बीरबल और जादुई पत्थर – Akbar Birbal Story in Hindi

बादशाह अकबर के दरबार में एक से एक अद्भुत कहानियाँ हुआ करती थीं, लेकिन उनमें से सबसे दिलचस्प कहानियाँ बीरबल से जुड़ी हुई होती थीं। एक दिन की बात है, जब एक व्यापारी दूर-दूर से यात्रा करते हुए अकबर के दरबार में पहुँचा। उसके पास एक विलक्षण पत्थर था, जिसके बारे में उसने दावा किया कि वह जादुई है।

व्यापारी ने बादशाह अकबर के सामने आकर कहा, “जहाँपनाह, यह पत्थर असाधारण शक्तियों का धनी है। यह किसी भी साधारण व्यक्ति को बहुत ताकतवर बना सकता है।”

बादशाह अकबर ने उस पत्थर को देखा और कुछ सोच में पड़ गए। उन्होंने दरबार में उपस्थित सभी दरबारियों की ओर देखा और पूछा, “क्या आप में से कोई यह जान सकता है कि इस पत्थर में सचमुच कोई जादुई शक्ति है या नहीं?”

इस पर सभी दरबारी चुप रहे। तभी बीरबल उठ खड़े हुए और बोले, “जहाँपनाह, अगर मुझे अनुमति दी जाए, तो मैं इस जादुई पत्थर की परीक्षा कर सकता हूँ।”

अकबर ने बीरबल को आगे बढ़ने की अनुमति दी। बीरबल ने व्यापारी से वह पत्थर लिया और ध्यानपूर्वक निरीक्षण करने लगे। कुछ समय बाद उन्होंने व्यापारी से कहा, “क्या इस पत्थर की कोई खास विशेषता है जिसके कारण इसे जादुई कहा जाता है?”

व्यापारी ने कहा, “महाशय, इस पत्थर को केवल सही मंत्रों के साथ प्रयुक्त करने पर ही इसका जादू प्रकट होता है।”

बीबरल ने कुछ क्षणों के लिए सोचा और फिर बोले, “ठीक है, क्यों न हम इस पत्थर की शक्ति को सत्यापित करने के लिए इसका प्रयोग करें?”

यह सुनकर व्यापारी थोड़ा चिंतित हो गया लेकिन उसने सहमति दे दी। बीरबल ने एक योजना बनाई और उन्होंने बादशाह अकबर से कहा, “जहाँपनाह, क्यों न हम इस पत्थर को पहले मेरे ऊपर आजमाएँ?”

अकबर ने स्वीकृति दे दी। बीरबल ने पत्थर को अपने हाथ में लिया और मन ही मन कुछ मंत्र बुदबुदाने लगे। फिर उन्होंने पत्थर को जमीन पर फेंका और कुछ क्षणों के लिए आँखें बंद कर लीं। जब उन्होंने आँखें खोलीं, तो वह बोले, “महाराज, इस पत्थर ने मुझे एक उच्चतर ज्ञान प्रदान किया है। मैंने समझा है कि इस पत्थर में सचमुच जादुई शक्तियाँ हैं, लेकिन इसे केवल अच्छा कार्य करने के लिए ही प्रयोग किया जाना चाहिए।”

यह सुनकर दरबार में सारे लोग चकित हुए। अकबर ने व्यापारियों को धन्यवाद दिया और उसे अच्छी तरह से पुरस्कृत किया। मगर जैसे ही व्यापारी दरबार से बाहर निकला, बीरबल ने एक जलती हुई मोमबत्ती उसमें डाल दी और पत्थर को वापस व्यापारियों को सौंप दिया।

बाद में, अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या उस पत्थर के अंदर वास्तव में कोई जादू था?”

बीरबल मुस्कराते हुए बोले, “जहाँपनाह, वह पत्थर वास्तव में केवल एक साधारण पत्थर था। मैंने व्यापारी को मूर्ख बनाने के लिए यह नाटक किया, ताकि उसकी सच्चाई को उजागर किया जा सके।”

अकबर बीरबल की समझ और चतुराई से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने बीरबल की बुद्धिमानी की भूरी-भूरी प्रशंसा की। इस प्रकार, एक बार फिर बीरबल ने अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता से न केवल बादशाह को सन्तुष्ट किया बल्कि दरबारियों को भी अपने कौशल का प्रमाण दिया।

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