Diwali Essay in Hindi अर्थात इस article में हम पढेंगे, दीवाली (दीपावली) पर एक नहीं बल्कि दो-दो निबंध हिन्दी में, दोनों दीपावली 2019 के निबंध नुक्ते बनाकर दिए गए हैं.
दीवाली (निबंध 1)
Contents
पावन पर्व दीपमाला का, आओ साथी दीप जलाएं ।
सब आलोक मच उच्चारें, घर-घर ज्योति ध्वज फहरायें ।
भूमिका- भारत देश त्योहारों का देश है । ये त्योहार जीवन और जाति में प्राणों का संचार करते हैं । ये हमारे लिए प्रेरक शक्ति लेकर आते हैं । ये हमारे सांस्कृतिक परम्परा, धार्मिक भावना, राष्ट्रीयता, सामाजिकता तथा एकता की कड़ी के समान हैं । प्रत्येक त्योहार की अपनी- अपनी विशेषताएं हैं । त्योहार हमारे नीरस जीवन को आनन्द और उमंग से भर देते हैं । भारत के पर्व किसी-न-किसी सांस्कृतिक अथवा सामाजिक परम्परा के प्रत्येक रूप में स्मरण किये जाते हैं । ये हमारी आस्तिकता और आस्था के भी प्रतीक हैं । दीवाली भी भारत का एक सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय पर्व है । यह पर्व अन्य पर्वों में प्रमुख है ‘ ।, जगमगाते दीपों का त्योहार सब के आकर्षण का केन्द्र बनकर आता है । इस पर्व के आने से पूर्व लोग घरों, मकानों और दुकानों की सफाई करते हैं । प्रत्येक वस्तु में नई शोभा आ जाती हैं । सब पर्वों का सम्राट् यह पर्व सर्वत्र आनन्द और हर्ष की लहर बहा देता है ।
दीवाली से सम्बद्ध कहानियां- दीवाली के इस मधुर पर्व के साथ अनेक प्रकार की कहानियां जुड़ी हैं । इन कथाओं में सबसे प्रमुख कहानी भगवान् राम की है । इस दिन श्री रामचन्द्र जी अत्याचारी और अनाचारी रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे । अयोध्यावासी अपने मनचाहे प्रिय तथा श्रेष्ठ शासक राम को पाकर गदगद हो गए । उन्होंने उनके लौटने की खुशी में दीप जलाए । ये दीप अयोध्यावासियों की प्रसन्नता के परिचायक थे । तब से इस पर्व को मनाने की परम्परा चल पड़ी । कुछ कृष्ण भक्त इस पर्व का सम्बन्ध भगवान् कृष्ण से जोड़ते हैं । उनके- अनुसार इसी दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर उसके चंगुल से सोलह हजार रमणियों को मुक्त करवाया था । इस अत्याचारी शासक का संहार देख कर लोगों का मन मोर नाच उठा और उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए दीप जलाए ।
एक पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन समुद्र का मंथन हुआ था । समुद्र से लक्ष्मी के प्रकट होने पर भी देवताओं ने उसकी अर्चना की । कुछ भक्तों का कथन है कि धनतेरस के दिन भगवान् विष्णु ने नरसिंह के रूप में प्रकट होकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी । सिक्स धर्म को मानने वाले कहते हैं कि इसी दिन छटे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी ने जेल से मुक्ति पाई थी । महर्षि दयानन्द ने भी इसी दिन निर्वाण ( मोक्ष) प्राप्त किया था ।
दीवाली से सम्बन्धित सभी कहानियां दीवाली नामक पर्व का महत्त्व बताती हैं । वास्तव मैं इस महान् पर्व के साथ जितनी भी कहानियां जोड़ी जाएं कम हैं । यह पर्व जन-जन का पर्व है । सभी धर्मों और सभी जातियों के लोग इसका समान रूप से आदर करते हैं ।
महत्त्व- दीवाली स्वच्छता का भी प्रतीक है । छोटे-बड़े, धनी-निर्धन सब इस पर्व को पूरे उत्साह से मनाते हैं । इस दिन की साज-सजा तथा शोभा का वर्णन करना सरल नहीं । बाजारों में रंग-बिरंगे खिलौनों की दुकानें सज जाती हैं । इस दिन बालकों का उत्साह अपने चरम पर दिखाई देता है । वे पटाखे चलाकर अपनी प्रसन्नता का परिचय देते हैं । मिठाई की दुकानों की सजावट दर्शनीय होती है । दीवाली की रात्रि का दृश्य अनुपम होता है । रंग-बिरंगे बच्चों की पंक्तियां सितारों से होड़ लगाती दिखाई देती हैं । आतिशबाजी के कारण वातावरण में गूंज भर जाती है । दीवाली अनेक दृष्टियों में महत्त्वपूर्ण पर्व है । व्यापारी लोग इस दिन को बड़ा शुभ मानते हैं । वे इस दिन अपनी बहियां बदलते हैं तथा नया व्यापार शुरू करते हैं । यह पर्व एकत्व का भी प्रतीक है । सभी धर्मो के लोग इस पर्व को समान निष्ठा के साथ मनाते है । मन : यह पर्व राष्ट्रीय एवं साँस्कृतिक एकता का भी साधन है । दीवाली के अवसर पर जो सफाई की जाती है, वह स्वास्थ्य के लिए! भी बड़ी लाभकारी होती है । क्योंकि इसके पूर्व वर्षा ऋतु के कारण घरों में दुर्गन्ध भर जाती है । वह क्या- इन दिनों सुगन्धि के रूप में बदल जाती है । दीवाली मनुष्य की वैमनस्य भावना को समाप्त कर एकता अपनाने की प्रेरणा देती है । मनुष्य कर्त्तव्य-पालन में सजगता का अनुभव करता है ।
