एचआईवी (HIV) और एड्स (AIDS) मौजूदा दुनिया की सबसे गंभीर और घातक बीमारियों में से एक हैं। एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडिफिशिएंसी वायरस) एक प्रकार का वायरस है जो मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) पर हमला करता है, विशेष रूप से सीडी4+ टी कोशिकाओं (CD4+ T cells) को लक्षित करता है। अगर इसका इलाज नहीं किया जाता, तो एचआईवी संक्रमण एड्स (अधिग्रहीत प्रतिरक्षा न्यूनता संलक्षण) में बदल सकता है, जो कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इतना कमजोर कर देता है कि वह किसी भी प्रकार की बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है।
एचआईवी और एड्स का इतिहास
एचआईवी/एड्स का पता सबसे पहले 1981 में अमेरिका में चला। शुरुआती मामलों में विशेष रूप से समलैंगिक पुरुषों में एक नए प्रकार के निमोनिया और कैंसर के रोग देखे गए थे, जिन्हें पहले कभी इस तरह नहीं देखा गया था। इसके बाद विभिन्न अध्ययनों के माध्यम से यह पता चला कि इन मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक कमजोर थी।
1983 में, फ्रांसिसी वैज्ञानिक ल्यूक मोन्टैग्नियर और उनके सहयोगियों ने एचआईवी की खोज की, जो एड्स का मुख्य कारण है। 1984 में, अमेरिकी चिकित्सक रॉबर्ट गैलो ने भी इस वायरस की खोज की पुष्टि की। इसके बाद से पूरी दुनिया में इस वायरस के प्रति जागरुकता बढ़ी और अनेक अध्ययन और अनुसंधान प्रारंभ हुए।
एचआईवी/एड्स के लक्षण
प्रारंभिक लक्षण
एचआईवी के प्रारंभिक लक्षण सामान्यत: संक्रमण के 2-4 हफ्तों के भीतर दिखाई दे सकते हैं, जिन्हें तीव्र रेट्रोवायरल सिंड्रोम (ARS) या प्राथमिक एचआईवी संक्रमण कहा जाता है। इनमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हो सकते हैं:
- बुखार
- सिरदर्द
- थकान
- बिना किसी कारण के वजन में कमी
- गले में खराश
- सूजी हुई लिंफ नोड्स
- चोटीलियों दुर्बलता
दूसरे चरण के लक्षण
शुरुआती चरण के बाद, वायरस शरीर में बिना किसी लक्षण के कई सालों तक मौजूद रह सकता है। इस चरण को क्लिनिकल लेटेंसी या क्रोनिक एचआईवी कहा जाता है। जबकि इस चरण में भी वायरस शरीर में सक्रिय रहता है और धीरे-धीरे प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता रहता है। आमतौर पर इस चरण में किसी प्रकार के विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
एड्स के लक्षण
जब एचआईवी संक्रमण एड्स में बदल जाता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बेहद कमजोर हो जाती है जिससे विभिन्न प्रकार की बीमारियां और संक्रमण सफलतापूर्वक शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इस चरण के लक्षण अधिक गंभीर होते हैं जिनमें शामिल हैं:
- तीव्र और लगातार बुखार
- रात को पसीना आना
- अत्यधिक थकान
- वजन में अत्यधिक कमी
- बार-बार संक्रमण होना
- लिम्फ नोड्स में सूजन
- फेफड़ों में संक्रमण
- त्वचा पर दाने या घाव
- न्यूरोलॉजिकल विकार
एचआईवी/एड्स का निदान
एचआईवी संक्रमण का निदान एक साधारण रक्त परीक्षण के माध्यम से किया जाता है। कई प्रकार के परीक्षण होते हैं, जिनमें एंटिबॉडी परीक्षण, एंटीजन/एंटीबॉडी परीक्षण, और न्यूक्लिक एसिड परीक्षण (NAT) शामिल हैं:
- एंटिबॉडी परीक्षण: यह सबसे सामान्य परीक्षण है और इसमें एचआईवी के प्रति शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होने वाले एंटिबॉडी का पता लगाया जाता है।
- एंटीजन/एंटीबॉडी परीक्षण: यह परीक्षण एचआईवी पृष्ठिभान के प्रोटीन (पी२४ एंटीजन) और एंटीबॉडी, दोनों का पता लगाता है। यह संक्रमित होने के बाद अधिक त्वरित परिणाम देता है।
