इस article में आप पढेंगे, भारत के प्रसिद्ध त्योहारों पर लिखा गया एक निबंध अर्थात Famous or Popular Festivals of India Essay in Hindi.
इस article में नीचे दिए गए Table of Contents में दर्शाए गए festivals अथवा त्योहारों का collection है.
Contents
प्रसिद्ध त्योहार
पंजाब के लोग बहुत ही खुशदिल एवं परिश्रमी होते हैं । वे कठिन परिश्रम तो करते हो हैं साथ-साथ वे अपने कष्टों एवं परेशानियों को .दूर करने के लिए मनोरंजन के साधन भी जुटा लेते है । वे प्रत्येक त्योहार को मिलजुल कर बड़ी धूम- धाम से मनाते हैं । भारत एक ऐसा देश है जहां सबसे अधिक त्योहार मनाए जाते हैं और भारत में पंजाब में प्रत्येक त्योहार की अपनी खासियत है । प्रत्येक त्योहार वरो मनाने के पीछे कोई न कोई कारण होता है । पंजाब में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं जैसे लोहड़ी. बसन्त पंचमी, वैसाखी, राखी, दशहरा, दीपावली, गुरुओं के पर्व .आदि ।
लोहड़ी
लोहड़ी पंजाब का प्रसिद्ध त्योहार है । यह माघ मास की सक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है । इस त्योहार पर रात के समय लकड़ियां जला कर लोग हाथ सेंकते हैं तथा रेवड़ी, मूंगफली, गुड, चिड्वे खाए .तथा -बांटे जाते .हैं । जिसके घर पहली लोहड़ी हो, या शादी के बाद पहली लोहड़ी हो तो वहां तो लोहड़ी का नजारा ही -कुछ उगेर होता है । ढोल तथा संगीत के साथ खूब धूमधाम होती है । लोगों को न्योता दिया जाता है तथा बड़ी सूमस्राम से इस त्योहार को मनाया जाता है । लोहड़ी से कुछ दिन पहले ही बने घर-घर जाकर लोहड़ी मांगते हैं और लोहड़ी का गीत गाकर लोहड़ी मांगते हैं –
सुंदर मुंदरिये हो
तेरा कौन विचारा हो
दुल्हा भट्टी वाला हो
दुल्हे दी धी विहाई हो
सेर शक्कर पाई हो
बसन्त पंचमी
भारत कई छ : ऋतुएं ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर हेमन्त और बसंत हैं । बसंत ऋतु को ऋतुराज माना जाता है । यह त्योहार प्रतिवर्ष भारत में माघ सुदी पंचमी के दिन मनाया जाता है । इस अवसर पर बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर मानव पर एक नया रूप छाया रहता है । प्रकृति की सुन्दर छवि देखकर सभी विभोर हो उठते हैं । सभी लोग इस दिन पीले वस्त्र धारण करते है तथा पीला हलवा बनाते हैं । स्त्रियां ड्स दिन पीली चुन्तियां तथा सिक्स पीली दसतार पहनते हैं । जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्र उतारकर नए वस्त्र धारण करता है । उसी प्रकार ऋतु में प्रकृति भी नया चोला धारण करती है । बसन्त ऋतु के आगमन पर उसके स्वागत के लिए लोग उत्सव मनाते हैं । इसका नाम बसन्त पंचमी है । इस दिन सरस्वती मां का पूजा की जाती है । यह त्योहार देश रक्षा और ध्यर्म रक्षा की प्रेरणा भी देता है । चमकौर साहिब के युद्ध में श्री गुर; गोबिंद सिंह जी के बच्चों की शहीदी, हकीकत राय की धर्म की खातिर बलिदान की स्मृति दिलाकर यह उत्सव सभी के अंदर देश तथा धर्म की खातिर मर मिटने के लिए जोश उत्पन्न करता है ।
वैसाखी
वैसाखी पंजाब का प्रसिद्ध त्योहार है । यह त्योहार अप्रेल के महीने में मनाया जाता है । जब किसानों की गेहूं की फसल पक कर तैयार हो जाती है तथा कटने के लिए तैयार हो जाती रै तो किसान अपनी लहलहाती फसल को देखकर खुशी से झूम उठता है । इस दिन कर्ड स्थानों पर मेले लगते हैं । बच्चे बूढ़े नौजवान तथा महिलाएं सभी मेला देखने जाते हैं । मेले में ढोल बजते हैं, गीत गाए जाते हैं । गुरुद्वारों में लंगर लगाए जाते है । पंजाबियों के लिए इस त्योहार का धार्मिक एवं साहित्यिक महत्त्व है । इसी दिन 1699 ई. में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी । अमृतसर का जलियांवाला बाग का हत्याकांड भी 1919 ई. में इसी दिन हुआ था । इसी त्योहार को हिंदू एवं सिक्स मिलजुल कर खुशी से मनाते हैं । सूर्य के इर्द-गिर्द वर्ष भर का चक्कर लगाकर पुश्वी जब दूसरा चक्कर आरंभ करती है तो इस दिन वैसाखी होती है । इसलिए सौर वर्ष का यह पहुल। दिन माना जाता है । इस दिन लोग नदियों तथा तीर्थों पर स्नान करने जाते हैं । करतारपुर में वैसाखी का मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । ड्स दिन लोग खूब अन्नदान करते हैं । मित्रों को नए वर्ष की बधाई देते हैं तथा कामना करते हैं कि यह वर्ष सभी के लिए शुभ हो ।
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन भाई–बहन के प्रेम का प्रतीक है । रक्षा की कामना के प्रतीक के रूप में पहले इसका प्रयोग हुआ । युद्ध में जाते समय, व्यापार करने के लिए जाते समय पहले स्त्रियां पुरुषों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर पति के सुरक्षित लौटने की कामना करती थीं । देवों तथा राक्षसों के मध्य युद्ध छिड़ जाने पर इन्द्र के युद्ध भूमि में जाने से पूर्व उसकी पत्नी शची ने अपने पति को रक्षा सूत्र बांधा था । उगश्रित भी सशक्तों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर उनसे प्रण लेते थे कि वे उनकी रक्षा करेंगे । सिकंदर, पोरस के मध्य युद्ध में सिकन्दर की प्रेमिका ने पोरस की कलाई पर राखी बांधकर अपने प्रेमी की प्राण रक्षा का वचन लिया था । यही कारण है कि सिकन्दर वध के बार -बार अवसर मिलने पर भी पोरस ने सिकंदर का वध नहीं किया । इस त्योहार से कुछ दिन पहले ही दुकानें रंग-बिरंगी राखियों से सजी होती हैं । पहले तो कैवल मौली का धागा ही राखी की जगह बांधा जाता था परंतु आज अनेक प्रकार की सुंदर-सुंदर राखियां बाजारों में उपलब्ध हैं । बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं तथा उन्हें मिठाई खिलाती हैं । भाई की लंबी उम्र की दुआ करती हैं । भाई भेंट स्वरूप बहन को पैसे देता है तथा उसकी रक्षा का प्रण लेता है । यह त्योहार प्रतिवर्ष श्रावण में पूर्णमासी के दिन अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है । आश्रितों की रक्षा से होता हुआ यह त्योहार विशेषकर भाई द्वारा बहन की रक्षा तक सीमित हो गया है । गुजरात देश के बादशाह बहादुरशाह जफर ने चित्तौड़ पर उराक्रमण किया तो महारानी कर्मवती ने जब अपने देश तथा अपने सतीत्व को विपदा में देखा तो उसने रक्षाबंधन के सूत्र को हुमायूं के पास भिजवाया तथा भाई कहकर अपने बचाव की प्रार्थना की. बादशाह हुमायूं ने रानी कर्मवती द्वारा भेज इस सूत्र को हाथ में बांधा एवं पत्र पढ़कर तुरन्त सेना सहित बहन कर्मवती की लाज बचाने के लिए प्रस्थान कर दिया ।
दशहरा
दशहरा शरद ऋतु के प्रधान त्योहारों में से एक है । यह आश्विन मास को शुक्ला दशमी तिथि को मनाया जाता है । इसे विजयदशमी भी कहा जाता हैं । विशेष तौर पर यह हिंदुओं का त्योहार है । अन्य त्योहारों की भांति इस त्योहार का संबंध भी पौराणिक घटना से है । दुर्गा माता ने दुर्दांत दैत्य से नौ दिन तक संघर्ष किया था । अश्वनी शुक्ला दशमी को दसवें दिन महिषासुर का वध किया । तभी से आश्विन शुक्ला दशमी को दुर्गा पूजा की जाती है । बंगाल में दुर्गा पूजा का उत्सव अत्यंत उल्लास एवं श्रद्धा से मनाया जाता है । विजयदशमी से पहले नवरात्रों में दुर्गा पूजा की जाती है और दसवें दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा को नदी या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है । उत्तर भारत में यह त्योहार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की