दुःख की बात है कि दीवाली जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर: भी कुछ लोग जुआ खेलते तथा शगव पीने हैं । जो व्यक्ति श्र में हार जाता है, उसके लिए यह पर्व अभिशाप के समान है । ऐसे लोग दीवाली की उच्चलता पर कालिमा पोत कर नास्तिकता, कृतप्नता तथा अराष्ट्रीयता का परिचय देते हैं ।
उपसंहार- दीवाली भारत का एक राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक पर्व है । इसके महत्त्व को बनाये रखना आवश्यक है । जुआ खेलने और शराब पीने वालों का विरोध करें । तभी हम ऐसे पर्वों के प्रति श्रद्धा और आस्तिकता का परिचय दे सकते हैं । पर्व देश और जाति की सबसे बड़ी सम्पत्ति हैं । इनके महत्त्व को समझना तथा इसके आदर्शों का पालन करना चाहिए । प्रत्येक भारतवासी का यह परम कर्त्तव्य है कि वे इम महान पर्व को सामाजिक कुरीतियों से बचाए ।
नीचे हमने आपके लिए एक और निबन्ध same topic यानि कि दीपावली पर दिया हुआ है. आपको जो भी अच्छा लगे आप पढ़ सकते हैं.
दीपावली (निबंध 2)
भूमिका- भारत भूमि अपनी प्राकृतिक सुषमा के लिए संपूर्ण विश्व में अनूठी है और इसकी संस्कृति भी इसे गौरवान्वित करती है । समय-समय पर मनाए जाने वाले त्योहार इसकी संस्कृति की विशेषता को दर्शाते हैं । प्रत्येक त्योहार का अपना महत्त्व है । इन त्योहारों के कारण भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है । जीवन में त्योहार आवश्यक औषधि का कार्य करता है । जिस प्रकार शरीर को निरोग रखने के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मन को स्वस्थ रखने के लिए त्योहारों का होना भी आवश्यक है । मानव जीवन समस्याओं, उलझनों, दु:खों एवं समस्याओं से भरा है जिसमें मनुष्य पिसकर रह जाता है । जीवन को इससे उबारने के लिए त्योहार अत्यंत उपयोगी हैं । त्योहार मानव जीवन में शक्ति का संचार करते हैं । भारत में वर्ष भर में अनेक त्योहार मनाए जाते है । इनमें से कई त्योहारों का संबंध ऋतुओं से होता है तथा कई त्योहार ऐतिहासिक घटनाओं एवं धार्मिक विश्वासों से जुडे हुए होते है । भारत के सभी त्योहारों में से दीपावली सर्वाधिक आकर्षक एवं महत्वपूर्ण त्योहार है ।
नामकरण- दीपावली शब्द दीप + अवली से मिलकर बना है जिसका अर्थ है दीपों की अवली या पंक्ति या माला । इस त्योहार पर घर-घर पर दीप जलाए जाते हैं, इसलिए इसका नाम दीपावली पड़ा ।
मनाने का कारण- यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है । इस त्योहार को मनाने के कई धार्मिक, पौराणिक एवं सांस्कृतिक कारण हैं । इस दिन श्री रामचन्द्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे । अयोध्यावासियों ने उनके आने की खुशी मैं घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया था । तभी सें यह त्योहार प्रतिवर्ष दीप जलाकर मनाया जाता है । इस त्योहार को मनाने के और भी अनेक संदर्भ हैं । एक कथा के अनुसार इस दिन महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ पूरा किया था । जैन धर्म के अनुयायियों के अनुसार इसी दिन जैन मत के प्रवर्त्तक महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था । इसी दिन आर्य समाज के संस्थापक स्वामी सरस्वती दयानंद को भी मोक्ष प्राप्त हुआ था । सिक्ख धर्म के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह जी भी इसी दिन कारागार से मुक्त हुए थे । कृष्ण भक्तों के अनुसार इस दिन से एक दिन पूर्व श्रीकृष्ण ने नरकासुर का व ध किया था तथा इसी दिन श्रीकृष्ण ने ब्रज प्रदेश को इंद्र के कोप से बचाया था । इसी दिन स्वामी रामतीर्थ देह को त्यागकर मुका हो गए थे । इसलिए यह दिन सभी भारतीयों के लिए पुण्य कारक दिन है ।
