जाने पर ओखला बेराज एक अच्छा पिकनिक स्थल माना जाता रहा है । इसी प्रकार कुतुब मीनार भी अपने ऐतिहासिक एवं रोमानी वातावरण के कारण दिल्ली आने वालों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है ।
वर्हो स्थित योगमाया का मन्दिर, फूल वालों की सैर-स्थल, छतरपुर स्थित देवी-मन्दिर, कुतुब की लाट के पास स्थित अशोक की लाट, आस-पास के भग्नावशेष सभी कुछ आकर्षक एवं दर्शनीय हैं-यद्यपि अब इस तरह के सभी स्थान लूटने-लुटाने के कारण भी प्रसिद्ध हो चुके हैं । दिल्ली के आस-पास और भी कई ऐतिहासिक भग्नावशेष विद्यमान हैं । तुगलकाबाद का टूटा-फूटा किला जहाँ कभी राजधानी दिल्ली ही आबाद थी, कम रोमानी और दर्शनीय स्थान नहीं है । बदरपुर की सीमा के पास स्थित सूरजकुण्ड भी कभी दिल्ली का ही अंग था जो अब एक विकसित आधुनिक पर्यटन स्थल बन चुका है ।
इधर काश्मीरी गेट के बस अहुए के पास बना कुदसिया महल और पार्क भी इतिहास की धरोहर हैं । नई दिल्ली का कनॉट प्लेस और वहाँ का रईसी वातावरण अपना अलग ही महत्त्व रखता है । वहाँ छोटे-बडे अनेक दर्शनीय पार्क और बागीचे भी हैं । लोदी गार्डन, तालकटोरा गार्डन बुद्ध जयन्ती पार्क, जैन-शान्ति पार्क तो दर्शनीय है ही राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन भी दर्शनीय है । यों सारा राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि आधुनिक शिल्प के भव्य नमूने होने के कारण दर्शनीय हैं ।
इसके सामने स्थित विजय चौक जहाँ गणतंत्र दिवस की भव्य परेड होती है, उससे कुछ दूरी पर स्थित इण्डिया गेट, वहाँ हमेशा प्रज्वलित रहने वाली जय जवान ज्योति स्वतंत्रता-संघर्ष का स्मरण करा देती है । उसकी बगल मे चिल्हन पार्क तो है ही आस- पास के हरियाले लीन भी बडे भव्य एवं आकर्षक हैं । यमुना नदी की चर्चा और दर्शन किए बिना दिल्ली-दर्शन को सम्पूर्ण माना ही नहीं जा सकता । इस प्रकार नए-पुराने के सम्मिश्रित रूप में आज दिल्ली का चप्पा-चप्पा दर्शनीय कहा जा सकता है ।
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