एक समय की बात है, जब अकबर का दरबार अपने विभिन्न बुद्धिमान और कुशल दरबारियों के लिए प्रसिद्ध था। इनमें से सबसे प्रमुख था बीरबल। बीरबल की चतुराई और हाजिरजवाबी ने उन्हें अकबर के प्रिय मंत्रियों में से एक बना दिया था।
अकबर के दरबार में हमेशा बीरबल की तारीफ होती थी। लेकिन कुछ दरबारी बीरबल की इस लोकप्रियता और महाराज के प्रति उनके नजदीकी संबंध से ईर्ष्या करते थे। उनमें से एक दरबारी ने बीरबल को नीचा दिखाने की ठानी और महाराज अकबर के पास अपनी योजना के साथ पहुंचा।
महाराज का आदेश
एक दिन उस दरबारी ने अकबर से कहा, “महाराज, बीरबल तो बहुत चतुर हैं, लेकिन क्या वे सचमुच हर किसी को खुश रख सकते हैं?” अकबर को इस चुनौती ने सोचने पर मजबूर किया। उन्होंने बीरबल को दरबार में बुलाया और कहा, “बीरबल, मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे बताएँ की क्या तुम हर किसी को खुश रख सकते हो?”
बीरबल मुस्कराते हुए जवाब दिया, “बेशक महाराज, लेकिन यह तो समय और परिस्थिति पर निर्भर करता है।” अकबर ने सोचा, “अगर बीरबल सच में इतना चतुर है, तो यह परीक्षा उसके लिए मुश्किल नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने बीरबल को आदेश दिया, “तुम्हें एक दिन के भीतर सभी दरबारियों को खुश करना होगा, वरना तुम्हें अपने पद से हटना पड़ेगा।” बीरबल ने सहर्ष इस चुनौती को स्वीकार किया।
पूरा दिन बीरबल की योजना
बीरबल ने चिंतन करते हुए अपनी योजना बनाई। सबसे पहले उन्होंने दरबार में एक समारोह आयोजित करने की घोषणा की और सभी दरबारियों को आमंत्रित किया। हर कोई उत्सुकता से इस समारोह का इंतजार कर रहा था।
समारोह के दिन, बीरबल ने दरबार को सुन्दर फूलों से सजवाया और एक बेहतरीन दावत का आयोजन करवाया। जैसे ही दरबार में सभी दरबारियों का आगमन हुआ, बीरबल ने व्यक्तिगत रूप से हर किसी का स्वागत किया और उनके साथ मित्रतापूर्ण वार्तालाप की। उन्होंने सभी दरबारियों की रूचियों और पसंद का ख्याल रखकर उनके प्रिय खाद्य पकवान तैयार करवाए थे।
इसके बाद, बीरबल ने हर किसी को एक-एक कर बुलाया और उनसे उनकी इच्छा और इच्छाओं के बारे में पूछा। उन्होंने उनकी समस्याओं को ध्यान से सुना और तुरंत समाधान प्रदान किए। दरबारियों ने महसूस किया कि बीरबल वास्तव में उनकी भलाई के प्रति गंभीर हैं।
समारोह का अंत और बीरबल की जीत
समारोह के अंत में, बीरबल ने सभी दरबारियों से पूछा कि क्या वे खुश थे। सभी दरबारी एक स्वर में बोले, “हाँ बीरबल, तुम्हारे प्रयासों ने हमें बहुत प्रसन्न किया है।” दरबारियों के चेहरे पर स्पष्ट तृप्ति का भाव देखकर अकबर बहुत प्रसन्न हुए।
अकबर ने दरबारियों की सहमति के बाद बीरबल को बुलाया और कहा, “तुमने साबित कर दिया है कि तुम सभी को खुश रख सकते हो। तुम्हारी चतुराई, विवेक और समझदारी ने तुम्हें मेरे प्रिय मंत्री बना दिया है। मैं तुम्हें बधाई देता हूँ।”
बीरबल ने सिर झुकाकर अकबर का धन्यवाद किया और कहा, “महाराज, मेरी सफलता का राज़ आपकी कृपा और विश्वास है। आपकी सेवा करना ही मेरा सबसे बड़ा सम्मान है।”
कहानी का संदेश
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम सभी की भावनाओं और आवश्यकताओं का सम्मान करें और उन्हें समझें, तो हम किसी को भी खुश कर सकते हैं। बीरबल ने अपनी बुद्धिमानी और धैर्य से सभी दरबारियों के दिल जीत लिए और साबित किया कि सच्ची सेवा और मेहनत से ही सफलता प्राप्त होती है।