Love Stories in Hindi अर्थात इस आर्टिकल में आप पढेंगे, 5 हिन्दी प्रेम कहानियाँ व लव स्टोरीज़ जो आपका दिल जीत लेंगी. प्रेम कहानियां अत्यंत रोमांचिक होती हैं.
List of Love Stories in Hindi – 5 हिन्दी प्रेम कहानियाँ
तो ये रही 5 प्रेम कहानियां अर्थात Love Stories:
मेरी अधूरी प्रेम कहानी – Love Story in Hindi
स्कूल की छुट्टी होने के बाद बड़ी हिम्मत जुटा कर तुमसे कहा- ज्योति, आज मेरे साथ मेरे रास्ते घर चलो ना? हांलाकि हम दोस्त थे पर इतने भी अच्छे नहीं कि तू मुझ पर ट्रस्ट कर लेती…’मैं नी आरी’ तूने गुस्से से कहा…’प्लीज चलो ना तुम्हे कुछ सरप्राइज देना है’…मैंने बहुत अपेक्षा से कहा…ये सुन के तू और भड़क गयी और जाने लगी क्यूंकि क्लास में मेरी इमेज बैकैत और लोफर लड़कों की थी…
मैं जा ही रहा था तो तू आकर बोली- रुको मैं आउंगी पर तुम मुझसे 4 फीट दूर रहना….मैंने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है…हम चलने लगे और मैं मन ही मन प्रफुल्लित हुए जा रहा ये सोचकर की तुझे तेरी मनपसंद चीज़ खिलाऊंगा और शायद इससे तेरे दिल के सागर में मेरे प्रति प्रेम की मछली गोते लगा ले…खैर गोलगप्पे की दुकान आई…मैं रुक गया…तूने जिज्ञासावस पूछा- रुके क्यूँ?
मैं- अरे! ज्योति तुम गोलगप्पे खाओगी ना इसलिए।
तू- अरे वाह!!!!!! जरुर खाऊँगी।
तेरी आँखों में चमक थी। और मेरी आत्मा को तृप्ति और अतुलनीय प्रसन्नता हो रही थी। तब १ रुपये के ३ गोलगप्पे आते थे।
मैं- कैलाश भैय्या ज़रा पांच के गोलगप्पे खिलवा दो।
कैलाश भैय्या- जी बाबू जी। (मुझे बुलाकर कान में) गरलफ्रंड हय का?
मैं(हँसते हुए)- ना ना भैया।आप भी
कैलाश भैय्या ने गोलगप्पे में पानी डालकर तुझे पकड़ाया ही था कि तू जोर से चिल्लाई- रवि…रवि
इतने में एक स्मार्ट सा लौंडा(शायद दुसरे स्कूल का) जिसके सामने मैं वो था जैसा शक्कर के सामने गुड लाल रंग की करिज्मा से हमारी तरफ आया और बाइक रोक के बोला- ज्योति मैं तुम्हारे स्कूल से ही आ रहा हूँ। चलो ‘कहो ना प्यार है के दो टिकट करवाए हैं जल्दी बैठो’
‘हाय ऋतिक रोशन!!!!’ कहते हुए तू उछल पड़ी और गोलगप्पा जमीन में फेंकते हुए मुझसे बोली-सॉरी अंकित आज किसी के साथ मूवी जाना है, कभी और।
और मैं समझ गया कि ये “किसी” कौन होगा।
ये कहते हुए तू बाइक में बैठ गई और उस लौंडे से चिपक गई, उसके सीने में अपने दोनों हाथ बांधे हुए।
तू आँखों से ओझल हुए जा रही थी और मुझे बस तेरी काली जुल्फें नज़र आ रही थी। उसी को देखता मेरे नेत्रों में कालिमा छा रही थी।
कैलाश भैय्या की भी आँखे भर आईं थी और मेरे दो नैना नीर बहा रहे थे।
कैलाश भैय्या- छोड़ो ना बाबू जी। ई लड़कियां होती ही ऐसी हैं। अईसा थोअड़े होअत है कि किसी के दिल को शीशे की तरह तोड़ दो।
ये कहकर उन्होंने कपड़ा उठाया जिससे वो पसीना पोछा करते थे और अपने आंसुओं को पोछने लगे। मैं भी रो पड़ा।
अभी 14 गोलगप्पे बचे थे और कैलाश भैय्या जिद कर रहे थे खाने की।
एक एक गोलगप्पा खाते खाते दिल फ्लैशबैक में जा रहा था।
दूसरा गोलगप्पा- तू सातवीं कक्षा में क्लास में नई नई आई थी आँखों में गाढ़ा काजल लगाकर और मेरी आगे वाली सीट में बैठ गई थी
तीसरा गोलगप्पा- तूने सातवीं कक्षा के एनुअल फंक्शन में ‘अंखियों के झरोखे से’ गाना गाया था।
चौथा गोलगप्पा- उसी दिन की रात मेरे नयनो में तेरी छवि बस गई थी।
पांचवा गोलगप्पा- आठवी कक्षा के पहले दिन मैडम ने तुझे मेरे साथ बिठा दिया था।
छठा गोलगप्पा- मैं बहुत खुश था। तेरे बोलों से हेड एंड शोल्डर्स शैम्पू की खुशबू आती और मैं रोज़ उस खुशबू में खो जाता। यही कारण था मैं आठवी की अर्धवार्षिक परीक्षा में अंडा लाया था। और मैडम ने मुझे हडकाया था।
सातवाँ गोलगप्पा- मैं फेल हो गया था तो मैडम ने तुझे होशियार लड़की के साथ बिठा दिया था।
आँठवा गोलगप्पा – मैं उदास हो गया था। और मैंने 3 दिन तक खाना नहीं खाया था।
नौवा गोलगप्पा- मैं रोज़ छुट्टी के बाद तेरे घर तक तेरा पीछा किया करता था।
दसवां गोलगप्पा – मैं रोज़ सुबह और शाम तेरे घर के चक्कर काटता था इस उम्मीद की शायद तू घर कइ बाहर एक झलक मात्र के लिए ही सही दिख जाए।
ग्यारहवां गोलगप्पा – तूने मुझे एक दिन डांट दिया था कि छुट्टी के बाद मेरा पीछा मत किया करो। और उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा था, तबसे मैं दुसरे रास्ते से घर जाने लगा था।
बारहवां गोलगप्पा – हम नवीं कक्षा में पहुँच गए थे। दिवाली थी। कहो ना प्यार है के गाने रिलीज़ हो गए थे। मैं क्लास में बैठा नेत्रों में तेरी तस्वीर लिए ‘क्यूँ चलती है पवन गुनगुनाते रहता था’
चौदहवां गोलगप्पा – आज कहो ना पयार है रिलीज हुई है और मैं पापा से पांच रुपये मांगने की जिद कर रहा हूँ। यह भी प्लान बना रहा हूँ कि तुझसे आज दिल की बात कह दूंगा।
पन्द्रहवां और आखिरी गोलगप्पा – मेरे दिल टूट चूका था और मुहं में गोलगप्पे का पानी था और चेहरे में अश्कों का।
(Source: IngnoredPost.com)
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प्यार का मतलब – Love Story in Hindi
एक दिन आदमी को उसकी पत्नी ने, जिसके बहोत लम्बे बाल थे उसने उसके लिए एक कंघा खरीदने के लिए कहा ताकि वो अपने बालो की अच्छे से देखभाल कर सके.
