दिवाली के कारण प्रदूषण हमारे देश के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। हर साल लोग पटाखे फोड़कर और अपने घरों को रोशनी से सजाकर दिवाली मनाते हैं। हालांकि यह सच है कि हम इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं, लेकिन आतिशबाजी से होने वाला प्रदूषण काफी चिंताजनक है।
पटाखों के भारी उपयोग के कारण दिवाली के दौरान हमारे शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। इन आतिशबाजियों से निकलने वाले रसायन वातावरण में मिल जाते हैं और लोगों के लिए श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याएं हैं। इसके अलावा, पटाखों की तेज़ आवाज़ से होने वाला ध्वनि प्रदूषण हमारे घरों की शांति और शांति को बाधित करता है।
पटाखों से जहरीली गैसें भी निकलती हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। इन आतिशबाजी के गंदे पानी से हमारी नदियाँ और झीलें प्रदूषित हो जाती हैं। हमारे शहरों और गांवों में जानवरों को भी परेशानी होती है क्योंकि वे तेज आवाज से डर जाते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि हम सिर्फ एक त्योहार नहीं मना रहे हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है।
हम पर्यावरण-अनुकूल पटाखों का उपयोग करके या उनसे पूरी तरह परहेज करके दिवाली के दौरान प्रदूषण को कम कर सकते हैं। आइए अपने ग्रह की रक्षा के लिए एक साथ आएं और दिवाली समारोह को और अधिक टिकाऊ बनाएं।