मुगल सम्राट अकबर के दरबार की कहानियाँ हमेशा से ही रोचक और शिक्षाप्रद रही हैं। उनमें से एक थी बीरबल और उनकी बुद्धिमानी की कहानियाँ। बीरबल न केवल अपनी बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि अपनी हाजिर जवाबी और चतुराई के लिए भी जाने जाते थे। ऐसी ही एक कहानी है बीरबल और अजीबो-गरीब शर्त की।
अकबर और बीरबल के बीच शर्त
एक दिन अकबर और बीरबल दरबार में बैठे हुए थे। दरबार का माहौल सहज था, और सभी दरबारियों के बीच मित्रता भरी चर्चा हो रही थी। अचानक, अकबर ने कुछ सोचते हुए कहा, “बीरबल, क्या तुम मानते हो कि तुम्हारी बुद्धिमानी हर परिस्थिति में तुम्हें बचा सकती है?”
बीरबल ने हंस कर जवाब दिया, “जहाँपनाह, मानव के पास जो कुछ है उसे सबसे प्रमुख उसकी बुद्धिमानी और विवेक ही बनाते हैं। हर कठिनाई का समाधान हमारी बुद्धिमानी में ही छुपा होता है।”
अकबर ने बीरबल की बात स्वीकारते हुए कहा, “चलिए, एक शर्त लगाते हैं। देखें, आपकी बुद्धिमानी कितनी काम आती है।” फिर अकबर ने अपनी चुनौती रखते हुए कहा, “बीरबल, मैं आपको एक काम देता हूँ। अगर आप उस काम को पूरा कर लेंगे, तो मैं मान जाऊँगा कि आप सचमुच होशियार हैं।”
चुनौती की शुरुआत
अकबर ने बीरबल को कहा, “आपको ऐसी गाय खोज निकालनी है जो दूध के बजाय सुगंधित तेल देती हो। एक महीने का समय दिया जा रहा है। अगर आप यह कर सके तो मैं आपकी बुद्धिमानी को सलाम करूंगा।”
अकबर की बात सुनकर दरबारियों में हलचल मच गई। सभी को यह काम असंभव सा लगा। लेकिन बीरबल मुस्कुराए और बोले, “जहाँपनाह, आपकी शर्त मुझे मंजूर है। मैं इस काम के लिए पूरी कोशिश करूंगा।”
बीरबल की योजना
शर्त स्वीकार करने के बाद बीरबल दरबार से बाहर निकले और सोचने लगे कि इस कठिन प्रश्न का समाधान कैसे निकाला जाए। कई दिन बीत गए, लेकिन बीरबल के मन में कोई हल नहीं सूझ रहा था।
फिर, एक दिन जब बीरबल एक सुगंधित फूलों के बाग में टहल रहे थे, उनके मन में एक विचार आया। उन्होंने तय किया कि इस समस्या को प्रकृति के माध्यम से हल किया जा सकता है।
उन्होंने कुछ सुगंधित पौधों का चुनाव किया और एक विशेष प्रकार के तेल का निर्माण किया, जिसे उन्होंने गाएँ के चारे में मिलाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वे देखते गए कि गायों के दूध में हल्की सुगंध का अनुभव हो रहा था।
शर्त की जीत
एक महीने के अन्त में, बीरबल ने अकबर से कहा, “जहाँपनाह, जैसा आपने कहा था, मैंने आपकी शर्त पूरी कर दी है। कृपया मेरे साथ चलें और देखें।”
अकबर और दरबारी बीरबल के साथ गए। बीरबल ने उन्हें गाय दिखाई और उसके दूध के संदर्भ में कहा, “यह है वह गाय जो सुगंधित तेल का दूध देती है।”
अकबर ने दूध को सूंघा और सचमुच उसमें सुगंध पाई। उन्होंने हंसते हुए कहा, “बीरबल, आपकी बुद्धिमानी ने फिर से अचंभित कर दिया।”
फिर बीरबल ने उन्हें समझाया कि कैसे उन्होंने सुगंधित पौधों के तेल को गाय के चारे में मिलाया, जिससे गाय के दूध में सुगंध आ गई।
निष्कर्ष
अकबर ने बीरबल को उनकी बुद्धिमानी और चतुराई के लिए सराहा और कहा, “बीरबल, तुमने यह सिद्ध कर दिया कि अगर इंसान चाहे तो बुद्धि के बल पर किसी भी मुश्किल को हल कर सकता है।”
इस प्रकार, बीरबल ने अपने बुद्धिमानी और चतुराई से न केवल शर्त जीती, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि हर समस्या का समाधान सोच-विचार और परिश्रम से निकाला जा सकता है।