उस आदमी ने अपनी बीवी से माफ़ी मांगी और कंघी लेने से मना कर दिया. उसने समझाया की उसके पास अभी उसकी टूटी हुई घडी का पट्टा बिठाने के भी पैसे नहीं है. लेकिन फिर भी उसकी पत्नी जिद पर अडी रही.
गुस्से में वह इंसान काम पर जाने के लिए निकाल गया और जाते-जाते अचानक रास्ते में उसकी नजर एक घडी की दुकान पर पड़ी, उसने सोचा की वह उस दूकान पर अपनी घडी बेच देगा और उसकी पत्नी के लिए कंघा लेकर जायेंगा.
शाम में वो अपने हातो में कंघी लेकर अपने घर आया, पत्नी को कंघी देने ही लगा
लेकिन अचानक अपने पत्नी को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया, क्यूकी उसने अपनी पत्नी को शोर्ट-हेयर (कम बालो) में देख लिया था.
उसने अपने बालो को बेचकर अपने पति की घडी के लिए नया पट्टा ख़रीदा था.
एक दुसरे के प्रति गहरा प्यार देखते हुए अचानक दोनों के आखो से आसू निकलने लगे, ये आसू उनकी ख्वाइश पूरी होने के वजह से नहीं बल्कि उनके एक-दूजे के लिए प्यार को देखकर थे.
सीख :-
प्यार करना मतलब कुछ नहीं है, प्यार करने लायक बनना थोडा बहोत अच्छा है लेकिन प्यार करने और साथ में करने लायक बनना, ये सब कुछ है. प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना करे.
बल्कि जिस से भी हम प्यार करते है, उस से बिना किसी शर्त के, बिना किसी लालच के बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये. क्यूकी जब हम किसी को दिल से प्यार करते है तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते है. की जब दो लोगो के बिच प्यार होता है तब वह किसी दौलत का भूका नहीं होता, वह भूका होता है तो सिर्फ स्नेहभाव का. जिस से भी हम प्यार करते है उनसे हमेशा हमें प्यार से पेश आना चाहिये. एक दुसरे के लिए समय निकलते रहना चाहिये. तभी हम हमारे रिश्ते को सफलता से आगे बढ़ा पाएंगे.
प्यार से बोला गया आपका एक शब्द दो दिलो के बिच हो रहे बड़े से बड़े मनमुटाव को भी खत्म कर सकता है. प्रेमभाव से रहना कभी-कभी हमारे लिए भी फायदेमंद साबित होता है. क्यू की कई बार जो काम हजारो रुपये नहीं कर पाते वही प्यार से बोले गये हमारे दो शब्द काम आते है.
(Source: GyaniPandit.com)
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एक अनूठी लव स्टोरी – Love Story in Hindi
- उससे मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था, जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस नहीं किया था. क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत चंचल थी, इस कारण मैं कॉलेज में भी और घर में भी लोगों से घिरी रहती थी. इसके बावजूद कि मैं बहुत बोलती थी, मेरे जीवन का एक दूसरा पहलु भी था. और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दी थी. बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की जिसे लोग हर पल हसंते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी. मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था, कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था.
- मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो लड़का मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरी सोच में समाता चला जा रहा है. शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी. सहपाठी होने की वजह से मेरी और उसकी अक्सर थोड़ी-बहुत बातचीत होती रहती थी. लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता था, मुझसे दीवानों की तरह प्यार करता था, ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दिया था. मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता था. कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा. लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास हो गया कि ये लड़का मेरी चिंता करता है, मेरा ख्याल रखता है. उसके प्यार में पागलपन था, मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर देता था. उस लड़के ने बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछा. उस दिन संयोग से हम दोनों कॉलेज जल्दी आ गए थे और क्लास रूम में कोई नहीं था- ‘’ उसने कहा कि क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ ‘’ पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़के को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रहा है. लेकिन मुझे उसपर पूरा भरोसा था कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा, उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकती थी. उसने इतनी Honestly मेरा हाथ माँगा कि मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैंने उसे अपना हाथ दे दिया. ‘’उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुममें एक अच्छा दोस्त देखता हूँ, अच्छा इंसान देखता हूँ और मैं चाहता हूँ कि मैं जिंदगी भर तुम्हारा दोस्त बनकर तुम्हारे साथ रहूँ.’’
- उसने इतनी ईमानदारी से अपनी इस बात को मेरे सामने रखा कि मैं ना नहीं कर पाई और मैंने हाँ कर दिया. उस दिन उसने बस इतना हीं कहा और चला गया. मुझसे दोस्ती करने की खुशी मैं साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर देख सकती थी. मैंने इस बात को बड़े हल्के में लिया, हांलाकि मुझे ये सोच कर दिन भर बहुत हंसी आ रही कि किस तरह से डरते-डरते उसने मेरा हाथ पकड़ा था. जब मैंने अपना हाथ उसके हाथों में दिया था तो मैं अच्छी तरह से उसकी कांपती हाथों को महसूस कर सकती थी. और पूरे दिन उस वाकये को याद करके मुझे हंसी आ रही थी, मैं अकेले में भी बिना बात के हँसे जा रही थी.
