बहुत समय पहले की बात है, जब अकबर बादशाह थे और उनके दरबार में बुद्धिमान बीरबल मंत्री थे। बीरबल की चालाकी और बुद्धिमत्ता के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे। बादशाह अकबर भी बीरबल की समझदारी और चतुराई की खूब प्रशंसा करते थे।
एक दिन रात के समय, बादशाह अकबर अपने कक्ष में अकेले बैठे थे। अचानक उन्होंने आसमान की तरफ देखा और कुछ हैरान हो गए। चाँदनी रात थी और आकाश साफ था। उन्होंने देखा कि आधी रात के समय सूरज चमक रहा है। यह दृश्य देखकर उन्होंने दरबारियों को बुलाया और पूछा, “क्या आपने भी ऐसा देखा है? आधी रात को सूरज कैसे चमक सकता है?”
दरबारी भी यह दृश्य देखकर हैरान हो गए लेकिन किसी के पास इसका उत्तर नहीं था। सारे दरबारी चुप थे और बादशाह अकबर के प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाए।
अकबर ने कहा, “ठीक है, जब कोई समस्या हल नहीं हो पा रही है, तब बीरबल को बुलाना चाहिए।” उन्होंने तुरंत बीरबल को संदेश भेजा।
जब बीरबल आया, तो उसने बादशाह अकबर की समस्या सुनी और आसमान की तरफ नजर डाली। बीरबल ने थोड़ी देर सोचा और फिर मुस्कराते हुए कहा, “जहाँपनाह, यह कोई चमत्कार नहीं है। यह प्रकृति का एक सामान्य घटना है। आपने जो सूरज देखा वह विशिष्ट रूप से चमक रहा है और यह उस समय का सूर्यास्त है जिसे आप आधी रात समझ रहे हैं।”
बादशाह अकबर ने हैरानी से पूछा, “अरे बीरबल, यह कैसे संभव है? आधी रात का समय है और सूरज तो केवल दिन में निकलता है, फिर आधी रात को कैसे?”
बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, आप सर्दियों के मौसम में अधिक चाँदनी वाली रात देखने के आदी नहीं हैं। जब चाँद और सूर्य की पृथ्वी के साथ स्थिति विशेष प्रकार से होती है, तब ऐसा दृश्यमान होता है। और अक्सर यह तब होता है जब हम ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर होते हैं जहां रात को सूरज दिख सकता है।”
यह सुनकर बादशाह अकबर ने कहा, “बीरबल, तुम सदा की तरह इस बार भी समझदारी से हमारे सवाल का उत्तर दिया है। तुम्हारे बिना यह रहस्य हम कभी समझ नहीं पाते।”
इस प्रकार बीरबल ने अपनी गहरी जानकारी और बुद्धिमत्ता से एक बार फिर से सबको चकित कर दिया। दरबारी भी उसकी प्रशंसा करते रहे और बादशाह अकबर ने अपनी संतुष्टि व्यक्त की। इस घटना के बाद अकबर और बीरबल की मित्रता और भी गहरी हो गई और बीरबल के बुद्धिमत्तम की कहानियाँ और भी मशहूर हो गयीं।