पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षा इंग्लैंड में हुई और वे हार्रॉव और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में पढ़े। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में वे महात्मा गांधी के प्रमुख अनुयायी थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता बने।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
नेहरू का जन्म एक धनी और प्रतिष्ठित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू, एक प्रसिद्ध वकील थे और माता, स्वरूपरानी, एक धार्मिक महिला थीं। नेहरू बचपन से ही उच्च शिक्षा का महत्व समझते थे। उन्हें हार्रॉव, एक परंपरागत अंग्रेजी स्कूल में भेजा गया, जहाँ उन्होंने अनुशासन और अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का गहरा अनुभव प्राप्त किया। उसके बाद, नेहरू कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध ‘ट्रिनिटी कॉलेज’ में गए। यहाँ उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की और इसके बाद इनर टेम्पल में कानून की पढ़ाई की।
भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम
नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की, लेकिन जल्द ही राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हो गए। 1919 के जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने नेहरू को गहरा आघात पहुँचाया और उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए पूर्ण समर्पण करने का निश्चय किया।
महात्मा गांधी के साथ मिलकर
नेहरू ने महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अपनाया और स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कई बार कार्य किया और 1929 में ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू की भागीदारी ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की और नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने। उन्होंने आधुनिक और विकसित भारत के निर्माण की नींव रखी। उनकी नीतियाँ विज्ञान, तकनीक, सामाजिक न्याय, और आर्थिक विकास पर केंद्रित थीं। पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से उन्होंने औद्योगिक और कृषि विकास को प्रोत्साहित किया।
नेहरू की आर्थिक नीतियाँ
नेहरू का विश्वास था कि समाजवादी मॉडल भारत के आर्थिक विकास के लिए सबसे उपयुक्त है। उन्होंने नियोजित विकास की धारणा को अपनाया और महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की, जैसे भाखड़ा-नांगल बांध, चंद्रपुर परियोजना, और कई अन्य।
शिक्षा में योगदान
नेहरू का मानना था कि शिक्षा का समाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIMs) और अन्य महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की।
विदेश नीति और अंतराष्ट्रीय संबंध
नेहरू की विदेश नीति ‘अन्तर्राष्ट्रीयता’ और ‘गुटनिरपेक्षता’ के सिद्धांतों पर आधारित थी। उन्होंने भारत को किसी भी सैन्य गुट में शामिल नहीं किया और शांति एवं सह-अस्तित्व की नीति अपनाई।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
नेहरू ने यूगोस्लाविया के जोसिप ब्रोज़ टीटो, मिस्र के गमाल अब्देल नासर, और इंडोनेशिया के सुकर्णो के साथ मिलकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की स्थापना की। यह आंदोलन शीतयुद्ध के दौर में उन देशों के लिए आदर्श बना, जो न तो अमेरिका और न ही सोवियत संघ के गुट में शामिल होना चाहते थे।
नेहरू का व्यक्तिगत जीवन
जवाहरलाल नेहरू के जीवन में उनके परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनकी पत्नी, कमला नेहरू, स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं। उनकी पुत्री, इंदिरा गांधी, आगे चलकर भारत की प्रधानमंत्री बनीं और उनके नेतृत्व में देश ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं।
साहित्य और लेखन
नेहरू एक उत्कृष्ट लेखक भी थे। उनकी ऑटोबायोग्राफी “मेरी कहानी” और “भारत की खोज” अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुस्तके हैं। इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम, सांस्कृतिक विरासत, और सामाजिक मुद्दों पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किये।
मृत्यु और विरासत
नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी नीतियों और विचारधाराओं का भारत पर गहरा प्रभाव रहा। आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
नेहरू की विरासत
- शिक्षा: नेहरू ने छात्रों के बीच वैज्ञानिक सोच और मानवतावादी दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया। उन्होंने स्थापना कीं जैसे IITs और IIMs जो वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुके हैं।
- औद्योगिकीकरण: नेहरू का सपना था एक औद्योगिक और प्रौद्योगिकी-केंद्रित भारत का। उन्होंने कई उद्योगों और परियोजनाओं की नींव रखी जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण थीं।
- राष्ट्रीय एकता: नेहरू ने भिन्नता में एकता की भावना को बढ़ावा दिया और भारतीय समाज को एकता के धागे में पिरोने का प्रयास किया।
- समाजवाद: नेहरू की समाजवादी नीतियों ने भारत को एक मिश्रित आर्थिक मॉडल अपनाने हेतु प्रेरित किया, जिससे सामाजिक और आर्थिक अंतर कम हो सके।
समाप्ति
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन और उनकी उपलब्धियाँ हमें कई महत्वपूर्ण सीखें देती हैं। वे एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि एक आधुनिक और प्रगतिशील देश के निर्माण की भी नींव रखी। उनकी नीतियाँ और विचार आज भी प्रासंगिक हैं और हमें एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं।
नेहरू का विशाल व्यक्तित्व, उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता और भारतीय समाज के प्रति उनकी ऊर्जावान प्रतिबद्धता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।