- मेरे आस-पास रहने वाले लोग ये देख कर समझ गए थे कि जरुर कोई बात है. अब हम दोनो दोस्त बन गए थे और उसने बड़ी ही चालाकी से मुझसे किसी भी वक्त फोन पर बात करने की इजाजत मांग ली थी. अब वो मुझसे फोन पर बातें करने लगा था. अब उससे बात करना मुझे भी अच्छा लगने लगा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था. क्यों मैं उसके फोन का इंतज़ार करने लगी थी ? क्यों मैं उसकी ओर खिंची चली जा रही थी ? शायद उससे अपनी बातें share करना मुझे अच्छा लगने लगा था. जब भी मैं उदास होती किसी को पता चले ना चले उसे पता चल जाता था, और वह मेरी उदासी को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था.
- एक दिन उसने मुझसे I Love You कहा, मुझे वक्त लगा… लेकिन मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया. मेरे हर जन्मदिन पर मुझसे ज्यादा खुश होना, मेरे ऊपर हजारों रुपए मना करने के बावजूद खर्च कर देना, वो दीवाना था मेरा… उसने भी मुझे अपना दीवाना बना लिया था. बाइक पर अक्सर घूमने निकल जाना, कॉलेज बंक करके फिल्म देखने जाना, ये सब हमें अच्छा लगने लगा था. उसकी पूरी दुनिया बन गई थी मैं, मेरी पूजा करता था वो. मेरे लिए किसी से पंगा लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोचता था वो. दिन तेजी से बीतने लगे, हम दोनों दुनिया को भूल चुके थे. प्यार के उस दौर ने हम दोनों को भीतर से बदल दिया था. हमने प्यार की ढ़ेरों कसमें खाई, और ढ़ेरों वादे किए.
- वक्त ने करवट लिया, मेरे पिताजी ने 20-21 साल की कम उम्र में हीं मेरी शादी पक्की कर दी. अंदर से मेरा हाल भी बेहाल था, लेकिन वह मुझसे ज्यादा बेहाल था. वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था, मेरा साथ पाने के लिए. लेकिन मैं जानती थी, कि अगर मैं घर से भाग जाती हूँ तो मेरे घर वालों का समाज में जीना मुश्किल हो जाएगा. कड़े मन से मैंने उसके साथ जाने से इंकार कर दिया. वह हर दिन सैंकड़ो बार कोशिश करता कि मेरे फैसले को बदल पाए, लेकिन मैं नहीं मानी. मेरी शादी हो गई, हर कोई खुश था…. उस लड़के के सिवा.
- अपनी शादी के बहुत महीनों के बाद मेरी उससे मुलाकात हुई. उसने अपना हाल बेहाल कर लिया था. उसने कहा कि वो मुझसे मिलने से पहले भी अकेला था और मेरे जाने के बाद फिर अकेला हो गया है.
- उसने कहा कि, वो हमारे कसमों और वादों को पूरा करेगा. वो कहता है, कि प्यार की लड़ाई तो वो हार गया है, पर प्यार की जंग जरुर जीतेगा वो. वो कहता है कि, तुम भले मेरा साथ न दे सको, मेरा प्यार तो मेरे साथ है न. मेरे प्यार के सहारे उसने जिंदगी में आगे बढ़ने की ठानी है. वो कहता है, कि उसका प्यार सच्चा है, इसलिए उसका प्यार कभी उसकी कमजोरी नहीं बनेगा.
- मुझे अपनी गलती का एहसास है. क्योंकि मेरा प्यार मुझे ज्यादा दुखी है, और मैंने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया है. मैं उस दीवाने के प्यार को सलाम करती हूँ, जिसके पास न मेरा तन है, न मेरा समय न मेरा जीवन…… पर अब भी वो मुझसे प्यार करता है.
- पर उस दिन उसने मुझसे झूठ बोला था, शायद वह बुरी तरह टूट चुका था. जबकि उसने खुद को बहुत बहादुर दिखाने की कोशिश की थी. वह लोगों से दूर होता चला गया था, और लोग उससे दूर होते चले गए थे. बुरे लोगों से दोस्ती कर ली थी उसने. वह शराब, सिगरेट और ड्रग्स का आदि हो गया था. वह बुरी तरह डिप्रेशन का शिकार हो गया था. और अंत में एक दिन उसने आत्महत्या कर ली. ये था इस कहानी का अंत. मैं न तो जीते जी उसके साथ रह पाई न उसके अंतिम समय में मैं उसका साथ निभा पाई.
- उस दौर में जी रहे हैं हम जहाँ दुश्मन तो आसानी से पहचाने जाते हैं. लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है. Moral message of the story : प्यार कीजिए, लेकिन सोच समझकर. अंधे प्यार का अंत हमेशा बुरा होता है. यह मौलिक कहानी आपको कैसी लगी, यह हमें जरुर बताएँ. आपके सलाहों और सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.
