गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपूरब या प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिन को मनाने के लिए मनाया जाता है। इस पवित्र दिन को सभी सिख समुदाय के लोग बहुत धूमधाम और भक्ति के साथ मनाते हैं। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में तलवंडी (जो अब पाकिस्तान में है) नामक स्थान पर हुआ था। यह त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन आता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा होती है।
गुरु नानक देव की जीवन कहानी
गुरु नानक देव जी का जन्म एक खत्री परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम महिता कल्याण चंद और माता का नाम त्रिपता था। बाल्यकाल से ही गुरु नानक देव जी में आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों की ओर झुकाव देखा जाता था। उन्हें साधारण सांसारिक गतिविधियों में कभी रुचि नहीं थी।
उनके बचपन की कई घटनाएं हमें उनके महान संकल्प और अध्यात्मिक बुद्धि की झलक दिखाती हैं। एक बार, जब वे केवल पांच वर्ष के थे, तो उन्होंने अपने माता-पिता से कहा कि उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता बल्कि भगवान की भक्ति में ही लगता है। प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्होंने अपने आसपास के लोगों को धार्मिक शिक्षाएं देने की शुरुआत की।
सिख धर्म का स्थापना
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के विभिन्न चरणों में संतों और सामान्य लोगों को प्रभु की भक्ति और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित किया। उनका संदेश था कि ईश्वर एक है और सभी मनुष्यों को समान भावना से देखना चाहिए। गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की, जो भारतीय उपमहाद्वीप में एक प्रमुख धर्म बन गया।
उन्होंने अपने जीवन काल में चार बड़ी यात्राएं कीं जिन्हें “उदासियाँ” कहा जाता है, जिसमें उन्होंने भारत, अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों की यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान, उन्होंने हर जगह समानता, सादगी, ईश्वर की भक्ति और मानवता की सेवा का संदेश फैलाया।
गुरु नानक देव जी के प्रमुख उपदेश
- एक ओंकार: गुरु नानक देव जी ने यह बताया कि ईश्वर एक है और सभी प्राणियों का रचयिता है।
- नाम जपो: वे ईश्वर के नाम का जाप करने और सच्चे दिल से उसकी भक्ति करने की सलाह देते थे।
- कीर्त करो: उन्होंने हमेशा ईमानदारी से मेहनत करने और सही मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
- वंड छको: वे साझा करने और जरुरतमंदों की मदद करने के महत्व को समझाते थे।
गुरु नानक जयंती का महत्त्व
गुरु नानक जयंती का महत्त्व कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है:
- धार्मिक महत्त्व: यह दिन सिखों के लिए अत्यंत पवित्र होता है, क्योंकि यह उनके पहले गुरु की जयंती है।
- सामाजिक महत्त्व: यह दिन समाज में समानता, भाईचारा और मानवता की भावना को मजबूत करता है।
- आध्यात्मिक महत्त्व: गुरु नानक देव जी के उपदेश आज भी दुनिया में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने का काम करते हैं।
गुरु नानक जयंती के त्यौहार की तैयारी
गुरु नानक जयंती से पहले सिख समुदाय के लोग विस्तृत तैयारी करते हैं। गुरुद्वारों की सफाई, सजावट, और भक्तिमय कार्यक्रमों की योजना बनाई जाती है। इस त्यौहार का मूल उद्देश्य गुरु नानक देव जी के उपदेशों को संझना और उनके बताये मार्ग पर चलना होता है।
नगर कीर्तन
गुरु नानक जयंती के एक दिन पहले नगर कीर्तन आयोजित किया जाता है। यह एक प्रकार की धार्मिक यात्रा होती है जिसमें लोग भजन-कीर्तन गाते हुए, गुरुद्वारा से निकलकर शहर के विभिन्न हिस्सों में जाते हैं। नगर कीर्तन का नेतृत्व पंच प्यारे करते हैं, जो गुरु नानक देव जी का पवित्र पालकी (पालकी साहिब) लेकर चलते हैं। नगर कीर्तन के दौरान पंज प्यारों और अन्य भक्तों द्वारा गुरबाणी का पाठ किया जाता है।
