भगवान श्री राम पर निबंध – Essay on Lord Rama in Hindi

भगवान राम को हिंदू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है। वे भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं और हिन्दू महाकाव्य रामायण के नायक हैं। भगवान राम के चरित्र में सच्चाई, धर्म, निष्ठा और आदर्शों का मेल है, जो उन्हें आज भी प्रासंगिक और अनुकरणीय बनाता है। इस लेख में हम भगवान राम के जीवन, उनकी महत्‍वपूर्ण घटनाओं, और उनके आदर्श चरित्र की विस्तृत चर्चा करेंगे।

भगवान राम का जन्म और आरंभिक जीवन

भगवान राम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौसल्या के घर हुआ था। भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था, जिसे राम नवमी के नाम से मनाया जाता है। भगवान राम का जन्म जनमानस के उद्धार के लिए विष्णु भगवान के अवतार के रूप में हुआ था।

अयोध्या और राजा दशरथ

अयोध्या उत्तर भारत का एक प्राचीन नगरी है, जो सरयू नदी के किनारे स्थित है। राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे और वे अत्यंत धर्मनिष्ठ एवं प्रजा वत्सल थे। उनकी तीन रानियाँ थीं: कौसल्या, सुमित्रा, और कैकेयी। भगवान राम कौसल्या के पुत्र थे, जबकि भरत कैकेयी के और लक्ष्मण और शत्रुघ्न सुमित्रा के पुत्र थे।

भगवान राम का शिक्षा और गुरुकुल वास

भगवान राम ने अपने भाइयों के साथ महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में अपनी शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने वेद, शास्त्र, धनुर्विद्या, और अन्य युद्ध कला में प्रवीणता प्राप्त की। भगवान राम अपने गुरुओं के प्रिय शिष्य थे और वे अपने भाइयों के साथ सदा धार्मिक और नैतिक आचरण का पालन करते थे।

विश्वामित्र का आगमन और ताड़का वध

भगवान राम के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना तब घटी जब महर्षि विश्वामित्र अयोध्या आए और राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को आश्रम की रक्षा के लिए मांगा। भगवान राम और लक्ष्मण ने महर्षि विश्वामित्र के साथ जाकर ताड़का वध किया और अन्य राक्षसों का संहार किया। इससे भगवान राम की वीरता और साहस का प्रमाण मिला।

भगवान राम का विवाह

भगवान राम का विवाह मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता से हुआ। महर्षि विश्वामित्र के साथ ही भगवान राम ने मिथिला पुष्पवाटिका में सीता के साथ मुलाकात की थी। राजा जनक ने यह घोषणा की थी कि जो भी धनुष तोड़ेगा, उसी से सीता का विवाह होगा। भगवान राम ने शिव जी के धनुष को तोड़कर सीता से विवाह किया।

सीता स्वयंवर और परशुराम का क्रोध

भगवान राम ने शिव धनुष तोड़ा तो महाराज जनक ने सीता और राम का विवाह किया। विवाह के बाद परशुराम वहां पहुँचे और क्रोधित होकर उन्होंने राम पर नाराजगी जाहिर की। अंततः, भगवान राम ने अपनी धर्मपालकता और मर्यादा से परशुराम का क्रोध शांत किया।

अयोध्या वापसी और वनवास

विवाह के बाद भगवान राम अयोध्या वापस लौट आए। इसके बाद अयोध्या में उनके राज्याभिषेक की तैयारियां शुरू हुईं। किन्तु, राजा दशरथ ने कैकेयी को दो वरदान दिए थे जो अयोध्या के सन्यासियों के जीवन को प्रभावित करने वाले थे। कैकेयी ने अपने दो वरदान मांगने की स्थिति में राम को 14 वर्षों के वनवास पर भेजने और भरत को राजा बनाने की शर्त रखी।

भगवान राम का वनवास

भगवान राम ने अपने पिता के वचन का पालन किया और वनवास के लिए प्रस्थान किया। उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ वनवास गए। भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास काल विभिन्न ऋषि-मुनियों के आश्रमों में व्यतीत किया, जबकि उन्होंने अनेक राक्षसों का संहार भी किया।

पंचवटी और सीता हरण

वनवास के दौरान, भगवान राम ने अपने परिवार और अनुयायियों के साथ पंचवटी में निवास किया। यहीं रावण की बहन शूर्पणखा ने लक्ष्मण के प्रति अपने प्रेम को प्रकट किया, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया। क्रोधित होकर शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को इसकी जानकारी दी। रावण ने सीता का हरण करने की योजना बनाई।

रावण का छल और जटायु का बलिदान

रावण ने मारीच को स्वर्ण मृग बनकर सीता को लुभाने भेजा। जब राम और लक्ष्मण मृग का पीछा करने गए, तब रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। जटायु ने रावण को रोकने की कोशिश की, लेकिन रावण ने उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया।