Source: Suvicharhindi.com
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अधूरी मोहब्बतें – Heart Touching Hindi Love Story
इंटर कॉलेज खालिसपुर में 11th में ऐडमिशन लिए मुझे एक हफ्ते हो चुके थे । एक दिन मैं स्कूल जल्दी पहुँच गया था तो यूँ ही बालकनी से टेक लगाये इधर उधर देख रहा था ।कॉलेज के सामने नंबर 5 बस आके रुकी, मैं बस से उतरते छोटे बच्चों को देखने लगा उस बस में मेरे क्लास के भी कुछ लड़के आते थे ।
बच्चे उतर चुके थ मैं बस के गेट पे ही टकटकी लगाये था । फिर जो हुआ … उसे बयां नहीं किया जा सकता । एक खूबसूरत लड़की, पता नहीं कौन, स्कूली ड्रेस (नीला सूट) पहने उतरी । मैं थोडा सावधान हुआ उसे देखने के लिए बालकनी के कोने पर गया । गेट से बस काफी दूर रूकती थी । वो गेट के तरफ आ रही थी । बदलियां छाई थी ठंडी हवाएँ चल रही थी । मैं भी हवाओं के साथ उड़ रहा था ।पहली नज़र में ही उसे देखने के बाद दिमाग फ़िल्मी कल्पनायें करने लगा ।
जैसे नायिका आती और उसके हर कदम हवाओं के झरोके लाते हैं और नायक आँखे बंद किये उसे महसूस करता है । लगभग ऐसी ही स्थिति थी मेरी । वो स्कूल में प्रवेश कर चुकी थी । मैं जल्दी से नीचे भगा ये देखने के लिए की आखिर वो किस क्लास में जाती है । मेरे नीचे पहुंचते ही वो ऑफिस में प्रवेश कर गई । प्रार्थना की घंटी बजी । आज दिमाग कहीं और ही था । दोस्तों ने कहा था जो लड़की दूर से अच्छी दिखती है वो होती नहीं बे । मैंने सोचा प्रार्थना के बाद उसे थोड़ा नजदीक से देखूंगा लेकिन अभी ये निश्चित नहीं था की वो किस क्लास में पढ़ती है ।
प्रार्थना खत्म होने के बाद हम क्लास में गए । चूँकि क्लास में तीन पंक्तियों में बेंच लगे थे फिर भी मैं लास्ट बेंच स्टूडेंट था । क्लास में लड़कियों की लाइन आनी शुरू हुई और फिर मैं जैसे ख़ुशी से पागल हो गया आँखे फ़ैल गईं जब मैं उसे उस लाइन में देखा ।लंबे खुले बाल , चपल आँखे गेहुँवा रंग वाकई बहुत खूबसूरत लग रही थी वो । वो बैठी, जिस हिसाब से हम दोनों बैठे थे हमी में सबसे ज्यादा दुरी थी । वो पहली लाइन की पहली बेंच पे मैं तीसरी की आखिरी बेंच पे । मैं उठा और उसे नजदीक से देखने के लिए बोतल लिए आगे गया । उसे सर झुकाये बैग में हाथ डाले कुछ निकाल रही थी … वो वाकई बहुत ही खूबसूरत थी … बहुत खूबसूरत । उसे एक नज़र देखकर बोतल भरने नीचे चला गया । क्लास से बाहर निकलते ही दांत पीसकर “yes yes” बोले जा रहा था । मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो मुझे सपनो की रानी मिल गई हो ।
पानी भर के क्लास रूम में आया, क्लासटीचर आ चुके थे । उसका नाम पता चलने वाला था । फिर भी मैं नाम गेस किये जा रहा था ……. पूजा ? हम्म , नहीं … रानी ?… हो सकता है … या फिर धन्नों …. भक् इतना फ़र्ज़ी नाम… हा हा हा । इन्हीं कल्पनाओं में खोया था तबतक अटेंडेंस चालू हो गया । सुमन …. प्रेजेंट सर … ओह, सुमन, हाँ यही नाम था उसका । कितनी मीठी आवाज थी उसकी । दिमाग में सुमन नाम को लेकर तोड़ने फोड़ने लगा, सुमन … छू … मन ऐसा ही कुछ । आज दिमाग पता नहीं क्यू बचकानी हरकते कर रहा था । हालांकि क्लास में बहुत से स्मार्ट लड़के थे और मैं तो थोड़ा भी नहीं । ये भी पता था आधा क्लास उसी के पीछे पड़ने वाला है फिर भी मैं आत्मविश्वास से भरपूर था ।
दिमाग में बोले जा रहा था … तुम मेरी हो ..सुमन । धीरे धीरे दिन बीतते गए क्लास रूम में उसकी हर एक हरकत पे मेरी नज़र होती थी । और हर एक लड़के पर भी की कौन उसे देख रहा है । अबतक उसका नेचर जान चूका था, बिल्कुल शालीन, रंगीन दुनिया से बिल्कुल हटके, सकारात्मक विचारों वाली न मोबाइल का शौक ना इंटरनेट ।
मेरा दिमाग खोया खोया सा रहने लगा था । हालाँकि मैं थोडा शायर मिजाज था तो उसकी हरकत पे कभी कभी शायरी भी बोल दिया करता था और दोस्त भी वाह वाह रपेट देते थे । कुमार शानू और मोहम्मद रफ़ी के गाने सुनने और गुनगुनाने की आदत से हो गई थी । लेकिन अभी तक उस से अपनी दिल की बात न कह पाया था । 11th की वार्षिक परीक्षा खत्म हुई । 4 सेक्शन के 800 बच्चों में से टॉप 20 में से मेरे सेक्शन के मुझे लेकर कुल कुल दो लड़के थे जिसमे मेरा 13वां और दूसरे का 18वां स्थान था । मेरा स्टेटस बढ़ चूका था क्लास रूम सभी लोग थोड़ी इज्जत से देखते थे । टीचर ने हम दोनों के लिए ताली बजवाई । मेरी नज़रें बस उसी को निहार रहीं थी । सब लोग मेरी ओर देखकर तली बजा रहे थे इसी बीच सुमन से मेरी नज़रे लड़ जाती और मेरा दिल जोर से धड़क उठता था । अब शायद वो भी मुझे कुछ कुछ नोटिस करने लगी थी । मैं उसे प्रोपोज़ करना चाहता था ।
मैंने ये बात अपने एक छिछोरे दोस्त से कहा । उसने कहा चल चलते हैं, इंटरवेल हो चूका था वो क्लास रूम में अकेली ही बैठी थी मौका अच्छा था । लेकिन तभी उस दोस्त ने एक लड़की से कुछ कहा … शायद कोई कमेंटबजी ….वो लड़की खरी खोटी सुना के आगे बढ़ गई … मैंने दोस्त से पूछा तेरी gf थी वो ?? उसका जवाब था नहीं । ये सब करते सुमन ने हमें देख लिया था । मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, गेहूं के साथ घुन भी पिस चूका था । वो हमें देखकर गर्दन नीचे कर के हिलाये जा रही थी, शायद वो मेरा आकलन कर रही थी । मैं खुद की नज़रों से गिर चूका था ।