रावण पर विजय कं प्रतीक में मनाया जाता है । इस दिन श्री राम ने रावण को मारकर सीता जी को रावण की कैद से मुक्त करवाया था । दशहरे से कुछ दिन पहले ही जगह-जगह पर राम लीला प्रारंभ हो जाती है जिसमें भगवान राम के जीवन-चरित्र की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं । दशहरा रामलीला का अंतिम दिन होता है । इस दिन विशाल मैदान में रावण । कुंभकराग तथा मेघनाथ के वध का अभिनय किया जाता है तथा अंत में उन पुतला में आग लगा दी जाती है । उन पुतलों में आतिशबाजियां भर दी जाती हैं । इस दिन नगर में खूब धूमधाम रहती है । जगह-जगह पर मेले लगते हैं । दशहरे का दिन हमें यह प्रेरणा देता है कि सत्यमेव जयते अर्थात् सत्य की हमेशा विजय होती है । मर्यादा पुरुषोत्तम राम से जुड़ा यह त्योहार हमें भगवान राम के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देता है । हमें चाहिए कि हम भी बुरी प्रवृत्तियों तथा अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करें तथा न्याय, मत्य एवं धर्म की रक्षा के लिए कुरत संकल्प हों । विद्यार्थियों को राम के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए कि वे भी गम के समान आज्ञाकारी, वीर. साहसी एवं प्रजापालक बनने का संकल्प लें तथा असुरी प्रवृत्तियों को नष्ट करने के लिए सदा तत्पर रहें ।
दीपावली
दीपावली शब्द दीप । अवली शब्द मे मिलकर बना है जिसका अर्थ है दीपों की पंक्ति या अवली या माला । इस त्योहार पर घर-घर में दीप जलाए जाते हैं । इसलिए इसका नाम दीपावली पड़ा । -यह त्योहार कार्तिक मास की .अमावस्या को मनाया जाता है । इस त्योहार को मनाने के अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पौराणिक कारण हैं । .इस दिन श्री रामचंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे । अयोध्यावासियों ने उनके आने की खुशी में दीप जलाए थे । तभी से यह त्योहार दीप जलाकर मनाया जाता है । इस त्योहार को मनाने के अनेक धार्मिक-, सांस्कृतिक एवं पौराणिक कारण हैं । इस दिन -प्री राम चंद्र जी -चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे । अयोध्यावासियों ने उनके आने की खुशी में दीप जलाए थे । तभी .से यह त्योहार दीप जलाकर मनाया जाता है । जैन खि के अनुयायियों के अनुसार इसी दिन जैन मत के प्रवर्तक महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था । इसी दिन अयि समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद को भी निर्वाण प्राप्त हुआ । सिद्ध हर्ग्म के छटे गुरु हर गोबिंद सिंह जी इसी दिन कारागार से ‘मुक्त हुए थे । कई भक्तों के अनुसार इस दिन से एक दिन पूर्व श्रीकृणा ने नरकासुर का वध किया था तथा इसी दिन श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की इंद्र के कोप से बचाया था । इसी दिन स्वामी रामतीर्थ देह को त्यागकर एउक्त हो गए थे । इसलिए दीपावली का दिन सभी भारतवासियों के’ लिए पु}यकारक दिन है । दीपावली का त्योहार अपने साथ अनेक त्योहार लेकर आता है । दीपावली से दो दिन पहले त्रयोदशी के दिन धनतेरस मनाया जाता है । इस दिन लोग नए बर्तन खरीदते हैं । चर्तुदशी को नरक चौदस तथा अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है । दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है । दीपावली की तैयारियां कई दिन पहले ही प्रारंभ हो जाती हैं । लोग अपने घरों, दुकानों में सफाईयां करवाते हैं तथा रंग-रोगन करवाते हैं । बाजार सजे होते हैं । बाजारों में खूब चहल-पहल होती है । हर शहर दुल्हन की तरह सजे नजर आते हैं । दीपावली के दिन लक्ष्मी- गणेश तथा