ईश्वर की सभी रचनाओं में आत्मा सबसे अनोखी और रहस्यमयी इकाई है। यह हमारे शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक और आध्यात्मिक गुणों का मिश्रण है जो हमें वह बनाता है जो हम हैं। हमारा स्व हमारे विचारों, भावनाओं, अनुभवों, यादों, आशाओं, सपनों, भय और इच्छाओं का योग है।
व्यक्तियों के रूप में, हमारे पास अलग-अलग व्यक्तित्व, पसंद, नापसंद, मूल्य और लक्ष्य हैं। हममें से प्रत्येक के पास जीवन के प्रति एक अद्वितीय दृष्टिकोण है, जो हमारी परवरिश, संस्कृति, पारिवारिक पृष्ठभूमि और पर्यावरण से आकार लेता है। हमारा आत्म एक सदैव बदलती रहने वाली इकाई है जो बढ़ती है, विकसित होती है और नई स्थितियों और अनुभवों के अनुरूप ढल जाती है।
हमारा भौतिक शरीर हमारे स्वयं का एक हिस्सा मात्र है। इसमें हमारा दिमाग रहता है, जो सोचता है, कल्पना करता है और महसूस करता है। हमारी भावनाएँ, बुद्धि और आत्मा सभी हमारे स्वयं के परस्पर जुड़े हुए और अन्योन्याश्रित हिस्से हैं। हमारे पास यह चुनने की शक्ति है कि हम अपना जीवन कैसे जीना चाहते हैं, हम किन मूल्यों को कायम रखना चाहते हैं और हम कौन से लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं।
स्वयं एक अनमोल उपहार है जिसका पोषण, सम्मान और सुरक्षा की आवश्यकता है। हमारे लिए स्वयं को जानना, अपनी शक्तियों और कमजोरियों को समझना और सूचित निर्णय लेने और खुशहाल, पूर्ण जीवन जीने के लिए आत्म-जागरूकता विकसित करना आवश्यक है। अपने सच्चे स्वरूप को अपनाने और प्यार करने से, हम अपनी पूरी क्षमता को उजागर कर सकते हैं और खुद का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बन सकते हैं। हमारा आत्म वास्तव में एक अनोखी और अद्भुत रचना है जो हमारे प्यार, देखभाल और प्रशंसा का पात्र है।