बचपन का दोस्त था वो छिछोरा दोस्त इसलिए कुछ बोल भी नहीं सकता था लेकिन मैंने उसे ऐसा आगे न करने के लिए वार्निंग दे दी, उसे भी दुःख था । एक दिन छिछोरे से कहा यार जरा उसके बारे कुछ पता कर के बता ना । दूसरे दिन उसके पास बस एक इंफोर्मेशन थी लेकिन जो थी बहुत बड़ी थी । उसे इंप्रेस करने का उससे अच्छा तरीका कोई न था । मेरे दोस्त के मुताबिक उसे लिखना बहुत पसंद था और स्कूल की वार्षिक पत्रिका में कविता देने वाली थी । मैं आज बहुत खुश था क्योंकि उस समय भी चंद कवितायेँ मैं भी कर लेता था । मैंने भी अपनी एक क्वालिटी वाली कविता अच्छी खासी फोटो सहित पत्रिका के लिए दे दी । महीने भर बाद पत्रिका सबके हांथो में थी । पत्रिका के मेरे हाथों में आते ही जल्दी जल्दी उसकी कविता का पन्ना खोजा । ऊपर उसकी हल्की धुंधली सी तस्वीर नीचे नाम सुमन क्लास 12th B2 ।
बारिश पे लिखी गई एक कविता थी … थोड़ी बच्चों वाली टाइप की थी … पर मैं बार बार उसकी कविता को पढ़ता… हर बार । क्लास में अच्छे लेखों और कविताओं की तारीफ हो रही थी । मैंने भी थोड़ी अच्छी लिखी थी तो मेरी भी । सुमन वही किताब खोले बैठी थी … मैं उसकी तरफ देख रहा था … तभी उसने मेरी तरफ देखा … मुझे समझते देर न लगी की वो अभी मेरी ही कविता पढ़ रही है … मैं भी उसी की रचना खोले बैठा था । वो कुछ सेकंड तक मुझे देखती रही और मैं भी उसे, वो मुस्कुराई मैं भी मुस्कुराया । आज दिल बाग बाग हो गया था । फिर इंटरवेल हुआ । क्लास में … मैं और छिछोरा दोस्त और कुछ लड़कियां थीं ।आगे बेंच पर बैठे पत्रिका पढ़ रहे थे और जिस जिस ने रचनाएं दी थी उसे पहचाना जा रहा था … अरे ये तो अखिल है न बे 12B1 का .. पक्का चोरी कर के दी होगी … अबे ये कमीना संजीव कबसे लेख लिखने लगा वो भी गरीबी पर .. अमिर बाप की बिगड़ी औलाद ….सबको निशाने पे लिए जा रहे थे तभी सुमन क्लास में आई । हम चुप हो गए । बेंच पे बैठते ही कहा अच्छा लिखते हो पंकज बहुत अच्छा । मैंने उसे थैंक्स बोला । मेरे दिल के तार बजने लगे ।
दिल ने कहा बेटा लपेट के और बतियावो । तभी एक लड़की ने बोल दिया ये पंकज शायरी भी बहुत अच्छी करता है । सुमन ने कहा “ऐसा क्या” । लड़की – अरे पता नहीं क्या तुमको तुम्हारे ऊपर सबसे ज्यादा करता है । ये सुन के सुमन चुप हो गई …. मेरा मुंह शर्म से लाल हो गया । शायद सुमन को कुछ कुछ समझ में आने लगा था, वो अभी भी चुप थी । मैंने परिस्थिति को सँभालते हुए कहा — अरे सुमन वो बहुत फ़र्ज़ी बोलती उसकी बातों पर ध्यान मत देना … वैसे तुम्हारी कविता भी लाजवाब थी । उसने मुझे धन्यवाद देते हुए कहा तुम्हारी ज्यादा अच्छी थी । मैंने कहा – अच्छा सही में ? मुझे तो नहीं लगता । उसने भी मेरी बात दोहरा दी – अच्छा ? मुझे भी नहीं लगता । हम दोनों कुछ देर तक चुप रहे फिर एक साथ खिलखिला के हँसने लगे । मेरी हंसी तो वैसे हो सियार जैसी थी …. लेकिन उसकी हंसी तो इतनी सुरीली और दिल में घंटी बजाने वाली थी की बिन बादल बरसात और बिन घटा मोर नाचने लगे ।
यूँ ही हम लगभग 10 मिनट तक बात करते रहे । जब स्कूल की छुट्टी हुई तो बस के पास साईकिल निकालकर खड़ा था उसे देखने के लिए । वो आई बस में बैठी और चली गई । आज मेरा दिल उछल उछल के धड़क रहा था । तेज़ धुप भी बर्फीली ठण्ड का एहसास दिला रही थी । आज पता नहीं कौन सी आंतरिक शक्ति साईकिल चला रही थी … क्या चढ़ाव क्या ढलान कुछ् नहीं सूझ रहा था । कुमार शानू का वो गीत “पहला ये पहला प्यार तेरा मेरा सोनी” को मेरी अंतरात्मा बिल्कुल स्पष्ट सुन रही थी । उसी का चेहरा आँखों में समाया हुआ था । रास्ते में कौन आ रहा है कौन जा रहा है कोई सुध् नहीं । घर पहुंचा हाथ मुंह धो के खाना खाया । लव सांग्स की एक लंबी चौड़ी प्ले लिस्ट बना के सुनता रहा ।
उस से स्कूल में अब रोज बात होती । उसे कभी कभी अपनी कविताये सुनाता तो कभी वो । बोर्ड एग्जाम को 1 महीने बाकी रह गए थे, स्कूल बंद होने वाला था । शायद अब हमारी मुलाकात 2 महीने बाद होने वाली थी । घर जाते वक़्त हम दोनों मिले … मैंने आने वाले एग्जाम के लिये उसे बेस्ट ऑफ़ लक कहा … उसने भी मुझे कहा … ये भी की … दिमाग सिर्फ पढाई पर लगाना … कुछ दिन कविता शायरी बंद कर दो । वो मुस्काई, बाय बोला और बस में बैठ गई … मैं बगल में खड़ा था वो खिड़की में से मुझे देख रही थी .. शायद उसे एहसास हो चूका था की मैं उससे प्यार करता हूँ । आज मैं बहुत उदास था और.. शायद वो भी । वो चली गई मैं उसे एकटक निगाहों से देखता रहा।
