Essay on Radio in Hindi अर्थात इस आर्टिकल में आप पढेंगे, आकाशवाणी (रेडियो) पर निबंध हिन्दी भाषा में.
आकाशवाणी (रेडियो)
आकाशवाणी अथवा रेडियो आधुनिक विज्ञान की एक ऐसी देन है, जिस ने सामने आकर आधुनि न् मानव-समाज को सर्वाधिक प्रभावित एवं आकर्षित किया था । यह एक प्रकार का ऐसा ‘ श्रधा माध्यम है कि जो कई तरह की जानकारियाँ, शिक्षाएँ समाचार आदि देने के साथ-साथ घर बैठे-बैठे अनेक तरह से हमारा मनोरंजन भी किया करता है । आज यद्यपि श्रव्य के साथ दृश्य माध्यम भी जुड़ कर वही सब और भी प्रभावशाली रूप एवं ढंग से करने लगा है, फिर भी इसका महत्त्व किसी तरह से कम नहीं हुआ है ।
महानगर, नगर, करा, गाँव सभी जगह इसाष्ठा प्रयोग बदस्तुर जारी है । इसकी लोकप्रियता में भी अभी तक किसी तरह की कमी नहीं आई है । रेडियो या आकाशवाणी का आविष्कार इटली के मार्कोनी नामक एक वैज्ञानिक ने किया था । मार्कोनी ने शान्त जल में पत्थर का टुकड़ा फेंकने से उत्पन्न लहरों से प्रेरणा पा कर यह प्रयोग द्वारा. जाँचा और प्रमाणित किया कि उस तरह कि लहरें मनुष्यों के मुख से निकलने वाली ध्वनियों ‘ में भी हुआ करती हैं । वे वायुमण्डल या अन्तरिक्ष में सरोवर-जल में बनी लहरों के समान ही संचरित होती रहा करती हैं ।
सो वह कई प्रकार के विद्युत यंत्र बना कर उन ध्वनि-तंरगों को पकड़ने का अनवरत प्रयास करता रहा । उस प्रयास का परिणाम ही अन्त में आकाशवाणी के रूप में हमारे सामने आकर सभी को चकित कर गया । विज्ञान की एक महत्त्वपूर्ण खोज, एक सदा-बहार आविष्कार बन गया । आजकल जिसे आकाशवाणी प्रसारण केन्द्र या रेडियो स्टेशन कहा जाता है, वहाँ कई तरह के ध्वनि-विस्तारक आरक्षित केन्द्र हुआ करते हैं । वहाँ नृत्य, संगीत, वाद्य-यंत्र, समाचार, नाटक-गीत आदि ध्वनियों को पहले अन्तरिक्ष में समग्र एवं सकुशल फैलाव या विस्तार का अवसर प्रदान किया जाता है । उसके बाद एक यंत्र द्वारा उन फैली ध्वनि-तरंगों को पकड़कर अपने में समेट लिया करता है । तब उन्हें रेडियो या आकाशवाणी द्वारा प्रसारित कर दूर-निकट के श्रोताओं तक ठीक उसी रूप में पहुँचाया जाता है कि जैसे उन्हें बोला या उच्चरित किया गया था ।
मार्कोनी के इस आविष्कार को जन-जन तक पहुँचाने वाला पहला केन्द्र सन् 1921 में इंग्लैण्ड में स्थापित किया गया था । वहाँ से पहली बार इंग्लैण्ड से लेकर न्यूजीलैण्ड तक समाचार प्रसारित एवं प्रेषित कर के इस आविष्कार ने सारे विश्व को चकित एवं विस्मित कर दिया था । इस प्राथमिक सफलता के बाद और भी इस पर कार्य होता रहा । अन्य अनेक वैज्ञानिकों के अनवरत प्रयास एवं सफल विकास से आकाशवाणी का वह उन्नत-विकसित रूप सामने आया कि जिस का आज सारे विश्व में समान रूप से छोटे-बड़े कई रूपों में सफल उपयोग हो रहा है ।
आकाशवाणी का उपयोग कई प्रकार से हो रहा है, इस कारण इसका महत्त्व भी बहुत अधिक है । यह हजारों-लाखों कलाकारों, तकनीशियनों, निर्माताओं, विक्रेताओं, दफ्तरी कर्मचारियों के घर-परिवारों के लिए रोटी-रोजी का साधन बना हुआ है । यह तो हुआ इस से प्राप्त आर्थिक लाभ का एक पहलू । और जो अनेक प्रकार के उपयोग एवं लाभ हैं, उनसे हम सभी भली-भाँति परिचित हैं । आकाशवाणी प्रतिदिन सुबह से लेकर रात सोने तक ताजे समाचारों के छोटे-बड़े अनेक बुलेटिन प्रसारित किया करता है ।
ऐसा कर के वह हर व्यक्ति की जानकारियों को सहज ही अन्तर्राष्ट्रीय आयाम प्रदान कर देता है । रात के समय विशेषकर और दिन के समय भी इसकी विदेश-सेवा अपने कार्यक्रमों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय संसार को भारत का परिचय देकर उन्हें एक तरह से हम से मिलाया करती है । आकाशवाणी अन्य कई तरीकों से भी हमारे ज्ञान में वृद्धि करती रहती है ।
नई-से-नई सूचनाएं, कृषि-कार्यों और मौसम आदि की जानकारी, राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर वार्ताएं एवं सम्बाद, साहित्यिक गतिविधियों की जानकारी और प्रसारण, कला-साहित्य की. समीक्षाएँ, यहाँ तक कि. छात्रों के लिए परीक्षोपयोगी विषयों का प्रसारण इसी प्रकार का हुआ करता है । नृत्य, गीत, संगीत, फिल्मी संगीत-गीत, फिल्मी कहानियों, कवि-गोष्ठियों और मुशायरों का प्रसारण, पत्रोत्तर, चित्रसंगीत-कथाओं का प्रसार करते रहकर आकाशवाणी हमारे लिए मनोरंजन की प्रचुर सामग्री भी प्रस्तुत करती रहती है ।
मनोरंजन के अन्य जितने भी विधात्मक रूप हैं जैसे-नाटक, रेडियो-रूपक, झलकियाँ, चुटकले आदि भी इस पर अक्सर सुनकर भरपूर मनोरंजन पाया जा सकता है । इस तरह ज्ञान और मनोरंजन-पिपासा का शमन साथ-साथ हुआ करता है ।आकाशवाणी व्यापारिक जानकारिंयों का भी अच्छा साधन है ।
इस पर तरह-तरह के उत्पादों के विज्ञापन प्रसारित हुआ करते हैं । खोया-पाया, रेलवे और वायुयान आदि की समय-सारिणी, बाजार-भाव भी बताए जाते हैं । इस प्रकार आकाशवाणी को ‘भानुमती का पिटारा’ उचित ही कहा जा सकता है कि जिसके खुलते तरह-तरह के कबूतर, अन्य रंग-बिरंगे पक्षी उड कर हमारा सब प्रकार का मनोरंजन तो कर ही जाते हैं, हमारे ज्ञान-विज्ञान की सीमाओं को भी यथोचित विस्तार एवं नया आयाम प्रदान कर जाया करते हैं । इन्हीं सब तथ्यों के आलोक में आकाशवाणी का स्पष्ट महत्त्व रेखांकित किया जा सकता है ।
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