मुगल सम्राट अकबर और उनके दरबार के सबसे बुद्धिमान मंत्री बीरबल की कहानियाँ हमेशा से ही रोचक और शिक्षाप्रद रही हैं। अकबर की दरबार में अक्सर विविध मुद्दों पर चर्चाएँ और बहस हुआ करती थीं। एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा—
सम्राट अकबर की जिज्ञासा
“बीरबल, क्या तुमने कभी सुना है कि किसी गांव में खजाना छिपा हुआ हो?”
बीरबल ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “जी हाँ महाराज, सुना तो है, परंतु ऐसी कहानियाँ अक्सर अफवाह ही होती हैं।”
अकबर ने कहा, “तो हमें किसी ऐसी अफवाह का पता लगाना चाहिए, जिसमें सच्चाई हो।”
बीरबल ने सहमति में सिर हिलाया और बोले, “जी महाराज, यदि आपकी यही इच्छा है तो गांव में जाकर इसे ढूँढने का प्रयास करेंगे।”
गांव का दौरा
अगले दिन बीरबल एक सिपाही के साथ एक छोटे से गांव की ओर रवाना हुए। गांव में पहुँचते ही उन्होंने गांववालों से बातें करनी शुरू कीं और उनसे मिले। बीरबल ने अपने तरीके से गांववालों से खजाने की बात पूछी:
“सुनो भाई, यहाँ के लोग बहुत सम्पन्न और खुशहाल दिखते हैं। क्या आपको कभी यहाँ किसी खजाने के होने की अफवाह सुनाई दी है?”
गांव के एक बुजुर्ग ने कहा, “हाँ, बेटा। हमने अपने बुजुर्गों से सुना है कि गाँव के पुराने पीपल के पेड़ के नीचे खजाना छिपा हुआ है। परंतु इस खजाने का पता किसी को नहीं है।”
खजाने की तलाश
बीरबल ने तुरंत वो जगह तलाशने की सोची। वह उस पीपल के पेड़ के पास गए और ध्यानपूर्वक निरीक्षण करने लगे। उसने अपने सिपाही को भूमिगत खुदाई करने का आदेश दिया।
कई घंटों की मेहनत के बाद, जब कोई खजाना नहीं मिला, तो बीरबल ने स्वयं भूमिगत निरीक्षण किया और उन्होंने महसूस किया कि कहीं कुछ रहस्यमयी है।
बीरबल की बुद्धिमत्ता
बीते हुए समय और मेहनत को देखते हुए बीरबल ने एक तरकीब सूझी। उन्होंने गांववालों को बुलाकर कहा, “आप लोग यहाँ खजाने की अफवाहों पर एकरस क्यों नहीं आते? चलिए, हम सब मिलकर इसे ढूंढते हैं।”
गांववाले बीरबल की बात सुनकर जमा हो गए और सब मिलकर खुदाई करने लगे।
कुछ समय के बाद, एक छिपा हुआ गड्ढा निकला, जिसमें एक पुरानी संदूक मिली। संदूक खोलने पर सामने आया कि उसमें सोने, चांदी के सिक्के और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं थीं। गांववालों की खुशी का ठिकाना न रहा।
खजाने का वितरण
बीरबल ने गांववालों को संबोधित करते हुए कहा, “यह खजाना अब आपका है। इसे सही तरीके से वितरित करें और इस गांव की संपन्नता में योगदान दें।”
गांववाले अपनी खुशी में बीरबल के बुद्धिमत्ता और सामंजस्यता की सराहना करते हुए बोले, “आपने हमें न केवल खजाना दिलाया, बल्कि हमारे विश्वास और मेहनत को भी जोड़े रखा।”
बीरबल की नैतिक शिक्षा
बीरबल ने एक बार और सबको समझाया कि, “इस खजाने की असलीमती यही है कि इसे सही तरीके से उपयोग किया जाए। हमेशा ध्यान रखना कि इसे सही उद्देश्य के लिए उपयोग करो।”
संपन्नता और खुशी के साथ गांव सम्पन्नता की ओर बढ़ता रहा। और अकबर को जब इस घटना का पता चला तो वह बीरबल की बुद्धिमत्ता और तर्कशीलता की सराहना करते न थके।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि सामूहिकता, बुद्धिमत्ता और सच्चाई से किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।