संत कबीर दास हमारे देश के एक महान कवि, दार्शनिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक थे। उनका जन्म एक निम्न जाति के परिवार में हुआ था लेकिन वह भारत के सबसे महान संतों में से एक बन गए। उनका जीवन सादगी, नम्रता और करुणा से परिपूर्ण था।
कबीर दास ईश्वर की एकता में दृढ़ विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा कि केवल एक ही ईश्वर है जिसने पूरे ब्रह्मांड की रचना की है। उन्होंने उस समय प्रचलित सभी प्रकार के अनुष्ठानों और समारोहों को अस्वीकार कर दिया। उनके अनुसार, लोगों को अपना समय बेकार की गतिविधियों में बर्बाद नहीं करना चाहिए बल्कि खुद के आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
कबीर दास को “दोहरा” कहे जाने वाले दोहे लिखने की उनकी बुद्धिमत्ता के लिए भी जाना जाता था। इन दोहरे में प्रेम, समानता और न्याय की शिक्षाएं हैं। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य समान हैं और सम्मान के पात्र हैं। उनके दर्शन का आज भी देश भर में लोग अनुसरण करते हैं, विशेषकर वे जो संत मत के मार्ग पर चलते हैं।
कबीर दास की विरासत आज भी उनकी सशक्त रचनाओं के माध्यम से जारी है। उनसे जुड़ी जगहों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। वह एक महान संत, कवि और दार्शनिक थे जिन्होंने भारतीय इतिहास पर अविस्मरणीय छाप छोड़ी।