अकबर और बीरबल की कहानियाँ भारतीय लोककथाओं में हमेशा से एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनमें से एक कहानी है जो बीरबल की न्यायप्रियता की मिसाल पेश करती है। यह कहानी हमें समझाती है कि कैसे बीरबल ने अपनी बुद्धिमानी और चतुराई से न्याय का पालन किया।
कहानी की शुरुआत
एक बार की बात है, बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे। सभी मंत्री और दरबारी अपनी-अपनी सीटों पर प्रतिष्ठित थे। अचानक एक किसान अदालत में आया और रोने लगा। अकबर ने उसे अपने पास बुलाया और पूछा, “क्या समस्या है?”
किसान बोला, “जहांपनाह, मेरा नाम रामू है। मैं एक गरीब किसान हूँ और मेरे पास एक गाय थी जो कि मेरे पूरे परिवार का सहारा थी। लेकिन, आज सुबह वह गाय किसी ने चुरा ली।”
अकबर का आदेश
अकबर ने कहा, “चिंता मत करो, हम तुम्हारी गाय जरूर ढूंढ निकालेंगे।” उन्होंने अपने दरबारियों से इस मामले की जांच करने का आदेश दिया। सभी दरबारी इसके लिए तैयार हो गए, लेकिन बीरबल अभी तक चुप थे।
बीरबल का सुझाव
अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुम क्या सोचते हो? क्या तुम्हारे पास कोई सुझाव है?”
बीरबल ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, “जहांपनाह, मैं इस मामले की तहकीकात करूंगा और गाय को जरूर ढूंढ निकालूंगा। परंतु, इसके लिए मुझे एक बचाव का मौका चाहिए।” अकबर ने सहमति दे दी और बीरबल को केस सौंप दिया।
रोचक जांच प्रक्रिया
अगले दिन बीरबल किसान रामू के गांव पहुंचे और वहां सभी ग्रामीणों को इकट्ठा किया। उन्होंने एक बड़ा सा खंभा मंगवाया और उसे गांव के बीचोंबीच रखवाया। फिर बीरबल ने सभी ग्रामीणों से कहा, “इस खंभे में जादुई शक्तियां हैं। जो भी इस खंभे को छुएगा और अगर वो चोर है तो खंभा जोर से टकराएगा।”
ग्रामीण ये सुनकर काफी हैरान हुए। बीरबल ने सभी से एक-एक करके खंभे को छूने को कहा। एक-एक करके सभी ग्रामीण खंभे के पास गए और उसे छूकर वापस आ गए। जब सब ने खंभा छू लिया तो बीरबल ने घोषणा की, “अब मैं पहचान सकता हूं कि चोर कौन है।”
चोर की पहचान
इसके बाद बीरबल ने सभी के हाथ की ताड़ियां चेक कीं। जब वह रघु नामक एक ग्रामीण के पास पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि उसके हाथ थोड़े अलग थे। बीरबल ने तुरंत उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, “यही है आपकी गाय का चोर।”
ये सुनकर रघु चौंक गया और बोला, “मैंने कुछ नहीं किया!” लेकिन बीरबल ने अकबर को बारीकियों से समझाते हुए कहा, “मैंने सभी से खंभे को छूने को कहा था, लेकिन मैंने खंभे पर काली स्याही लगाई थी। अगर किसी ने खंभे को नहीं छुआ होगा तो उसके हाथ साफ रहेंगे। रघु ने खंभे को छूने की बजाय यह सोचकर अपने हाथ वापस खींच लिए कि उसे चोरी का दोषी नहीं माना जाएगा। इसलिए उसके हाथ साफ हैं।”
अंतिम निर्णय
रघु ने अपने कांड को स्वीकार कर लिया और बताया कि उसने गाय कहां छुपाई है। फिर उस गाय को रामू को लौटा दिया गया। अकबर ने बीरबल की बुद्धिमानी और न्यायप्रियता की खूब प्रशंसा की और कहा, “बीरबल, तुमने एक बार फिर साबित कर दिया कि बुद्धिमानी और चतुराई से सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।”
इस प्रकार, बीरबल ने अपनी अप्रतिम न्यायप्रियता और बुद्धिचातुरता से इस समस्या का समाधान किया और सभी के दिल में अपनी जगह बनाई।