हनुमान का सहयोग और सीता की खोज

भगवान राम ने सीता की खोज के लिए वानरराज सुग्रीव के साथ मित्रता की और हनुमान को सहयोगी के रूप में प्राप्त किया। हनुमान ने अपने अद्वितीय बल और बुद्धिमत्ता का उपयोग कर लंका पहुँच कर सीता की स्थिति की जानकारी प्राप्त की।

सीता की खोज और हनुमान की लंका यात्रा

हनुमान ने अपनी वैभवशाली यात्रा के दौरान लंका में सीता की खोज की और उन्हें भगवान राम का संदेश दिया। हनुमान ने लंका में अपना पराक्रम दिखाया और रावण के पुत्र अक्षय कुमार को मार गिराया। उन्होंने रावण के अशोक वाटिका को जलाकर अपनी वीरता का परिचय दिया।

लंका युद्ध और रावण वध

भगवान राम ने वानरों की सेना के साथ लंका पर चढ़ाई की और रावण के साथ महायुद्ध हुआ। इस युद्ध में राम की सहायता वानरराज सुग्रीव, हनुमान, अंगद, नील, नल आदि ने की। युद्ध में राम ने रावण को पराजित कर उसका वध किया और सीता को मुक्त किया।

विभीषण की नियुक्ति और रावण का अंत

रावण के अंत के बाद, भगवान राम ने विभीषण को लंकापति बनाया। विभीषण ने राम के धर्म और न्यायकारी व्यवहार से प्रभावित होकर उनका समर्थन किया था। रावण के अंत के बाद सीता ने अग्नि परीक्षा से अपनी पवित्रता को प्रमाणित किया।

अयोध्या वापसी और राज्याभिषेक

रावण का अंत और सीता की मुक्ति के बाद भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण अयोध्या वापस लौटे। अयोध्यावासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और भगवान राम का राज्याभिषेक किया गया। रामराज्य की स्थापना हुई, जिसमें धर्म, न्याय, और आदर्शों का पालन किया गया।

रामराज्य का आदर्श

रामराज्य को आदर्श और सम्मानित शासन का प्रतीक माना जाता है। इस समय सभी लोग न केवल खुशहाल थे, बल्कि समाज में अन्याय और शोषण का भी अंत हुआ। भगवान राम का शासन सत्य, न्याय, और करुणा पर आधारित था, जो आज भी आदर्श बनकर स्थापित है।

भगवान राम के चरित्र के विशेष गुण

  • धर्मपरायणता: भगवान राम हमेशा धर्म का पालन करते थे और उन्होंने अपने कर्तव्यों को निभाने में कभी पीछे नहीं हटे।
  • सत्यनिष्ठा: भगवान राम अपने वचनों के प्रति सत्यनिष्ठा रखते थे। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, उन्होंने हमेशा सत्य का साथ दिया।
  • करुणा और दया: भगवान राम में करुणा और दया का अपार भंडार था। उन्होंने हमेशा जरूरतमंदों की सहायता की और सभी प्राणियों के प्रति संवेदना प्रकट की।
  • मर्यादा पालन: भगवान राम ने हमेशा आचरण की मर्यादा का पालन किया और सभी को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा दी।
  • पराक्रम: भगवान राम ने अपनी वीरता और पराक्रम से असुर और अन्याय का अंत किया।

भगवान राम के आदर्श और आधुनिक समाज

भगवान राम के आदर्श आज के समाज के लिए भी प्रासंगिक हैं। उनका चरित्र संयम, धैर्य, और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है। आजकल के जीवन में जहां आगे बढ़ने की होड़ लगी है, भगवान राम के आदर्श हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकते हैं।

भगवान राम से सीखें जाने वाले मुख्य सबक

  • धैर्य और संयम: भगवान राम का वनवास काल हमें सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों का सामना धैर्य और संयम से करना चाहिए।
  • न्याय और धर्म: भगवान राम का राज्याभिषेक और उनके द्वारा स्थापित रामराज्य हमें न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
  • सच्चाई का महत्व: भगवान राम का जीवन सच्चाई का प्रतीक है। उन्होंने हमेशा सत्य का पालन किया, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
  • करुणा और दया: भगवान राम का चरित्र हमें सिखाता है कि जीवन में करुणा और दया का महत्व कितना बड़ा है।

निष्कर्ष

भगवान राम अपनी धार्मिकता, सत्यनिष्ठा, और आदर्श जीवन के कारण प्रत्येक भारतीय के दिल में बसते हैं। उनका जीवन हमें सत्य, धर्म, और आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देता है। उनके चरित्र की कथाएँ और शिक्षाएँ हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। भगवान राम का आदर्श चरित्र हमें जीवन में सभी संघर्षों का सामना करने और सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

अतः, भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर हम सभी एक सभ्य और आदर्श समाज की स्थापना कर सकते हैं। भगवान राम एक ऐसे दिव्य व्यक्तित्व का प्रतीक हैं, जो हमेशा हमारे जीवन को रोशनी और दिशा निर्देश देने का काम करते हैं।

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