प्राकृतिक संसाधन पर निबंध – Essay on Natural Resources in Hindi

प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources) वे तत्व हैं जो प्रकृति द्वारा स्वतः प्रदत्त होते हैं और जिनका उपयोग मानव अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करता है। ये संसाधन पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और हमारे दैनिक जीवन में अनिवार्य भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का विचार व्यापक है और यह जल, वन, धातु, खनिज, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जैव ईंधन आदि को सम्मिलित करता है।

प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण

प्राकृतिक संसाधनों को प्रमुखतः दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:

  • नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources): ये वे संसाधन हैं जो पुनः उत्पादन की क्षमता रखते हैं और सतत रूप से उपलब्ध रहते हैं, जैसे जल, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, आदि।
  • अविनवीकरणीय संसाधन (Non-Renewable Resources): ये वे संसाधन हैं जो एक बार उपयोग किए जाने के बाद पुनः उत्पादन में कठिनाई होती है या अत्यधिक समय लगता है, जैसे कोयला, पेट्रोलियम, खनिज, आदि।

नवीकरणीय संसाधन

नवीकरणीय संसाधन वे होते हैं जो लगातार पुनः उत्पन्न होते रहते हैं और जो मानव द्वारा उपयोग किए जाने के बाद भी समाप्त नहीं होते। जल, पवन, सौर ऊर्जा, आदि इस श्रेणी में आते हैं:

जल

जल सबसे महत्वपूर्ण नवीकरणीय संसाधन है। यह न केवल मानव जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि अस्तित्व में भी अनिवार्य है। पृथ्वी पर जल का 70% भाग उपलब्ध है। इसे घरेलू उपयोग, कृषि, उधोगिक गतिविधियों, ऊर्जा उत्पादन, आदि कई क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।

सौर ऊर्जा

सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है और यह ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है। सोलर पैनल्स द्वारा सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस ऊर्जा का उपयोग घरों, विद्यालयों, उध्योंगों, और विस्तारित क्षेत्रों में हो सकता है।

पवन ऊर्जा

पवन ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए वायु का उपयोग किया जाता है। पवन चक्कियों द्वारा इस ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन किया जाता है। पवन ऊर्जा स्वच्छ, सुरक्षित और पर्यावरण-मैत्री होती है।

अविनवीकरणीय संसाधन

अविनवीकरणीय संसाधन वे होते हैं जो सीमित मात्रा में होते हैं और एक बार उपयोग किए जाने के बाद पुनः उत्पादन नहीं होते। उनके समाप्त हो जाने पर उनका उपयोग असंभव हो जाता है:

कोयला

कोयला एक प्रमुख अविनवीकरणीय संसाधन है जो उर्जा उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। कोयले का उपयोग औद्योगिक क्रांति से ही व्यापक रूप से हो रहा है। यह ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को हानि पहुँचता है।

पेट्रोलियम

पेट्रोलियम या कच्चा तेल भी अविनवीकरणीय संसाधन है और यह मुख्य रूप से ऊर्जा उत्पादन, परिवहन, और उध्योंगों में उपयोग किया जाता है। पेट्रोलियम से डीजल, पेट्रोल, जेट ईंधन आदि उत्पादित होते हैं।

खनिज

खनिज भी अविनवीकरणीय संसाधन हैं जो पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। इनमें लोहा, तांबा, सोना, चांदी, अल्युमिनियम आदि शामिल हैं। खनिज का उपयोग निर्माण, उध्योगिक उत्पादन, और तकनीकी उपकरणों में व्यापक रूप से होता है।

प्राकृतिक संसाधनों का महत्व

प्राकृतिक संसाधनों का जीवन में अत्यधिक महत्व है। ये संसाधन न केवल हमारे दैनिक जीवन को सरल और समृद्ध बनाने में सहायक होते हैं, बल्कि हमारे सम्पूर्ण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

  • आर्थिक विकास: प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से आर्थिक विकास होता है। ऊर्जा संसाधनों का उपयोग उध्योंगिक उत्पादन, परिवहन, और अन्य क्षेत्रों में होता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
  • पर्यावरण संतुलन: नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है। ये संसाधन स्वच्छ और हरित ऊर्जा प्रदान करते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषण कम होता है।
  • कृषि और जल संसाधन: जल संसाधन कृषि के लिए आवश्यक होते हैं। कृषि गतिविधियों के लिए जल का उपयोग अत्यंत आवश्यक होता है। इसके अलावा मृदा की उर्वरता भी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करती है।
  • जीवन धारण: प्राकृतिक संसाधन जीवन धरण के लिए अनिवार्य होते हैं। भोजन, जल, वायु, आवास आदि सभी आवश्यकताएँ इन्हीं संसाधनों पर आधारित होती हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ये संसाधन उपलब्ध रहें। संरक्षण के विभिन्न उपाय हैं:

  • सतत उपयोग: प्राकृतिक संसाधनों का सतत और समुचित उपयोग करना चाहिए। हमें ऐसे तरीकों का चयन करना चाहिए जिससे संसाधनों का न्यूनतम दोहन हो और वे लंबे समय तक सुरक्षित रहें।
  • नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का उपयोग बढ़ावा देना चाहिए ताकि अविनवीकरणीय संसाधनों की कमी को पूरा किया जा सके और पर्यावरण प्रदूषण भी कम हो।
  • जल संरक्षण: जल का समुचित प्रबंधन और संरक्षण महत्वपूर्ण हैं। जल संरक्षण की विभिन्न योजनाओं को अपनाना चाहिए ताकि पीने योग्य जल की उपलब्धता लंबे समय तक बनी रहे।
  • पुनर्चक्रण: पुनर्चक्रण प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण तरीका है। जिन वस्तुओं का पुनः उपयोग किया जा सकता है, उनका पुनर्चक्रण करना चाहिए।

निष्कर्ष

प्राकृतिक संसाधन हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं और इनका संरक्षण हमारा नैतिक कर्तव्य है। हमें इनके सतत और समुचित उपयोग के साथ-साथ संरक्षण के प्रति सजग रहना चाहिए। सरकारें, संगठनों और व्यक्तियों के संयुक्त प्रयासों से ही हम इन संसाधनों का सही तरीके से संरक्षण कर सकते हैं और दोनों वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।

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