असहिष्णुता का अर्थ है किसी विचार, मत, धर्म, जाति, संस्कृति या व्यक्ति की विचारधारा को सहन करने की असमर्थता।
असहिष्णुता का परिचय
मानव समाज में असहिष्णुता एक प्रमुख समस्या रही है। इतिहास गवाह है कि असहिष्णुता के कारण अनेक युद्ध हुए, साम्राज्य ढहे और समाज में अनेक प्रकार के वैमनस्यता पैदा हुई।
असहिष्णुता के प्रकार
- धार्मिक असहिष्णुता: जब किसी व्यक्ति या समूह की धार्मिक विश्वासों के प्रति असहिष्णुता दिखाई जाती है तो इसे धार्मिक असहिष्णुता कहते हैं।
- जातिगत असहिष्णुता: जातिगत आधार पर अन्य जातियों के प्रति असहिष्णुता को जातिगत असहिष्णुता कहते हैं।
- सामाजिक असहिष्णुता: समाज में विभिन्न समूहों या व्यक्तियों के प्रति असहिष्णुता को सामाजिक असहिष्णुता कहते हैं।
- राजनीतिक असहिष्णुता: राजनैतिक मतभेदों के कारण किसी राजनीतिक विचारधारा या दल के प्रति असहिष्णुता को राजनीतिक असहिष्णुता कहते हैं।
असहिष्णुता के कारण
असहिष्णुता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- अज्ञानता एवं अनिवार्यता: जब किसी व्यक्ति या समाज को अन्य धर्म, जाति, संस्कृति, या विचारधारा के बारे में पूरा ज्ञान नहीं होता है, तब उनमें असहिष्णुता बढ़ सकती है।
- पूर्वाग्रह: जब किसी व्यक्ति या समूह के मन में किसी की विचारधारा के प्रति पूर्वाग्रह होता है तो असहिष्णुता उत्पन्न होती है।
- असमानता: समाज में असमानता की भावना भी असहिष्णुता को बढ़ावा देती है। जब किसी के पास संसाधनों, अधिकारों, या अवसरों की कमी होती है, तो वे असहिष्णु हो सकते हैं।
असहिष्णुता के परिणाम
असहिष्णुता से समाज में अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। ये समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
- सामाजिक अशांति: असहिष्णुता से समाज में विद्वेष और तनाव पैदा होता है। इससे हिंसा, दंगे और सामाजिक अस्थिरता उत्पन्न होती है।
- प्रगति में बाधा: असहिष्णुता के कारण समाज का विकास रुक जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक विकास में बाधा आती हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य: असहिष्णुता से प्रभावित व्यक्ति मानसिक रूप से तनाव और अवसाद से ग्रस्त हो सकते हैं।
असहिष्णुता को कम करने के उपाय
असहिष्णुता को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- शिक्षा: शिक्षा का प्रसार करना और लोगों को विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और विचारधाराओं के बारे में जानकारी देना असहिष्णुता को कम कर सकता है।
- संवाद: विभिन्न समूहों के बीच संवाद को बढ़ावा देना चाहिए ताकि वे एक-दूसरे को समझ सकें और उनके बीच की दूरियाँ कम हो सकें।
- समानता: समाज में समानता की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं को मिलकर काम करना चाहिए।
- सकारात्मक दृष्टिकोण: लोगों को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
निष्कर्ष
असहिष्णुता एक गंभीर समस्या है जिसे हमें गंभीरता से लेना होगा। समाज के हर वर्ग और व्यक्ति को इसके विरुद्ध कदम उठाने होंगे। शिक्षा, संवाद और समानता के माध्यम से हम असहिष्णुता को कम कर सकते हैं और एक समरस समाज का निर्माण कर सकते हैं।
अंतिम शब्द
हमें समझना चाहिए कि असहिष्णुता का किसी भी समाज में कोई स्थान नहीं होता। इसके चलते न केवल समाज की प्रगति रुकती है, बल्कि व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर भी नुकसान की स्थिति उत्पन्न होती है। आईए, मिलकर असहिष्णुता के खिलाफ कदम उठाएं और एक स्वस्थ और आंदोलनशील समाज का निर्माण करें।