सरस्वती की पूजा की जाती है । संबंधियों तथा मित्रों को तोहफे तथा मिठाईयां दी जाती हैं । दीपावली की रात को कुछ लोग जुआ खेलते हैं तथा शराब पीते हैं । इस प्रकार वे दीपावली की पवित्रता को भंग कर देते हैं । इसके अतिरिक्त आतिशबाजियों पर भी लाखों रुपये खर्च करते हैं । हमें इस प्रकार की बुराईयों एवं फिजूलखर्ची से बचना चाहिए । इस दिन हमें प्रण करना चाहिए कि केवल बाहरी प्रकाश ही नहीं बल्कि अपने हृदयों में भी सद्गुणों का प्रकाश करना चाहिए तथा यह भी प्रयास करना चाहिए कि इस संसार में जहां कहीं भी गरीबी भुखमरी, अशिक्षा एवं बुराईयों का अंधेरा है, दूर हो ।
होली
यह त्योहार रंगों का त्योहार है । भारत के अनेक त्योहारों में यदि कोई त्योहार सबसे अधिक रंगीन एवं मौज मस्ती से भरा है तो वह है होली । यह त्योहार केवल रंगों का ही नहीं बल्कि भाईचारे एवं स्नेह का भी प्रतीक है । इस त्योहार को सभी प्रेम, उल्लास एवं उत्साह से मनाते हैं । यह त्योहार एकता एवं मिलन का त्योहार है । यह त्योहार फास्युन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं । इस त्योहार का संबंध ऋतु से भी है । शरद् ऋतु की विदा एवं ग्रीष्म ऋतु का स्वागत करने के लिए लोग अत्यंत उल्लास के साथ इस त्योहार को मनाते हैं । इस त्योहार के समय किसानों की फसल पककर तैयार हो जाती है । लहलहाती फसल को देखकर किसान अत्यंत प्रसन्न दिखाई देते हैं । यह त्योहार बसंत ऋतु का संदेश लेकर आता है । इस त्योहार के साथ पौराणिक कथा का संबंध है कि प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक नास्तिक राजा होता था । वह स्वयं को ईश्वर मानता था और चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें । उसके घर प्रहाद नामक पुत्र ने जन्म लिया जो ईश्वर ‘भक्त था । वह अपने पिता की पूजा नहीं करता था । फिर हिरण्यकश्यप ने उसे मारने का निश्चय किया । हिरण्यकश्यप की बहन को वरदान मिला था कि वह कभी भी आग में नहीं जलेगी । वह प्रहाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई । परंतु ईश्वर की कृपा से होलिका जल गई और प्रहाद का बाल भी बांका न हुआ । इस दिन की याद में ही होली से एक दिन पहले होलिका जलाई जाती है । अगले दिन होली खेली जाती है । इस दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं तथा गत्ने मिलते हैं । बच्चे, बूढ़े, नौजवान तथा औरतें सभी इस त्योहार को बड़े उल्लास से मनाते हैं । सभी लोग टोलियां बनाकर नाचते, गाते हैं, गुलाल उड़ाते हैं एव मस्ती करते हैं । कुछ लोग रंगों के स्थान पर पेंट, कीचड़ तथा अंडों का प्रयोग करते हैं जिससे दूसरों को हानि हो सकती है, त्वचा व आँखें खराब हो सकती हैं । बच्चे भी पानी से भरे गुब्बारे लोगों पर मारते हैं । इससे भी चोट लग सकती है । इस तरह के तरीकों से बचकर स्वस्थ तरीके से होली खेलनी चाहिए ।
गुरुओं के पर्व
इन त्योहारों के अतिरिक्त पंजाब के लोग अपने गुरुओं के जन्मदिवस एवं शहीदी दिवस भी बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं । गुरु नानक देव जी का जन्मदिवस, गुरु गोबिंद जी का जन्म दिवस, गुरु तेग बहादुर जो एवं गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस तो विशेष रूप से बड़ी श्रद्धा से मनाए जाते हैं । इस दिन जगह-जगह पर शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं तथा पुणांजली भेंट की जाती हैं तथा लंगर लगाए जाते हैं । पंजाब के लोग अपने सभी त्योहारों को बिना किसी भेदभाव के मिल जुलकर मनाते हैं । इसी से उनके आपसी स्ग्भ्यचारक संबंधों का ज्ञान होता है ।
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