एक समय की बात है, अकबर का दरबार हमेशा रोचक कहानियों और घटनाओं से भरा रहता था। एक दिन, अकबर बादशाह ने दरबार में बीरबल को एक नई चुनौती दी। उन्होंने बीरबल से कहा कि वह साबित करें कि एक गधा भी बुद्धिमान हो सकता है और उसको सिद्ध करने के लिए एक परीक्षा(arrangement) बनाएं।
बीरबल ने मुस्कुराते हुए चुनौती को स्वीकार किया और अगले दिन का इंतजार करने लगे। अगले दिन, बीरबल ने एक गधे को दरबार में लाने की व्यवस्था की। सभी दरबारियों के बीच उत्सुकता फैल गई। सभी जानना चाहते थे कि बीरबल किस प्रकार गधे की बुद्धि को साबित करेंगे।
दरबार में बीरबल ने एक चार कोनों वाला पिंजरा बनवाया और उसमें विभिन्न प्रकार के अनाज, चावल और दूसरी खाने की वस्तुओं को अलग-अलग बर्तनों में रखा। फिर गधे को पिंजरे में छोड़ा गया।
गधे की परीक्षा का आरंभ
सभी दरबारी चुपचाप और ध्यान से गधे की हरकतें देखने लगे। गधा धीरे-धीरे पिंजरे के चारों कोनों की ओर बढ़ा और हर तरफ़ के अनाज को सूंघने लगा। ये देखने के बाद, बीरबल ने घोषणा की कि गधा अब अपनी परीक्षा शुरू कर रहा है।
गधा एक कोने से दूसरे कोने में जाकर अनाज सूंघता रहा, लेकिन खाना शुरू नहीं किया। कुछ समय बाद, वह सबसे ज्यादा सुगंधित और ताजे अनाज वाले कोने में जाकर खाना शुरू किया।
बीरबल ने दरबारियों और अकबर से कहा, “देखिए, इस गधे ने सबसे सर्वोत्तम और स्वादिष्ट अनाज का चुनाव किया। क्या यह उसकी बुद्धिमानी नहीं है?”
गधे की बुद्धिमानी का प्रदर्शन
यह सुनकर अकबर मुस्कुराए और बोले, “बीरबल, क्या तुम यही साबित करना चाहते हो?”
बीरबल ने जवाब दिया, “जी हां, महाराज। गधे की बुद्धिमानी उसके व्यवहार से प्रकट हुई है। उसने बिना किसी दबाव के सबसे अच्छा अनाज चुनकर यह साबित किया कि वह भी सोच-समझ कर काम करता है।”
अकबर और दरबारी बीरबल के इस आयोजन से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने स्वीकार किया कि गधे की बुद्धिमानी को साबित करने का यह तरीका वाकई अद्वितीय था।
समाप्ति
इस प्रकार, अकबर बीरबल की यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धिमानी केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि जानवरों में भी वह पाई जा सकती है। हर प्राणी में कुछ न कुछ विशेषताएं होती हैं जो उसे अनूठा बनाती हैं। लिहाजा, हमें हर किसी की विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए।
यह कहानी यही संदेश देती है कि किसी के भी सामर्थ्य को उसके बाहरी स्वरूप से नहीं, बल्कि उसके आचरण और गुणों से मूल्यांकन करना चाहिए।