भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। उनका जन्म मथुरा में देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका जीवन निःस्वार्थ प्रेम और भक्ति का एक आदर्श उदाहरण है। सर्वोच्च देवता होने के बावजूद, उन्होंने सारथी, मित्र और शिक्षक जैसी कई भूमिकाएँ निभाईं। भगवद गीता में उनकी शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर मार्गदर्शन कर रही हैं। उन्होंने दिखाया कि सच्ची खुशी दूसरों की सेवा करने और अपने कर्तव्य (धर्म) का पालन करने में है। कृष्ण का जीवन सभी उम्र के लोगों के लिए प्रेरणा है, जो हमें प्रेम, करुणा और निस्वार्थता के महत्व की याद दिलाता है।