Poems on Friendship in Hindi अर्थात इस आर्टिकल में आप पढेंगे, दोस्ती के विषय पर दी गयी बहुत सारी हिंदी कविताओं की एक बढ़िया collection. दोस्ती एक अनमोल रिश्ता है, हम सब को इसकी कदर करनी चाहिए. इसी बात को ध्यान में रखते हुए, अनेक कवियों ने अनेक रचनाएँ की हैं.
Poems on Friendship in Hindi – दोस्ती पर हिन्दी कविताएँ
Contents
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला / फ़राज़
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभानेवाला
वही अन्दाज़ है ज़ालिम का ज़मानेवाला
अब उसे लोग समझते हैं गिरफ़्तार मेरा
सख़्त नादिम है मुझे दाम में लानेवाला
सुबह-दम छोड़ गया निक़हते-गुल की सूरत
रात को ग़ुंचा-ए-दिल में सिमट आने वाला
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे उससे
वो जो इक शख़्स है मुँह फेर के जानेवाला
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आनेवाला
मुंतज़िर किसका हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आयेगा यहाँ कौन है आनेवाला
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख़्वाब की ताबीर बतानेवाला
क्या ख़बर थी जो मेरी जान में घुला है इतना
है वही मुझ को सर-ए-दार भी लाने वाला
तुम तक़ल्लुफ़ को भी इख़लास समझते हो “फ़राज़”
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलानेवाला
हवा से छोड़ अदावत कि दोस्ती का सोच / ज्ञान प्रकाश विवेक
हवा से छोड़ अदावत कि दोस्ती का सोच
अए चाराग, तू चरागों की रोशनी का सोच
समन्दरों के लिए सोचना है बेमानी
जो सोचना है तो सूखी हुई नदी का सोच
तू कर रहा सफ़र ,करके बन्द दरवाज़ा
जो पायदान पे है उसकी बेबसी का सोच
हमेशा याद रहा तुझ को राम का बनवास
कभी तू बैठ के थोड़ा-सा जानकी का सोच
हमें तो मौत भी लगती है हमसफ़र अपनी
हमारी फ़िक्र न कर अपनी ज़िन्दगी का सोच
निज़ाम छोड़ के जिसने फ़क़ीरी धरण की
अमीरे-शहर, उस गौतम की सादगी का सो़च
जो क़ाफ़िले में है शामिल न ज़िक्र कर उसका
जो हो गया है अकेला उस आदमी का सोच.
दोस्ती किस तरह निभाते हैं / कविता किरण
दोस्ती किस तरह निभाते हैं,
मेरे दुश्मन मुझे सिखाते हैं।
नापना चाहते हैं दरिया को,
वो जो बरसात में नहाते हैं।
ख़ुद से नज़रें मिला नही पाते,
वो मुझे जब भी आजमाते हैं।
ज़िन्दगी क्या डराएगी उनको,
मौत का जश्न जो मनाते हैं।
ख़्वाब भूले हैं रास्ता दिन में,
रात जाने कहाँ बिताते हैं।
दोस्ती / सुशीला सुक्खु
प्यार को मत समझो पूरा
उसका पहला अक्षर ही है अधूरा
अगर करना है सच्चा प्यार
तो बन पहले एक दूसरे का यार।
दोस्ती हर बन्धन से मजबूत होती है
दोस्ती मन का सम्बन्ध होती है
जिसमें स्वेच्छा से त्याग की भावना होती है।
दुनिया में हर रिश्ते-नाते
समय के साथ बदलते हैं
मगर सच्ची दोस्ती उम्र भर चलती है।
सच्ची दोस्ती में हर एक रिश्ता मिल जाता है
मगर
हर रिश्ते में दोस्ती नहीं मिलती।
दोस्ती
दो के बीच समता और एकता
जो सुख दुख में भी निभाया जाता।
सच्ची दोस्ती में न दूरी
न नजदीकी है जरूरी
हर हाल में पक्की बनी रहती है
जो करते हैं
वे समझें मेरी बात
न मोहब्बत, न इजहार
पहले दोस्ती करो
फिर प्यार।
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