प्रकाश पर्व का मुख्य दिन
गुरु नानक जयंती के दिन, हर गुरुद्वारे में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिन की शुरुआत ‘अमृत वेला’ (सुबह की प्रार्थना) से होती है और लोग गुरबाणी सुनते हैं। इस दिन का प्रमुख आकर्षण गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ होता है, जो दो दिन पूर्व शुरू होता है और गुरु नानक जयंती के दिन समाप्त होता है।
अखंड पाठ और कथा-कीर्तन
गुरु नानक जयंती के अवसर पर गुरुद्वारों में अखंड पाठ (गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का निर्बाध पाठ) आयोजित किया जाता है। कथा-कीर्तन में गुरु नानक देव जी के जीवन और उपदेशों का वर्णन किया जाता है। भक्त बड़ी संख्या में इन कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और गुरु की महिमा का गुणगान करते हैं।
लंगर
बड़ी संख्या में लोग लंगर (सामूहिक भंडारा) में भाग लेते हैं। लंगर का आयोजन गुरु नानक देव जी के सामूहिकता, समानता और सेवा के मूल्यों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। लंगर के दौरान खाना सभी को नि:शुल्क प्रदान किया जाता है और हर कोई एक साथ बैठकर भोजन करता है, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या समाज से हों।
संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा
गुरु नानक देव जी के उपदेश और उनके जीवन की कहानी विभिन्न धर्मों और समाज के लोगों को प्रेरित करती है। उनकी शिक्षाओं में सामाजिक समानता, धार्मिक सहिष्णुता और मानवता के विकास का संदेश छिपा है। उनके जीवन से हमें पता चलता है कि कैसे सेवा, प्रेरणा और आध्यात्मिकता के माध्यम से हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
गुरु नानक देव जी के उपदेश में आधुनिक संदर्भ
आज के समय में जब समाज में असमानता और असहिष्णुता बढ़ रही है, गुरु नानक देव जी के उपदेश अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। उनकी शिक्षाओं के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से देखा जाना चाहिए और किसी भी प्रकार के भेदभाव का विरोध करना चाहिए।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का महत्व
गुरु नानक देव जी की शिक्षा साधारण लेकिन बहुमूल्य हैं। वे हमें जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और सभी जीवों की भलाई के लिए कार्य करने की प्रेरणा देती हैं। उनकी शिक्षा के निम्नलिखित प्रमुख पहलू हैं:
- सत्य और न्याय का पालन: गुरु नानक देव जी ने हमें सत्य और न्याय का मार्ग दिखाया, जो हर धर्म एवं समाज के होते हुए अनिवार्य है।
- शांति और अहिंसा: शांति और अहिंसा के प्रति उनकी दृष्टि हमें सिखाती है कि हम किसी भी परिस्थिति में हिंसा का सहारा न लें।
- समानता: गुरु नानक देव जी सभी मनुष्यों के समानता की आधारशिला रखने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक हैं।
- सेवा: उनकी सेवा भावना हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। सेवा का अर्थ केवल भौतिक मदद नहीं बल्कि भावनात्मक और मानसिक सहायता भी है।
अंततः, गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं और उनके जीवन के मूल्य हमें हर पहलू में एक बेहतर मनुष्य बनने की प्रेरणा देते हैं। वे हमें दिखाते हैं कि सचमुच का आध्यात्मिक जीवन केवल भक्ति और पूजा में नहीं, बल्कि अपने और दूसरों की भलाई के प्रति जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ रहने में है।
इस प्रकार, गुरु नानक जयंती न केवल सिखों के लिए, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणादायक और महत्त्वपूर्ण पर्व है।
आइये, इस पर्व पर हम गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों और उपदेशों को अपने जीवन में अपनायें और एक बेहतर समाज का निर्माण करें।