पर्व का आयोजन- दीपावली का त्योहार अपने साथ कई त्योहार लाता है । दीपावली से दो दिन पहले त्रयोदशी के दिन धनतेरस मनाया जाता है । इस दिन लोग नए बर्तन खरीदते हैं । चर्तुदशी को ‘नरक चौदस’ तथा अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है । दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है । इन दिन कृष्णजी ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था । द्वितीय को भैया दूज मनाई जाती है ।
तैयारियां- दीपावली की तैयारियां दशहरे के बाद से ही प्रारंभ हो जाती है । यह त्योहार वर्षा ऋतु के बाद उगता है । लोग अपने घरों की सफाई, रंग-रोगन शुरू कर देते हैं । व्यापारी वर्ग भी अपनी दुकानों तथा दफ्तरों की सफाई करवाते हैं । बाजारों में खूब चहल-पहल होती है । मिठाई, पटाखे, दीपक, मोमबत्तियां, कपड़े आदि सभी चीजों से बाजार सजे होते हैं । इसी दिन दोपहर को लोग हनुमान जी की पूजा करते हैं क्योंकि वे ही श्री राम जी, लक्ष्मण तथा सीता जी के अयोध्या लौटने का संदेश लेकर आए थे । घरों में भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है । रात्रि में घरों पर दीपक से प्रकाश किया जाता है- । दीपावली से कुछ दिन पूर्व ही लोग अपने घरों पर रोशनी से प्रकाश करते है । लोग खील- पताशे, मिठाईयां तथा आतिशबाजियां खरीदते हैं ।
आजकल दीपक का स्थान बिजली के बच्चों तथा मोमबत्तियों ने ले लिया है । बच्चे आतिशबाजी चलाकर बहुत प्रसन्न होते हैं । घर में लक्ष्मी-गणेश तथा सरस्वती जी क- पूजा की जाती है । मित्रों तथा संबंधियों को तोहफे तथा मिठाइयां बांटी जाती हैं ।
दीपावली की रात को कुछ लोग जुआ खेलते हैं तथा शराब पीते हैं । इस प्रकार वे दीपावली की पवित्रता को भंग करते हैं । उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए । जुए के कारण लाखों लोग बर्बाद हो जाते है । इसके अतिरिक्त लोग आतिशबाजियों पर भी हजारों रुपए नष्ट करते हैं । हमें इस प्रकार की बुराइयों एवं फिजूलखर्ची से बचना चाहिए । इस दिन हमें यह निश्चय करना चाहिए कि केवल बाहर का प्रकाश ही नहीं हमें अपने हृदयों में भी सद्गुणों का प्रकाश करना चाहिए तथा यह प्रयास करना चाहिए कि इस संसार में जहां कहीं भी गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा एवं बुराईयों का अं धेरा है, दूर हो । हमें कवि की ये पंक्तियां सदा याद रखनी चाहिए-
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन से व्यापारियों के नव वर्ष का आरंभ होता है । वे इस दिन अपना नया बही खाता आरंभ करते हैं । दीपावली की रात बहुत ही सुहावनी लगती है । दीपावली की रात में जलते हुए दीपों की कतारें अंधकार को भगा देती हैं । दीपक अपने जगमगाते प्रकाश से सबको चकाचौंध कर देते है । पंजाब में अमृतसर एवं भारत मैं मुंबई की दीपावली प्रसिद्ध है । अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की शोभा देखते ही बनती है ।
ऋतु परिवर्तन से संबंध- इस त्योहार का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है । इस समय से शरद् ऋतु का आरंभ हो जाता है । लोगों के खान-पान एवं पहनावे में भी परिवर्तन आ जाता है । यह त्योहार हमें सद्भावना, संपन्नता एवं मेल-मिलाप का संदेश देता है । इसे पवित्रता एवं उचित ढंग से मनाना चाहिए ताकि दुर्घटना न हो एवं चारों ओर खुशियों एवं उल्लास का वातावरण बना रहे । दीपावली की उमंग, पटाखे-मिठाईयों के रंग दीपक जगमगाएं ऐसे, तारे उतर आएँ हों धरती पर जैसे ।
नीचे बिना नुक्ते के भी दिवाली के विषय पर एक निबंध दिया गया है:
दीपावली (निबंध 3)
