भारत के नागरिक होना एक बहुत ही गर्व की बात है. इस article में हमने आपके लिए मेरा देश ‘भारत’ के विषय पर एक निबंध विस्तार से दिया है. (My Country ‘India’ Essay in Hindi)
मेरा देश
भूमिका- राष्ट्र मनुष्य की सबसे. । जिस भूमि के अन्न-जल से यह शरीर बनता एवं पुष्ट होता हें । उसके प्रति अनायास ही. स्नेह एवं श्रद्धा उमड़ती रहती है । जो व्यक्ति अपने राष्ट्र की सुरक्षा एवं उसके प्रति अपने कर्त्तव्यों की उपेक्षा करता है, वह कृतप्न है । उसका प्रायश्चित सम्भव ही नहीं । उसका जीवन पशु के सदृश बन जाता है । रेगिस्तान में वास करने वाला व्यक्ति ग्रीष्म की भयंकरता के कारण हांफ-हांफ कर जी लेता है, लेकिन अपनी मातृभूमि के प्रति दिव्य प्रेम संजोए रहता है । शीत प्रदेश में वास करने वाला व्यक्ति कांप-कांप कर जी लेता है लेकिन जब उसके देश पर कोई संकट आता है तो वह अपनी जन्म भूमि पर प्राण न्योछावर कर देता है । ” यह मेरा देश है ” कथन में कितनी मधुरता है । इस पर जो कुछ है वह सब मेरा है । जो, व्यक्ति ऐसी भावना से रहित है, उसके लिए ठीक ही कहा गया है-
जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है ।
वह नर नहीं नर-पशु निरा है और मृतक समान है ।
मेरा देश– मेरा महान् देश भारत सब देशों का मुकुट है । इसका अतीत स्वर्णिम रहा है । एक समय था जब इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था । इसे प्रकृति देवी ने अपने अपार, वैभव, शक्ति एवं सौन्दर्य से विभूषित किया है । इससे आकाश के नीचे मानवीय प्रतिभा ने अपने सर्वोत्तम वरदानों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया है । इस देश के चिन्तकों ने गूढ़तम प्रश्न की तह में पहुंचने का सफल प्रयास किया है ।
मेरे देश की कहानी- यह अति प्राचीन देश है । इसे सिन्तु देश, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान भी कहते हैं । इसके उत्तर में ऊंचा हिमालय पर्वत इसके मुकुट के समान है । उसके परे तिब्बत तथा चीन है । दक्षिण में समुद्र इसके पांव धोता है । श्रीलंका द्वीप वहां समीप ही है । उसका इतिहास भी भारत से सम्बद्ध है । पूर्व में बंगला देश और बर्मा देश हैं । पश्चिम में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान देश हैं । प्राचीन समय में तथा आज से दो हजार वर्ष पहले सम्राट् अशोक के राज-काल में और उसके बाद भी गान्धार ( अफगानिस्तान) भारत का ही प्रांन्त था । कुछ समय पूर्व बंगला देश, बर्मा ( म्यनमार), पाकिस्तान तथा श्रीलंका भारत के ही अंग थे ।
इस देश पर मुसलमानों, मुगलों, अंग्रेजों ने आक्रमण करके यहां पर विदेशी राज्य स्थापित किया और इसे खूब लूटा तथा पद- दलित किया । पर अब वे दुःख भरे दिन बीत चुके हैं । हमारे देश के वीरों, सैनिकों, देशभक्तों और क्रान्तिकारियों के त्याग और बलिदान से 15 अगस्त, 1947 ई० में भारत स्वतन्त्र होकर दिनों-दिन उन्नत और शक्तिशाली होता जा रहा है । 26 जनवरी, सन् 1३५० से भारत में नया संविधान लागू हुआ है और यह ” सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतन्त्रात्मक गणराज्य ” बन गया है । अनेक ज्वार- भाटों का सामना करते हुए भी इसका सांस्कृतिक गौरव अक्षुण्ण रहा है ।
यहां गंगा, यमुना, सरयू नर्मदा, कृष्णा, गोदावरी, सोन, नर्मदा, कृष्णा, गोदावरी, सतलुज, व्यास, रावी आदि पवित्र नदियां बहती हैं, जो कि इस देश को सींचकर हरा- भरा करती है । इनमें स्नान कर देशवासी वाणी का पुण्य लाभ उठाते हैं । यहां बसन्त, ग्रीष्ण, वर्षा, शरद् हेमन्त और शिशिर, ये छ: ऋतुएं क्रमश: आती हैं । अनेक तरह की जलवायु इस देश में है । भान्ति- भान्ति के फल-फूल, वनस्पतियां, अन्न आदि यहां उत्पन्न होते हैं । इस देश को देखकर हृदय गद्गद् हो जाता है । यहां अनेक दर्शनीय स्थान हैं ।
यह एक विशाल देश है । इस समय इसकी जनसंख्या 125 करोड़ से अधिक हो गई है, जो संसार में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है । यहां हिन्दू मुसलमान, ईसाई आदि मतों के लोग परस्पर मिल-जुल कर रहते हैं । उनमें कभी-कभी वैमनस्य भी पैदा हो जाता है । देशभक्त तथा समाज-सुधारक इस वैमनस्य को मिटाने की कोशिश भी करते हैं । यहां हिन्दी, संस्कृत अंग्रेजी, मराठी, -गुजराती, पंजाबी, उर्दू बंगला, तमिल, तेलुगू आदि अनेक भाषाएं । दिल्ली इसकी राजधानी है । वहीं संसद् है, जिसके लोक सभा और राज्य सभा दो अंग हैं । मेरे देश के प्रमुख “राष्ट्रपति” कहलाते हैं । एक उपराष्ट्रपति भी होता है । देश का शासन प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल चलाता है । इस देश में 28 राज्य या प्रदेश हैं जहां विधानसभाएं हैं । मुख्यमन्त्री और उसके मन्त्रिमण्डल द्वारा शासन होता है ।
यह धर्म प्रधान देश है । यहां बड़े धर्मात्मा, तपस्वी, त्यागी, परोपकारी वीर, बलिदानी महापुरुष हुए हैं । यहां की स्त्रियां पतिव्रता, सती, साध्वी, वीरता और साहस की पुतलियां हैं । उन्होंने कई बार जौहर व्रत किये हैं । वे योग्य और दृढ़ शासक भी ऐएँ हो चुकी हैं और आज भी रु । यहां के ध्रुव, प्रहलाद, लव-कुश, अभिमन्यू हकीकतराय आदि बालकों ने अपने ऊंचे जीवनादर्शों से इस देश का नाम उज्जल किया है ।
मेरा देश गौरवशाली है । इसका इतिहास सोने के अक्षरों में लिखा हुआ है । यह स्वर्ग के समान सभी सुखों को प्रदान करने, में समर्थ है । मैं इस पर तन-मन-धन न्योछावर करने के लिए तत्पर रहता हूँ ।
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