मेरी आँखों में आंसू थे .. तभी छिछोरा आया और ढांढस बन्धाने लगा । फिर मैं ये सोचकर खुश हो गया की एग्जाम खत्म होने के सबको एक दिन स्कूल आना था ….. उस दिन हमें अच्छे रिजल्ट की शुभकामना और भविष्य के लिए हिदायत देने को बुलाया गया था । किताबों और उसकी यादों की कश्मकश के बीच एग्जाम खत्म हुआ । सभी पेपर बहुत अच्छे हुए थे, मैं बहुत खुश था । हफ्ते भर बाद स्कूल जाना था । बहुत बेचैन था, नींद गायब थी, भूख भी बहुत कम लगती थी । दिमाग कल्पनाओ के समुन्दर में गोते खा रहा था … सुमन आएगी उस दिन … क्या वो सारी में होगी या किसी और लिबास में ? …. ।
आखिर वो दिन आ ही गया रात को जैसे तैसे 2 बजे सोया था और सुबह 4 बजे ही उठ गया । 7 बजे का टाइम था । जल्दी से नहा धो के हल्का फुल्का नाश्ता चाय किया । आज जींस और चेक शर्ट में स्कूल जाने वाला था । कायदे से Deo लगा के आज अपनी बाइक CD Delux उठाई और 6 बजे ही घर से निकल गया । चूँकि आज सारे दोस्तों से विदा होने वाला था तो वैसे भी मन भावुक था । 10 मिनट में स्कूल पहुँच गया … छिछोरा वही खड़ा था । बाइक से उतरकर उससे गले मिला । एग्जाम का हाल चाल लिया गया । उसने पेट में खोदते हुए कहा … क्या बात है बड़ा सज धज के आया है … मैंने उसे ठोंक दिया वो चुप हो गया ।
बहुत दोस्तों से मुलाकात हुई । बस के आने का टाइम हो रहा था … दिल की धड़कने बढ़ रही । कभी कभी ये सोचके घबरा जाता की “वो आयेगी भी या नहीं” …. तभी सर झोर के खुद से कहता ऐसा नहीं होगा … वो जरूर आएगी । मैं बालकनी में चला गया … उसे उसी पुराने अंदाज में देखने के लिए जैसा उसे पहली बार देखा था … बिलकुल उसी जगह खड़ा था । अभी इसी कंफ्यूजन में था की वो क्या पहन के आएगी … बाकी लड़कियां खूबी सज धज के आई थीं । तबतक कुछ दूर बस दिखी … हाँ वो 5 नंबर बस थी । मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा । बस रुकी सारे 12th के स्टूडेंट थे । मैं लगातार देखे जा रहा था की कब वो निकलती है … वो निकली …
वही स्कूल की ड्रेस पहने हुए … आँखों में वही चमक वही दमकता चेहरा … वही शालीनता … भला उसे और किस साज सज्जा की जरुरत थी …। ऐसा लग रहा था मानों 2 साल पहले की घटना रिपीट हो रही हो । वही हवा के झरोंको को आँख बंद करके महसूस कर रहा था । उसकी नज़रे ऊपर उठीं उसने मुझे देखा मैंने उसे । मैंने ऊपर से ही बोला …. हाय सुमन कैसी हो ? .. उसने कहा … पहले नीचे तो आओ पंकी … वो बहुत खुश दिख रही थी । मैं दौड़ा नीचे गया … बिल्कुल उसके सामने आ गया … जी किया बाहों में भरके गले लगा लूं । दिल जोरों से धड़क रहा था ।उसने उसने पूछा एग्जाम कैसा बीता … मैंने कहा “एकदम खराब” … उसने कंधे पर ठोंकते हुए कहा “चल झूठा .. तुम्हारा और ख़राब ” । सुमन ने कहा – बड़े स्मार्ट लग रहे हो … मैंने भी कह दिया – “तुम भी बहुत खूबसूरत लग रही हो … हमेशा की तरह ।और हम एक साथ हंस पड़े ।
स्कूल का कार्यक्रम खत्म होने के बाद बोला गया की एक घंटे बाद स्कूल की छुट्टी कर दी जायेगी जिनसे मिलना हो मिल लो । आज शायद आखिरी दिन था … फिर पता नहीं कब मुलाकात होगी … यही सोचते हुए हम दोनों आमने सामने बैठे थे … आज निश्चय कर के आया था की उससे अपनी दिल की बात बोल दूंगा लेकिन समय बीत रहा था मैं बोल नहीं पा रहा था । उसकी भी हालात मेरी जैसी ही थी … शायद वो भी मुझसे कुछ कहना ही चाहती थी …. शायद वही जो मैं उससे । स्कूल में बीते पुराने वक़्त को याद किया जा रहा था । आँखों से आँखे मिली हुई थी … हमें एक दूसरे की दिल की बातें पता थीं बस जबानी तौर पर कहना था जो अब बहुत कठिन प्रतीत हो रहा था । बात करते करते हमारी ऑंखें भर गई थीं ।
तभी अनाउंस किया गया की जिसे बस से जाना है बस में जल्दी से बैठ जाये । ये सुनते ही लगा मेरा दिल बाहर निकल जायेगा । पांव कांप रहे थे । ऐसा लग लग रहा था दिल की बात दिल में ही रह जायेगी । मैंने उससे कहा जाने दो ना बस को मैं तुम्हे बाइक से घर तक छोड़ दूंगा । उसने कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं …कोई और देखेगा तो क्या सोचेगा । पता नहीं क्यों मैं उसकी बात नहीं काट पाया । बस में बैठने के लिए एक बार फिर अनाउंस किया गया । अब मुझे चलना होगा ये कहते वो उठ गई … उसकी आँखे नम थी … मैं मन ही मन रो रहा था और सोच रहा की काश अभी अपने हांथो से उसके आंसू पोंछ दूँ और बाहों में भर लू । वो जाने लगी … मैं जैसे हरासमेंट का शिकार हो रहा था … धड़कन रुक सी गई थी । वो स्कूल के गेट पर पहुँच चुकी थी … मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था … मैंने आवाज लगाई – “सुमन रुको थोडा” ।
ये सुनते ही सुमन ने अपने पाँव वापस खिंच लिए । मैं जल्दी में लड़खड़ाते हुए उसके पास गया । अब निश्चय कर लिया था … इस बार बोल के रहूँगा । वो गेट के पास खड़ी तो मैं उसके पास पहुंचा … करीब .. बिल्कुल करीब । पूरा शारीर कांप रहा था । मैंने एक झटके में बोल दिया … “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ” । मेरी नज़रे झुकी हुई थी उसके जवाब का इंतजार था …। आखिरकार उसका जवाब आया … “मैं भी ” ।