दिवाली (दीपावली या दीपावली या दीपावली) भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। दिवाली का अर्थ है प्रकाश लैंप की पंक्तियां। यह रोशनी का त्योहार है और हर भारतीय इसे खुशी से मनाता है इस त्यौहार के दौरान, लोग अपने घरों और दुकानों को हल्का करते हैं। वे भगवान गणेश की भलाई और समृद्धि और धन और ज्ञान के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
दीपावली भारत, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिडाड और टोबैगो में स्कूल की छुट्टियां है और हिंदुओं की महत्वपूर्ण आबादी वाले कई राज्यों में स्कूल की छुट्टी है।
यह त्यौहार कार्तिक के हिंदू माह में मनाया जाता है जो अक्टूबर या नवंबर के दौरान कुछ समय के लिए होता है। 14 वर्ष के निर्वासन से भगवान राम की वापसी और राक्षस राक्षस पर उनकी जीत के लिए यह मनाया जाता है। भारत के कई हिस्सों में, दीवाली को लगातार पांच दिनों तक मनाया जाता है और यह भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। हिन्दू इसे जीवन का उत्सव मानते हैं और इस अवसर का उपयोग परिवार और संबंधों को मजबूत करने के लिए करते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में, यह नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। यह न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। दीवाली के दौरान हिंदू भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं.
पटाखे जो सल्फर और कागज का उपयोग करते हैं, वे सल्फर डाइऑक्साइड और कोयला को हवा में डाल देते हैं, इसलिए अब फटाके चुप क्षेत्र में प्रतिबंधित हैं यानी अस्पताल, विद्यालय और अदालतों के पास।
हिंदुओं ने अपने घरों और दुकानों को उजागर किया, धन और भाग्य की देवी, देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए, उन्हें आगे साल के लिए शुभकामनाएं देने के लिए। कुछ दिनों पहले दिवाली, घरों, भवनों, दुकानों और मंदिरों से पहले दिन, रथटेग पूरी तरह से साफ किया जाता है, सफेद धुलाई और चित्रों, खिलौने और फूलों से सजाया जाता है। दीवाली दिन, लोग इस दिन अमीर कपड़े पहनते हैं, बधाई, उपहार और मिठाई का आदान प्रदान करते हैं।
रात में, इमारतों को मिट्टी के दीपक, मोमबत्ती की छड़ियां और बिजली के बल्ब से प्रकाशित किया जाता है। मिठाई और खिलौना की दुकानों के लिए passers- द्वारा आकर्षित करने के लिए सजाया जाता है बाजार और सड़कों भीड़ हैं। लोग अपने परिवारों के लिए मिठाई खरीदते हैं और उन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को उपहार के रूप में भी भेजते हैं। रात में, धन की देवी देवी लक्ष्मी की मिट्टी के चित्र और चांदी के रुपए के रूप में पूजा की जाती है। लोग मानते हैं कि इस दिन, हिंदू देवी लक्ष्मी केवल उन घरों में प्रवेश करते हैं जो स्वच्छ और सुव्यवस्थित हैं। लोग अपने स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना की पेशकश करते हैं। वे अपने विश्वास में इमारतों में प्रकाश छोड़ देते हैं कि देवी लक्ष्मी को उसके रास्ते खोजने में कोई कठिनाई नहीं मिलेगी।
Short Essay on Diwali in Hindi
‘दिवाली’ हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। दिवाली को दीपावली भी कहा जाता है। हिंदी में ‘दीपावली’ में दीये की एक पंक्ति है।
दिवाली रोशनी का त्योहार है यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ‘कार्तिक’ के महीने में गिरता है। दिवाली में लगभग हर घर और सड़क दीपक से सजाया जाता है, और रोशनी।
यह तब मनाया जाता है जब 14 वर्ष के निर्वासन के बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे। अयोध्या के लोगों ने उन्हें प्रकाश तेल के लैंप के साथ स्वागत किया। यही कारण है कि इसे ‘लाइट्स का महोत्सव’ कहा जाता है
दीवाली के दिन हर कोई खुश होता है और एक-दूसरे को बधाई देता है। बच्चे खिलौने और पटाखे खरीदते हैं। दुकानों और घरों को साफ और चित्रित किया गया है रात में लोग लक्ष्मी की पूजा करते हैं-धन की भलाई
दिवाली के निबंध का एक YouTube video भी नीचे दिया गया है:
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