भुवनेश्वर: मंदिरों का शहर (Bhubaneswar: City of Temples)

भारत के पूर्वी तट पर बसे ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर को ‘मंदिरों का शहर’ भी कहा जाता है। यह शहर अपनी अनोखी संस्कृति, इतिहास और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है। भुवनेश्वर का इतिहास सदियों पुराना है और यह न केवल धार्मिक स्थल बल्की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का भी केंद्र है। इस लेख में हम भुवनेश्वर की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

भुवनेश्वर का इतिहास

भुवनेश्वर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। इसे पहले कटक की राजधानी के रूप में जाना जाता था। भुवनेश्वर का प्राचीन नाम “त्रिभुवनेश्वर” है, जिसका अर्थ “तीनों लोकों के ईश्वर” है। यह शहर भगवान शिव का प्रमुख स्थल माना जाता है और इतिहास में इसे शिव भक्ति के प्रमुख केंद्र के रूप में वर्णित किया गया है।

कलिंग साम्राज्य और भुवनेश्वर

कलिंग साम्राज्य के समय भुवनेश्वर अपनी समृद्धि के चरम पर था। यहां के राजा अत्यंत धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध थे। अशोक महान के शासनकाल में हुए कलिंग युद्ध के बाद, इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का भी व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ। यहां के विख्यात ललित कला और स्थापत्य कला के उदाहरण मंदिरों के रूप में देखे जा सकते हैं।

भुवनेश्वर के प्रमुख मंदिर

भुवनेश्वर में कई ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता रखने वाले मंदिर हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिरों का विवरण निम्नलिखित है:

लिंगराज मंदिर

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सबसे प्रमुख और प्राचीन मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है और 11वीं शताब्दी में इसका निर्माण किया गया था। इस मंदिर की स्थापत्य शैली और शिल्पकला अद्वितीय है।

  • स्थान: ओल्ड टाउन, भुवनेश्वर
  • निर्माणकाल: 11वीं शताब्दी
  • समर्पित: भगवान शिव (लिंगराज)

राजारानी मंदिर

राजारानी मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर लगभग 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसमें उत्कृष्ट मूर्तिशिल्प देखने को मिलता है। इस मंदिर का नाम राजारानी पत्थर के नाम पर रखा गया है, जिसका उपयोग इसके निर्माण में किया गया है।

  • स्थान: भुवनेश्वर
  • निर्माणकाल: 11वीं शताब्दी
  • विशेषता: स्थापत्य कला और मूर्तिशिल्प

मुक्तेश्वर मंदिर

मुक्तेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे भुवनेश्वर के सर्वाधिक सुंदर मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की स्थापत्य शैली और शिल्पकला उस समय की अद्वितीय तकनीक और कलात्मकता का प्रतीक है।

  • स्थान: भुवनेश्वर
  • निर्माणकाल: 10वीं शताब्दी
  • समर्पित: भगवान शिव

संस्कृति और त्योहार

भुवनेश्वर का धार्मिक महत्व केवल मंदिरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यहां की संस्कृति और त्योहार भी इस शहर की विशेषता है। यहां के प्रमुख त्योहारों में महाशिवरात्रि, दुर्गा पूजा, और रथ यात्रा शामिल हैं।

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि का त्योहार भुवनेश्वर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लिंगराज मंदिर में इस दिन विशेष पूजा अर्चना होती है और बड़ी संख्या में भक्त जन इसका अद्भुत दर्शन करने आते हैं।

दुर्गा पूजा

दुर्गा पूजा भुवनेश्वर का बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा की पूजा और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जो इस शहर की संस्कृति की भावना को प्रकट करता है।

रथ यात्रा

रथ यात्रा का महोत्सव भी भुवनेश्वर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पवित्र त्योहार भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यह पुरी के निकट जगन्नाथ पुरी में आयोजित होता है, जो भुवनेश्वर से बहुत नजदीक है।

भुवनेश्वर की आधुनिकता और विकास

भुवनेश्वर न केवल प्राचीन मंदिरों और सांस्कृतिक विरासतों का शहर है, बल्कि यह एक विकसित और आधुनिक शहर भी है। यहां अनेक आईटी कंपनियां, शैक्षणिक संस्थान और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

आईटी और बिजनेस

भुवनेश्वर आईटी उद्योग में तेजी से उभर रहा है। यहां कई प्रमुख आईटी कंपनियों के कार्यालय हैं, जो इस शहर को एक महत्वपूर्ण आईटी हब के रूप में स्थापित करते हैं।

शैक्षणिक केंद्र

भुवनेश्वर में कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हैं, जिनमें IIT भुवनेश्वर, NISER और KIIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं। ये संस्थान इस शहर को शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाते हैं।

पर्यटन और यात्रा

भुवनेश्वर का पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान है। यहां के मंदिर, उष्णकटिबंधीय वन्य जीव उद्यान और अन्य पर्यटन स्थल हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क

नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क भुवनेश्वर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह एक विशाल वन्यजीव उद्यान है, जिसमें अनेक प्रकार के वन्य जीव और वनस्पतियां पाई जाती हैं।

  • स्थान: भुवनेश्वर से लगभग 20 किलोमीटर दूर
  • खासियत: सफेद बाघ, अजगर, और अनेक प्रकार के पक्षी

कलिंग युद्ध स्थल और धौली शांति स्तूप

धौली शांति स्तूप वह स्थान है जहां महान अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपनाया था। यह स्थान भी भक्तों और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखता है।

  • स्थान: धौली, भुवनेश्वर के दक्षिण में
  • खासियत: शांति स्तूप और सुंदर दृश्य

समाप्ति

भुवनेश्वर एक ऐसा शहर है जहां प्राचीन और आधुनिक का मिश्रण देखने को मिलता है। यहां की धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ-साथ यह शहर वस्त्र उद्योग, शिक्षा और आईटी हब के रूप में भी अपनी विशेष पहचान बना चुका है। भुवनेश्वर की समृद्धता और विविधता इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती है, जो न केवल भारत के लोगों के लिए बल्कि विश्वभर के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।

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