Diwali Wishes in Hindi अर्थात इस आर्टिकल में हैं बहुत सारी दिवाली की शुभकामनाएँ अलग-अलग रूप में भी जिससे आप अपनों को इस त्यौहार प्रसन्न कर सकते हैं.
आप अलग-अलग blogs पर बहुत सी दिवाली की शुभकामनाओं के रूप मिल जायेंगे, लेकिन हमने आपके लिए बिलकुल ही अद्भुत तरीके से ढेरों शुभकामनाएँ प्रस्तुतु की है, और वह भी कविता रूप में. हमने दीपवाली की कुछ कविताएँ चुनी है जिनके आगे आप “शुभ दिवाली” या “मंगलमय दीपवाली” इत्यादि बोल कर या लिख कर किसी को भी इस दीपों के त्यौहार प्रसन्न कर सकते हैं.
दीपावली की बधाई देने के लिए पहली कविता (1st Poem For Happy Diwali Wishes)
Contents
- 1 दीपावली की बधाई देने के लिए पहली कविता (1st Poem For Happy Diwali Wishes)
- 2 दिवाली की बधाई देने के लिए दूसरी कविता (2nd Poem For Happy Diwali Wishes)
- 3 दिवाली की बधाई देने के लिए तीसरी कविता (3rd Poem For Happy Diwali Wishes)
- 4 दिवाली की बधाई देने के लिए चौथी कविता (4th Poem For Happy Diwali Wishes)
- 5 दिवाली की बधाई देने के लिए पांचवीं कविता (5th Poem For Happy Diwali Wishes)
- 6 दिवाली की बधाई देने के लिए छठी कविता (6th Poem For Happy Diwali Wishes)
- 7 दिवाली की बधाई देने के लिए सातवीं कविता (7th Poem For Happy Diwali Wishes)
- 8 दिवाली की बधाई देने के लिए आठवीं कविता (8th Poem For Happy Diwali Wishes)
- 9 दिवाली की बधाई देने के लिए नौवीं कविता (9th Poem For Happy Diwali Wishes)
- 10 दिवाली की बधाई देने के लिए दसवीं कविता (10th Poem For Happy Diwali Wishes)
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दीप जले दिवाली दीप हैं जले
नन्हें बच्चे प्रकाश के ये मचले
आँगन मुँडेर सजा द्वार सजा है
लहराती दीपक की ज्योति ध्वजा है
धरती पर जगर मगर तारे निकले
दीप जले दिवाली दीप हैं जले
दीप रखे हैं हमने ही धरती पर
ज्योति सदा सबको लगती है सुंदर
तीर चले अँधियारा स्वयं ही गले
दीप जले दिवाली दीप हैं जले
उत्सव है ज्योति का मनाते हैं हम
खुशियों गीत सदा गाते हैं हम
बच्चे दुनिया के आकाश के तले
दीप जले दिवाली दीप हैं जले
ऊपर भी तारे हैं नीचे भी तारे
फूलों की भांति खिले दीपक सारे
पेड़ों पर फल जैसे आज हैं फले
दीप जले दिवाली दीप हैं जले
मेहनत की ज्योति
अब जलाना हमको
धरती के कण-कण
सूरज सा चमको
हो जाएगा प्रकाश साँझ जो ढले
दीप जले दिवाली दीप हैं जले
– श्रीप्रसाद
दीपवाली की ढेरों शुभकामनाएँ आप सब को!
दिवाली की बधाई देने के लिए दूसरी कविता (2nd Poem For Happy Diwali Wishes)
आयी दिवाली मनभावन
भाँति भाँति घर वार सजे।
जगमग जगमग हुई रोशनी
कितने बंदनवार सजे॥
दादा लाए कई मिठाई,
खील, बताशे भी लाए।
फुलझड़ियाँ, बम, चक्र, पटाखे
अम्मां ने ही मंगवाए॥
गुड़िया ने छोड़ी फुलझड़ियाँ,
शेष पटाखे भैया ने।
धूम धड़ाका हुआ जोर का,
डाँट लगाई मैया ने॥
सबने मिल की लक्ष्मी पूजा,
काली रजनी उजियाली।
कितनी रौनक कितनी मस्ती
फिर फिर आये दिवाली॥
– त्रिलोक सिंह ठकुरेला
दीपवाली की ढेरों शुभकामनाएँ आप सब को!
