भारत का राष्ट्रीय ध्वज हम सभी भारतीयों के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है। इसे तिरंगा भी कहा जाता है क्योंकि इसमें तीन रंग होते हैं: केसरिया, सफेद और हरा। तिरंगे का इतिहास, महत्व, और प्रतीकवाद अति महत्वपूर्ण है और इसे समझना प्रत्येक भारतीय के लिए अत्यंत आवश्यक है।
राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का विकास और इतिहास बेहद रोचक है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अनेक ध्वजों का प्रयोग किया गया, लेकिन वर्तमान तिरंगे को स्वतंत्रता प्राप्ति के ठीक पहले 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। इस ध्वज को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था।
प्रारंभिक ध्वज
भारत के पहले राष्ट्रीय ध्वज का अनावरण 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (अब कोलकाता) में किया गया था। यह ध्वज तीन क्षैतिज पट्टियों से मिलकर बना था जिनका रंग क्रमशः लाल, पीला और हरा था।
1917 का ध्वज
1917 में, जब होम रूल मूवमेंट अपने ऊँचाइयों पर था, बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने एक नया ध्वज बनाया। इस ध्वज में पाँच लाल और चार हरी क्षैतिज धारियाँ थीं, जिनमें ऊपर बाँई ओर यूनियन जैक को स्थापित किया गया था।
1921 का ध्वज
1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में एक ध्वज प्रस्तावित किया। यह ध्वज सफेद, हरे और लाल रंग की तीन क्षैतिज पट्टियों से मिलकर बना था। इसके बीच में एक चक्र (स्पिनिंग व्हील) था जो आत्मनिर्भरता का प्रतिनिधित्व करता था।
1931 का ध्वज
1931 में मौजूदा ध्वज के करीब आता हुआ एक ध्वज स्वीकार किया गया। इसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियाँ थीं, जिसमें बीच में चरखा था। यह ध्वज मौजूदा ध्वज का आधार बना।
राष्ट्रीय ध्वज का रूप और इसके रंग
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से मिलकर बना है, इसलिए इसे तिरंगा कहा जाता है।
ऊपरी पट्टी (केसरिया)
ऊपर की पट्टी का रंग केसरिया होता है और यह देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। यह रंग बलिदान और त्याग का प्रतीक होता है।
मध्य पट्टी (सफेद)
मध्य की पट्टी का रंग सफेद होता है और यह सच्चाई और शांति का प्रतीक है। सफेद रंग के बीच में स्थित नीले रंग का चक्र धर्म चक्र को दर्शाता है जिसे अशोक चक्र के नाम से भी जाना जाता है।
निचली पट्टी (हरा)
नीचली पट्टी का रंग हरा होता है और यह देश की हरियाली, समृद्धि और जीवन का प्रतीक है। यह विकास और उन्नति को अभिव्यक्त करता है।
अशोक चक्र
सफेद पट्टी के बीच में अशोक चक्र होता है जिसे नीले रंग से अंकित किया गया है। चक्र में कुल 24 तीलियाँ होती हैं और यह अशोक महान के सारनाथ स्थित सिंह स्तंभ से लिया गया है। यह चक्र न्याय, प्रगति, और गतिशीलता का प्रतीक है।
राष्ट्रीय ध्वज का महत्व
भारत का राष्ट्रीय ध्वज केवल एक प्रतीक नहीं है बल्कि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम, देशभक्ति, एकता और अखंडता का प्रतिनिधित्व करता है। यह हर भारतीय के दिल में गर्व और समर्पण की भावना को जाग्रत करता है।
शहीदों का सम्मान
हर भारतीय शहीद जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देश की आजादी के लिए किया, उनके सम्मान के लिए ध्वज झुकाया जाता है। यह ध्वज हमारी आजादी की कीमत को याद दिलाता है और हमें उनकी बलिदानी भावना से प्रेरित होकर देश की सेवा करने की प्रेरणा देता है।
देश की अखंडता
तिरंगा हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि हम विभिन्नता में एकता के सिद्धांत पर चलते हैं और सभी भारतीय एक ही तिरंगे के नीचे एकजुट हैं।
राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम और मानदंड
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग और उसे फहराने के नियम भारतीय ध्वज कोड (Flag Code of India) के अंतर्गत आते हैं। इन नियमों का पालन हर भारतीय नागरिक को करना अनिवार्य है।
ध्वज को सम्मान देना
भारतीय ध्वज को हमेशा आदर और सम्मान देना चाहिए। इसे कभी जमीन पर या पानी में नहीं गिराना चाहिए। यह हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह ध्वज का सही तरीके से प्रयोग करे।
ध्वज फहराने के नियम
- ध्वज हमेशा सूर्यास्त के समय ही उतारा जाना चाहिए।
- ध्वज को कभी उल्टा नहीं फहराना चाहिए।
- ध्वज अन्य किसी ध्वज या चिन्ह से नीचे नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े समारोह
भारत में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के मुख्य समारोहों में स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) शामिल हैं। इन अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य होता है और इसे बहुत ही गर्व और सम्मान से मनाया जाता है।
स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं, जिस दिन भारत ने 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से आजादी प्राप्त की थी। इस दिन प्रधानमंत्री लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं।
गणतंत्र दिवस
26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं, जिस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। इस दिन राजपथ पर एक भव्य परेड का आयोजन होता है जिसमें राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और तिरंगे को सलामी देते हैं।
निष्कर्ष
भारत का राष्ट्रीय ध्वज हम सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यह हमारे बलिदान, संघर्ष और संकल्प की गाथा कहता है। हर भारतीय को इसे ससम्मान फहराना चाहिए और राष्ट्रीय ध्वज के महत्व और मर्यादा को बनाए रखना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज न केवल हमारे देश की पहचान है, बल्कि यह हमें एकता, अखंडता और समर्पण का संदेश भी देता है। जब भी हम तिरंगे को देखते हैं, हमें यह याद दिलाना चाहिए कि हम एक महान देश के नागरिक हैं और हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन उसी भावना के साथ करना चाहिए।
पहचान, स्वतंत्रता और गर्व का प्रतीक – तिरंगा। जय हिंद!