बीरबल और महिला की मांसपेशियां – Akbar Birbal Story in Hindi

अकबर और बीरबल की कहानियाँ बुद्धिमता और चतुराई का संगम होती हैं। ऐसी ही एक रोचक और शिक्षाप्रद कहानी है ‘बीरबल और महिला की मांसपेशियां’।

कहानी की शुरुआत

मुगल दरबार में एक दिन अकबर बादशाह की सभा चल रही थी। दरबार में अनेकों मंत्री, दरबारी और बुद्धिजीवी उपस्थित थे। बादशाह अकबर बहुत ही न्यायप्रिय और महान शासक माने जाते थे। उनके दरबार में समस्या सुलझाने और न्याय देने के लिए अनेक बार अजीबो-गरीब मामले आते थे।

महिला की फरियाद

इसी बीच एक दिन एक महिला दरबार में पहुँची। वह महिला बहुत ही परेशान और दुखी लग रही थी। उसने बादशाह अकबर के सामने झुककर प्रणाम किया और अपनी फरियाद पेश की।

महिला ने कहा: “जहांपनाह! मेरे पास एक गाय है, जो मेरी आजीविका का एकमात्र साधन है। लेकिन एक व्यक्ति ने दावे किया है कि वह गाय उसकी है, जबकि असल में वह गाय मेरी ही है।”

अकबर बादशाह ने महिला की बात सुनी और फिर उस व्यक्ति को भी दरबार में हाजिर होने का आदेश दिया जो गाय पर दावा कर रहा था। कुछ ही समय बाद वह व्यक्ति भी दरबार में पहुँच गया।

व्यक्ति का दावा

अकबर बादशाह ने उस व्यक्ति से पूछा, “तुम्हारा दावा है कि यह गाय तुम्हारी है। तुम्हारे पास क्या सबूत है?”

उस व्यक्ति ने फौरन जवाब दिया, “जहांपनाह, मेरे पास कोई लिखित सबूत तो नहीं है, लेकिन मैं इस गाय की देखभाल पिछले तीन साल से कर रहा हूँ और इसे खाना खिला रहा हूँ। इसे मैंने ही अपना पाला-पोसा है।”

अकबर बादशाह ने सोच में पड़ गए। यह एक कठिन मसला था क्योंकि दोनों पक्षों के पास कोई ठोस सबूत नहीं था।

बीरबल की बुद्धिमानी

अब बारी थी बीरबल की। अकबर ने बीरबल की ओर मुड़कर कहा, “बीरबल, इस मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी मैं तुम्हें सौंपता हूँ। जो तुम सही समझो वही करो।”

बीरबल ने महिला और उस व्यक्ति की दोनों की बातें ध्यान से सुनीं और फिर कुछ सोचकर मुस्कुरा दिया। वह समझ गए कि इस समस्या का समाधान सिर्फ बुद्धिमानी से ही हो सकता है।

समस्या का समाधान

बीरबल ने दोनों पक्षों को कहा, “हम एक सरल परीक्षण करेंगे। इस गाय को यहाँ लाया जाए और इसे महल के वन में छोड़ा जाए। हम देखते हैं कि यह गाय किसके पीछे जाती है।”

गाय को दरबार में लाया गया और फिर उसे महल के वन में छोड़ा गया। महिला और वह व्यक्ति भी उसके साथ गए। सभी दरबारी भी उत्सुकता से परिणाम देखने के लिए वहाँ एकत्र हो गए थे।

गाय वन में छोड़े जाने के बाद कुछ समय तक इधर-उधर घूमी और फिर सीधा महिला के पास जा पहुँची। वह महिला के पास आकर खड़ी हो गई और प्यार भरी निगाहों से उसे देखने लगी। महिला ने भी गाय को प्रेमपूर्वक थपथपाया। यह देखकर बीरबल की मुस्कान गहरी हो गई।

निष्कर्ष

बीरबल ने दरबार में ऐलान किया, “यह गाय इस महिला की ही है। जो प्राणी प्रेमपूर्वक किसी का पालन-पोषण करता है, उसके दिल में वही विशेष स्थान होता है। गाय ने स्वयं अपने व्यवहार से यह स्वीकार किया है।”

अकबर बादशाह ने बीरबल की बुद्धिमानी की प्रशंसा की और महिला को उसकी गाय लौटा दी। महिला ने खुशी-खुशी अकबर बादशाह और बीरबल को धन्यवाद दिया।

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चाई और प्यार कभी छुप नहीं सकता। चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, सच्चाई हमेशा सामने आती ही है।

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