दिवाली की बधाई देने के लिए तीसरी कविता (3rd Poem For Happy Diwali Wishes)
धरती पर दीप जले, अम्बर में तारे ।
दिवाली आई द्वारे ।।
मन्दिर में दूर आरती थमी
कुहरे की एक पर्त-सी जमी
देखना ! अन्धेरे से रोशनी न हारे ।
दिवाली आई द्वारे ।।
आँगन में दीप डोलने लगे
सोने का रंग घोलने लगे
एक नया भोर उगा साँझ के किनारे ।
दिवाली आई द्वारे ।।
कहीं जली पुलक-पुलक फुलझड़ी
बम छूटे, सर-सर चकई उड़ी
चन्द छन्द बोल गए दूधिया अँगारे ।
दिवाली आई द्वारे ।।
आओ हम बैर-भाव तोड़कर
मिल जाएँ राह-द्वेष छोड़कर
जलते हैं दीप सदा, स्नेह के सहारे ।
दिवाली आई द्वारे ।।
– रमेश रंजक
दिवाली की बधाई देने के लिए चौथी कविता (4th Poem For Happy Diwali Wishes)
अगणित दीप जलाकर गाओ,
मन का सुन्दर गान।
अपने प्राण गंवाकर भी,
रक्खो भारत का मान।
मधुर-मधुर दीपक जलता है,
दे प्रकाश का दान।
प्रेरित करता आज मनुज को,
गाने जय का गान।
उठो हिन्द के वीर सपूतो,
रक्खो माँ की शान।
पा आलोक दीप से सीखो,
जल जाने की आन।
दिवाली का दीप कर रहा,
है सबका आह्वान।
उठो आज मर्दन कर दो,
सब चीन-पाक का मान।
करो आज हुंकार डुबाने,
जॉनसन, विलसन का जलयान।
और चरण पर झुके हिन्द के,
अफ्रीका, ब्रटन-सन्तान।
दीप-ज्योति से ग्रहण करो,
उत्साह हिन्द के देव-किसान।
उपजाओ धरती को, भर दो,
अन्न-धान से खट जी जान।
दान दिया था हमने जग को,
धर्म, कर्म, दर्शन, विज्ञान।
आज सीख ले युद्ध-कला का,
उन्मादी मद मरत जहान।
दिवाली की रात माँग ले,
लक्ष्मी से माँ हित वरदान।
दीप-ज्ञान आलोक मिला,
क्या टिक पायेगा रिपु नादान।
भेद-भाव भूलो भारत के,
हिन्दू हो या मुसलमान।
सब मिल जोड़ लगालो,
कर लो प्रजातंत्र का सब मिल त्राण।
– जनार्दन राय
दिवाली की बधाई देने के लिए पांचवीं कविता (5th Poem For Happy Diwali Wishes)
साथी, घर-घर आज दिवाली!
फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
– हरिवंशराय बच्चन
दिवाली की बधाई देने के लिए छठी कविता (6th Poem For Happy Diwali Wishes)
जगमग जगमग दीप जलाती आयी एक दिवाली और
अंधियारे को आंख दिखाती आयी एक दिवाली और
नैतिकता का राम भोग कर चौदह वर्षो का वनवास
शायद लौटे , आस बंधाती आयी एक दिवाली और
महंगाई की सुरसा मुँह को फाड़े हर इक गाम खड़ी
अपना कद कुछ और घटाती आयी एक दिवाली और
द्रुपद सुता फिर दाँव लगी है राजपाट की चौसर पर
शतरंजी चालें चलवाती आयी एक दिवाली और
ऊँचे ऊँचे महलों ने ही सभी उजाले बाँट लिए
नन्हीं कुटिया को तरसाती आयी एक दिवाली और
आशंकित है संग बड़ो के, मस्त जवानों के रंग में
बच्चों के संग हँसती गाती आयी एक दिवाली और
माता लक्ष्मी के स्वागत में नन्हें नन्हें दीप लिए
आँगन, देहरी, द्वार सजाती आयी एक दिवाली और
– कुमार अनिल
दिवाली की बधाई देने के लिए सातवीं कविता (7th Poem For Happy Diwali Wishes)
आई दिवाली लाई खिलौने,
रँग बिरँगे लम्बे बौने।
लिपे पुते घर लगे सुहाने,
चलते हैं हम दीप जलाने।
चीजों की भरमार बड़ी है,
सड़क समूची पटी पड़ी है।
लगा दिवाली का है मेला,
हटा अँधेरा फटा उजाला।
दूर दूर तक दीप जले हैं,
दिखते कितने भव्य भले हैं।
बल्ब सजे घर घर इतने हैं,
पेड़ों में पत्ते जितने हैं।
लड़के बने सिपाही बाँके,
शोर बढ़ाते छुड़ा पटाखे।
सीमा पर दुश्मन आयेगा,
इनसे पार नहीं पायेगा।
गीत खुशी के गाते हैं हम,
प्रभु से यही मनाते हैं हम।
चाहे जैसी निशि हो काली,
ज्योतित कर दे उसे दिवाली।
– श्रीनाथ सिंह
दिवाली की बधाई देने के लिए आठवीं कविता (8th Poem For Happy Diwali Wishes)
नमस्ते ! नमस्ते !
लो, फिर आ गई मैं,
पटाखे चलाती,
दिये जगमगाती,
दिवाली ! दिवाली !
पता है, पता है,
मुझे सब पता है ।
छुपा कर कहाँ किसने,
क्या-क्या रखा है ।
लड़ी छिटपिटी की,
अनारों के डिब्बे ।
बम, वाण,
वो फुलझड़ी फूल वाली ।
चलाना, चलाना जी,
सब कुछ चलाना ।
ये त्योहार ही है ख़ुशी का,
मनाना ।
मगर आग के पास,
ज़्यादा न जाना ।
ज़रा दूसरों को भी,
देखो, बचाना ।
कहीं ऐसा न हो कि,
छोटी-सी ग़लती से,
दुनिया उजाले की,
हो जाए काली ।
– रमेश तैलंग
दिवाली की बधाई देने के लिए नौवीं कविता (9th Poem For Happy Diwali Wishes)
लो दिवाली की बधाई , मित्रवर !
लो दिवाली की मिठाई ,मित्रवर !
एक दीपक के लिए मुहताज घर
आपने बस्ती जलाई , मित्रवर !
जल चुका रावण, न बुझती है चिता
आग यह कैसी लगाई , मित्रवर !
चौखटों की छाँह तक बीमार है
क्यों हवा ऐसी चलाई , मित्रवर !
अब रहो तैयार लुटने के लिए ,
रोशनी तुमने चुराई , मित्रवर !
हर अँधेरी जेल तोडी जायगी ,
यह कसम युग ने उठाई , मित्रवर !
– ऋषभ देव शर्मा
दिवाली की बधाई देने के लिए दसवीं कविता (10th Poem For Happy Diwali Wishes)
दिवाली है, दिवाली है,
दीप जला, तू दीप जला,
दिवाली है, दिवाली है,
दीप जला, तू दीप जला ।
हर दिल में तू दीप जला,
मन-मंदिर में तू दीप जला,
दिवाली है, दिवाली है,
दीप जला, तू दीप जला ।
घर-आंगन तू बुहार ले,
अपने हृदय को संवार ले,
दिवाली है, दिवाली है,
दीप जला, तू दीप जला ।
आस-पड़ोस न भूखा सोये
घर-घर में फुलझड़ियाँ बरसे,
दिवाली है, दिवाली है,
दीप जला, तू दीप जला !
बच्चे-बच्चे तारों से खेले,
लक्ष्मी पाकर चारों से फैले,
दिवाली है, दिवाली है,
दीप जला, तू दीप जला
– राज हीरामन
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