हम एकदम शांत थे । मैंने नज़रों से नज़रें मिलाई और कहा पूरा बोलो ना … उसने कहा … “मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ” । ये सुनते ही ऐसा प्रतीत हुआ मानों मैं हवा में उड़ रहा हूँ ।लग रहा था बहुत बड़ा बोझ हट गया हो दिल से । जी कर रहा था कस के गले लगा लूँ पर बहुत से लड़के आ जा रहे थे इसिलिये ऐसा ना कर सका । हम दोनों खुश थे । वो बस में बैठने के लिए जाने लगी … आँख के आंसू पोछते … क्या ये मिलन था दो दिलों का ?? कैसा दिलों का मिलन …. जब एकदूसरे से मिलने की संभावनाये धुंधली हों । लेकिन हम सन्तुष्ट थे ।
वो बस में बैठी खिड़की में से निहार रही थी । मैं चुपचाप खड़ा उसे देख रहा था … बस के स्टार्ट होते ही आँखों में आंसू आ गए । बस चली पड़ी …. बस …. अब सब शांत था । कुछ देर यूँ ही बाइक पे बैठा रहा । छिछोरा आया … मैं उसे बिना कुछ कहे सुने गले लगा लिया … वो समझ गया की कहानी बन गई लौंडे की ….. ।
उसने कहा पार्टी कब दे रहा है … मैंने कहा ले लेना बे । उसने कहा …. फ़ोन नंबर लिया या एड्रेस ?? ये सुनते ही जैसे मैं फिर सुन्न पड़ गया । उसके जाते वक़्त तो उसे ही निहारता रह गया इन सब चीज़ का तो ध्यान ही नहीं रहा और शायद उसके साथ भी यही हुआ था । इसी बीच फिर एक उम्मीद की किरण जगी … रिजल्ट …. हाँ वो अपना रिजल्ट लेने जरूर आएगी । छिछोरे ने कहा बेवकूफ आशिक़ उस दिन पक्का मांग लेना ।
रिजल्ट मिलने के एक दिन पहले कश्मकश जारी थी … की क्या वो रिजल्ट लेने आएगी ? लेकिन इस बार दिल भी ये बात दिल से नहीं कह रहा था । रिजल्ट लेने देर से पहुंचा । छिछोरे से मुलाकात हुई .. बोला मैं भी अभी आ रहा हूँ । सुमन कहीं भी नहीं दिख रही थी । रिजल्ट देते वक़्त सर ने शाबाशी देते हुए कहा बहुत अच्छे नंबर हैं तुम्हारे अच्छे से पढ़ना आगे । 89 % मार्क्स थे । लेने के बाद sign करने लगा रजिस्टर में तो देखा की सुमन के कालम के आगे ट्रिक लगा है और किसी का सिग्नेचर पड़ा है । एक समय के लिये लगा जैसे दिल धड़कना बंद हो गया है ।
सर से पूछा सुमन आई थी रिजल्ट लेने ? उन्होंने कहा नहीं … उसके नाना जी आये थे । नाना जी ? सर ने कहा – हाँ वो अपने नाना जी के यहाँ रहती थी … उसका घर दिल्ली है । अभी वो घर चली गई है । मैं रिजल्ट लेके बाहर आ गया । उसकी एक सहेली से पूछा — उसने कहा उसके पास फ़ोन नहीं था इसलिए किसी के पास उसका नंबर या एड्रेस नहीं है ।शिद्दत भरी मोहब्बत … धूमिल होती दिख रही थी । अब सब सामान्य था या असामान्य … कुछ समझ नहीं आ रहा था । उसे दुबारा मिलने की सारी संभावनाये खत्म हो रही थीं । बेचैनी ने घेर लिया था ।ऐसा लग रहा था मुझे ऑक्सीजन की कमी हो रही थी सही से साँस नहीं ले पा रहा था । सब कुछ बर्बाद प्रतीत हो रहा था । छिछोरा आया .. मेरे कंधे पे हाथ ठोंक के बिना कुछ कहे चुपचाप घर को निकल लिया । मैं भी घर चला आया था ।
दिमाग में तरह तरह के सवाल उठ रहे थे ।
कही सुमन के प्यार का इकरार झूठा तो नहीं था या फिर वो महज मजाक तो नहीं था ??
लेकिन दिल इस बात की कभी गवाही नहीं दे सकता ।
वो ख़ुशी झुठी नहीं थी …
वो हंसी झुठी नहीं थी …
वो आंसू झूठे नहीं थे …
फिर वो प्यार का इकरार कैसे झूठा हो सकता है ।
आज इस घटना को तीन साल पुरे हो चुके हैं,
तब से फिर कभी मुलाकात ना हुई … कभी कभी सपनों में दिख जाती है । आज भी कभी फेसबुक पे सुमन नाम से रिक्वेस्ट आ जाती है तो दिल झन्ना उठता है । पागलों की तरह उसकी प्रोफाइल चेक करने लगता हूँ …. लेकिन ये मेरी सुमन नहीं होती है …. शायद किसी और की ।
आज भी अपने स्कूल में नए सत्र प्रारम्भ होते है शून्य संभावनाये लिए एक बार अवश्य जाता हूँ सिर्फ और सिर्फ यादों को जीवित रखने के लिए ….उसी बालकनी में खड़ा हो कुछ पल इधर उधर देखता हूँ —-
उसकी निशानी के नाम पर वही पत्रिका में छपी उसकी एक धुंधली तस्वीर और कविता है ।
उसकी धुंधली तस्वीर देखकर डर जाता हूँ कहीं यादों में भी उसकी तस्वीर ऐसे ही धुंधली न पड़ जाये ।
—-
बड़ी शिद्दत से मुहब्बत की थी जिससे,
दिल अभी भी दिल से कहता है आयेगी वो इक दिन —||
(Source: IngnoredPost.com)
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Love Story in Hindi by Shivendra Shukla
आज की कहानी है लिखी है Shivendra Shukla जी ने ! और जबरदस्त लिखी है बस आराम से पढ़िए कहानी के अंत तक !
रिश्ता हमारा हमेशा से मजबूत था । चाय के बहाने ही सही , छुप छुप के घर उसके हम हो ही आते थे ।
हमसे उम्र में बड़ी होने के कारण खुद को ज्यादा बुद्धिमान समझती थी , रोज रात को एक ही सवाल
शादी कब करोगे ? जब तंग आकर कभी डाँट भी दिए तो रोते हुए , हम तो आप के ही हैं , जब तक जिन्दा हैं जैसे रखना होगा रख लीजियेगा ।
पुरुष पत्थर दिल होते हैं ऐसा सुन रखा है हमने लेकिन वो पुरुष ही होता है जो अपनी बीवी की ख़ुशी के लिए वो सब करता है जो प्यार होने के पहले उसने करने की सोचा तक नहीं था ।
बाँहो में लेके अपनी प्रेयसी को सोने से बेहतर कोई नींद हो सकती है क्या ?