- न्यूक्लिक एसिड परीक्षण (NAT): यह परीक्षण रक्त में एचआईवी वायरस का पता लगाता है और यह सबसे सटीक परीक्षण होता है। लेकिन यह परीक्षण महंगा होता है और सामान्यत: अन्य परीक्षणों के सकारात्मक परिणाम के बाद ही किया जाता है।
एचआईवी/एड्स का उपचार
वर्तमान में, एचआईवी का कोई उपचार नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) नामक दवाएं उपलब्ध हैं। यह थेरेपी वायरस को प्रतिरक्षा प्रणाली को और अधिक नुकसान पहुंचाने से रोकती है और एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को स्वस्थ और लंबे जीवन जीने में मदद करती है।
एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART)
ART एक संयोजन है जो एचआईवी के प्रतिकृति (reproduction) को रोकता है और इसे विभिन्न उपायों के माध्यम से करता है। यह थेरेपी निम्नलिखित लाभ प्रदान करती है:
- वायरलोड को घटाती है
- प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है
- एचआईवी संक्रमण से संबंधित समस्याओं और सामान्य बीमारियों के जोखिम को कम करती है
- एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के जीवनकाल को बढ़ाती है
ART सामान्यत: एक जीवनभर चलने वाली थेरेपी होती है और नियमित रूप से दवाएं लेने से ही एचआईवी संक्रमण नियंत्रित रह सकता है।
एचआईवी/एड्स की रोकथाम
एचआईवी/एड्स की रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं:
सुरक्षित यौन संबंध
एचआईवी के सबसे आम संक्रमण के स्रोतों में यौन संबंध प्रमुख है। इसलिए हमेशा सुरक्षित और सुचारू यौन संबंध बनाना आवश्यक है। कंडोम का उपयोग, यौन साथी की संख्या सीमित रखना और यौन संचारित रोगों (STD) से बचने के उपाय अपनाना महत्वपूर्ण हैं।
नसों में ड्रग्स का सेवन
ड्रग्स का सेवन साझा सुईयों और सिरिंज के जरिए संक्रमण का एक और महत्वपूर्ण स्रोत है। यह आवश्यक है कि सुई और सिरिंज किसी दूसरे व्यक्ति के साथ साझा न की जाएं और सुई बदल-बदल कर उपयोग की जाएं।
माता से शिशु में संक्रमण
एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला से शिशु में संक्रमण का जोखिम होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को उचित चिकित्सीय मार्गदर्शन लेना चाहिए और एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी का उपयोग करना चाहिए।
स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा
स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए उचित सुरक्षा उपकरण (PPE) का उपयोग करना चाहिए और संक्रमण नियंत्रण के उपायों का पालन करना चाहिए।
एचआईवी/एड्स के सामाजिक और मानसिक प्रभाव
एचआईवी/एड्स केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी व्यापक प्रभाव डालता है। एड्स होने पर व्यक्ति अपने समुदाय में अक्सर बहिष्कृत महसूस करता है, जिसे सामाजिक संघर्ष और मानसिक तनाव के रूप में अनुभव किया जा सकता है।
अधिकतर समाजों में, एचआईवी संक्रमित लोगों को बहिष्कृत माना जाता है और उन्हें नौकरी या शिक्षा के अवसरों से भी वंचित होना पड़ सकता है। यह समस्या और अधिक गंभीर उस समय होती है जब व्यक्ति का आर्थिक और सामाजिक समर्थन नहीं होता।
निष्कर्ष
एचआईवी/एड्स एक गम्भीर समस्या है जो केवल व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी व्यापक प्रभाव डालती है। इसके लिए रोग की पहचान, समय पर उपचार और समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है।
आज की स्थिति में एचआईवी संक्रमण से बचने के कई उपाय उपलब्ध हैं और एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के माध्यम से इसे नियंत्रित भी किया जा सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोग इस समस्या के प्रति समर्पित रहें और सुरक्षित जीवन शैली अपनाएं।