तुम क्या जानो मोहब्बत जब बॉर्डर पर गोली भी लगती है ना तो केवल दो औरते दिमाग में घूमती हैं एक माँ और एक पत्नी ।
हट ! जब रोती रहूँ तो ऐसी बात मत किया करो । मानूँगी नहीं मैं । तुम्हे मनाने के लिए कौन कह रहा , हम तो दिल में बैठे हैं तुम्हारे,
एक बात कहें , उस दिन जो सूट तुम पहनी थी ना कत्थे रंग का, खिल रहा था तुम्हारे ऊपर ।
हम भी एक बात कहें वो सूट तुमने ही ख़रीदा था अगर याद हो
छोटे थे तो BMW का ख्वाब था बड़े हो गए तो वैगन आर सही रहेगी तक ही सोचते हैं
अमेरिका में हनीमून ना मना सके तो क्या , शिमला तो जा ही सकते हैं ।
सच भी आप इतने रोमांटिक तरीके से बोलते हैं मैं अमेरिका घूम लेती हूँ और वैसे भी प्लेन पे एक बार बिठा दीजियेगा , इतनी इच्छा तो है मेरी ।
ना बाबा ना अभी उसी दिन कोई प्लेन क्रैश हो गया था , हमें नहीं जाना ऐसे प्लेन में ।
तुम कितनी भोली हो
और आप कितने शातिर ।।
अच्छा सुबह ऑफिस जाते वक़्त रोज किस करेंगे आपको ,
हाहाहा । हाँ इसमें पैसे नहीं लगेंगे ।
हाहाहा । आपको क्या लगता है मैं फ्लैट में रहूँगी , भूल कर मत सोचना ।
लेकिन घर बनाना तो फिर बड़ी नौकरी में हो पायेगा , वो भी काफी वक़्त लग जाएगा
कोई बात नहीं तब तक मैं फ्लैट में रह लूँगी ।
यही तो प्यार था हमारा, कितनी शिद्दत थी, झुकाव था, इच्छा केवल साथ रहने की थी
सर में दर्द का इलाज नहीं कराती तुम, कल चलो पक्का दिखवा दूँ
ठीक है लेकिन ओला से मत आइयेगा, किराया ज्यादा लगता है , बाइक से ही आइयेगा । भैया से कार के लिए मत लाड़ियेगा
आपको पहले आना था, इनका सिटी स्कैन करना होगा
मम्मी से बात करती हूँ
करवा लो बेटा जब गयी ही हो।।
क्या हो अगर मेरी रिपोर्ट में ट्यूमर आ जाय ?
मजाक मत करो , रिपोर्ट कल आएगी और तुम फोन पर ही लगी हो । लेकिन मुझे तो चिंता हो रही
सो जाओ । मेरी बाँहो में । हम दोनों आज अच्छा सपना देखेंगे । तुम मेरी आँखों से अपनी दुनिया देखना ।
मेरे दिल से अपनी धड़कनो को सुनना ।
मेरी खुशबु से खुद को सरोबार करना ।
मेरे प्यार से खुद को जिन्दा रखना ।
अच्छा बेटा बैकती बंद करो ।
हवा आज काफी ठण्डी है, क्या आया होगा रिपोर्ट में
बात अजीब है आपको ब्रेन ट्यूमर है एडमिट होना होगा ।
स्तब्ध ।।
आँसू रुक नहीं रहे
तुम ठीक हो जाओगी
मेरी आँखों में देखो
मेरे सीने में दर्द होने लगा ।। मोबाइल लिए लिए हाँथ में किसी को फोन तक नहीं कर पा रहा
बस काँप रहा हूँ
वो मेरी बाँहो में भरी हॉस्पिटल में सिसक रही ।
तुम पानी पियो । हम दिल्ली तक जाएँगे । मैं अपने घर में बात करता हूँ । घबराओ नहीं सब ठीक होगा ।
अकेले बेड पर पूरे सर पे पट्टी बाँधे हुए
मेरे हाँथो में उसका हाँथ
एक वादा करोगे
क्या ?
पागल मैं कहीं नहीं जा रही, तुम्ही ने तो कहा था धड़कति हूँ मैं तुममे ।
हाँ ।।
मुझसे प्यार करते हो ना
हाँ ।।
कितना
हाँ ।।
बस हाँ हाँ ही बोलोगे ऊपर जाके क्या मैं बस अंतिम समय में हाँ ही याद रखूंगी ?
नहीं ।।
तुम क्यों रो रहे ? मैं तो मुस्कुरा रही ।।
मुझे देखो
मेरी तरफ देखो
हवाई जहाज पर ज्यादा दूर मत जाना । जिंदगी जी है मैंने तुम्हारे साथ और फ़िल्मी स्टाइल में पागल मत हो जाना ।
सिंदूर लगाया था ना एक दिन तुमने मुझे
आज फिर लगाओगे क्या ?
नहीं ।।
मेरे हाँथ काँप रहें मैं ये नहीं कर पाउँगा ।
इतना कमजोर लड़का फंसाई थी मैं लानत है खुद पर
रोते रोते हँसते हुए
नहीं रे । हर लड़ाई लड़ सकता हूँ ।
भगवान् को मानना छोड़ मत देना । वो ही तो है जो मुझे वहाँ भी खुश रखेगा
मंदिर पहले भी नहीं जाते थे, लेकिन अपने जन्मदिन पर मंदिर जरूर जाना ।
और सुनो
मेरी सौतन तो नहीं लाओगे ?
नहीं ।। ऐसा इस जन्म में हो सकता है क्या ?
जिंदगी मेरे बिना नहीं जी पाओगे, किसी का साथ जरूर लेना ।
मोहब्बत फिर से करना
जुबान पर हाँथ रख दिया मैंने
अब ऐसा कुछ नहीं बोलोगी तुम
अब और क्या बुरा होगा मेरे साथ
5 साल गुजारे मैंने तुम्हारे साथ । जी लिया ।।
अपनी जिंदगी तुम्हे देके जा रही ।
ख्याल रखना अपना ।
एक बार अंतिम में मेरी बाँहो से लिपट जाओ ताकि चैन से मर सकूँ ।
गला फाड़ कर रोने लगा था मैं
डॉक्टर घर वाले सब आ गए
उसका हाँथ मेरी गाल पर था
घंटो निशबद हाँथ पकडे ऐसे ही बैठा रहा । उसको देखते हुए ।
मौत भी कितनी आसान होती है
मेरी दुनिया लेके चली गयी ।
माँ मेरी बगल में खड़ी होक सिसक रही थी, मेरे सर पर हाँथ रख के बोला
तेरे बिना नही कट पायेगी ये जिन्दगी
बेटा पानी ही पी ले 3 दिन हो गए
पिता जी भी रात भर सो नहीं पा रहें
मैं बस गंगा किनारे
बिना आवाज के
टहलता हुआ
क्या है मौत
क्या है मोहब्बत
क्या है जीवन ।।
शायद जवाब इतना आसान भी नहीं था ।।
(Source: IngnoredPost.com)
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