इस article में हमने Hindi Muhavare (हिन्दी मुहावरे) दिए हैं और वह भी आपकी सुविधा के लिए अर्थ और उद्धरण के साथ (With Meaning and Examples). इसके साथ ही हमने यह भी समझाया है कि मुहावरा क्या होता है? (What is Muhavara or Idiom in Hindi?)
मुहावरे (Hindi Idioms)
मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर विशेष अर्थ का बोध कराता है । वाक्य में इसका प्रयोग क्रिया के समान होता है, जैसे- ‘आकाश-पाताल एक करना’ । इस वाक्यांश का सामान्य अर्थ है ‘पृथ्वी और आकाश को मिलाना’ लेकिन ऐसा सम्भव नहीं है । अत: इसका लक्षण शब्द-शक्ति से विशेष अर्थ होगा ‘बहुत परिश्रम करना’ । इसी प्रकार ‘अंगारे बरसना’ का अर्थ होगा ‘बहुत तेज धूप पड़ना’ ।
- अंगूठा दिखाना (मना करना) – जब मैंने अपने मित्र से सहायता मांगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया ।
- अकल का अच्छा होना (बेवकूफ होना) – उसे समझाने की कोशिश करना व्यर्थ है । वह तो पूरा अकल का अँधा है.
- अंग-अंग ढीला होना (थक जाना) – दिन भर परिश्रम करने में मेरा अंग- अंग ढीला हो गया है ।
- अन्धे की लकड़ी (एकमात्र सहारा) – मोहन अपने बूढ़े माता-पिता के लिए अन्धे की लकड़ी है ।
- अन्धे को दीपक दिखाना (नासमझ को उपदेश देना) – भगवान कृष्ण दुर्योधन के धृष्टतापूर्ण व्यवहार से समझ गए थे कि उसे उपदेश देना मधे को दीपक दिखाना है ।
- अपना उन्न सीधा करना (अपना मतलब निकालना) – स्वार्थी मित्रों से बचकर रहना चाहिए । उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना आता है ।
- अकल मारी जाना (घबरा जाना) – प्रश्न-पत्र देखते ही शांति की अकल मारी गई ।
- अकल चरने जाना (सोच-समझकर काम न करना) – बना बनाया मकान तुड़वा रहे हो, इसे बनवाते समय क्या तुम्हारी अकल चरने गई थी ।
- अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) – अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होता इसलिए सब से मिल-जुलकर रहना चाहिए ।
- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी तारीफ खुद करना) – वीर अपने मुँह मियाँ मिट्ठू नहीं बनने वे तो वीरता दिखाते हैं.
- आँख उठाना (नुकसान पहुँचाना) – यदि तुमने मेरी ओर आँख उठा कर देखा तो मुझ से बुरा कोई न होगा ।
- आँखें चार होना (आमने-सामने होना) – पुलिस से आँखें चार होते ही चोर घबरा गया ।
- आँखें चुराना (नजर बचाना) – सुरेश ने कृष्ण से सौ रुपए उधार लिए थे । अब उसे देखते ही उस से आँखें चुराने लगता है ।
- आँखें दिखाना (क्रोध करना) – कक्षा में शोर सुनकर जैसे ही अध्यापक ने आँखें दिखाई कि सब चुप हो गए ।
- आँखें फेरना (प्रतिकूल होना) – मतलबी लोग अपना काम होते ही आँखें फेर लेते हैं ।
- आँखें खुलना (अकल आना) – कुणाल को समझाने से कोई लाभ नहीं है जब उसे ठोकर लगेगी तो उसकी आँखेंखुल जाएंगी ।
- आँखों का तारा (बहुत प्यारा) – राम दशरथ की आँखों के तारे थे ।
- आँखों में खटकना (बुरा लगना) – अनुशासनहीन बच्चे सब की आँखों में खटकते हैं ।
- आँच न आने देना (नुकसान न होने देना) – माँ अपनी सन्तान पर आँच नहीं आने देती ।
- कान खा लेना (किसी बात को बार-बार कहना) – सुचित्रा ने सुबह से पिकनिक पर जाने की रट लगाकर अपनी माता के कान खा लिए ।
- कान पर जूँ न रेंगना (कोई असर नहीं होना) – रजनी को चाहे कितना भी समझाते हो उसके कान पर जूँ नहीं रेंगती है.
- कान में पड़ना (सुनाई देना) – चिल्ला क्यों रहे हो, तुम्हारी बातें मेरे कान में पड़ रही हैं ।
- कानों को हाथ लगाना (तौबा करना) – कानों को हाथ लगाकर कहती हूँ कि अब कभी झूठ नहीं बोलूंगी।
- गड़े मुर्दे उखाड़ना (बीती हुई बातों को कहना) – रवि वर्तमान की बात नहीं करता, हमेशा गड़े मुर्दे उखाड़ता रहता है
- गागर में सागर भरना बड़ी बात थोड़े से शब्दों से कहना) – बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है ।
- गुदड़ी का लाल (सामान्य परन्तु गुणी) – सतीश एक गरीबी रिक्शेवालों का पुत्र था लेकिन उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सिद्ध कर दिया है कि वह तो गुदड़ी का लाल है ।
- घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखी करना) – महंगाई के इस युग में निर्धन कर्मचारियों के भत्ते बन्द करना घाव पर नमक छिड़कना है ।
- घी के दिये जलाना (बहुत प्रसन्न होना) – अपने सैनिकों की विजय का समाचार सुनकर भारतवासियों ने घी के दिये जलाए ।
- चादर के बाहर पैर पसारना (आय से अधिक खर्च करना) – चादर के बाहर पैर पसारने वाले लोग सदा दुःखी रहते है ।
- चूड़ियाँ पहनना (कायर) – जो सैनिक युद्ध में जाने से डरते हैं, उन्हें घर में चूड़ियाँ पहन कर बैठना चाहिए ।
- चोली-दामन का साथ (सदा साथ रहना) – राम शाम चाहे कितना झगड़ा कर लें फिर भी उनमें चोली दामन का साथ है क्योंकि वे एक-दृस्रे के बिना रह नहीं सकते ।
- छोटा मुँह बड़ी बात (अपनी हैसियत से बढ्कर बात करना) – चींटी ने कहा मैं हाथी को मार दूँगी । उस का ऐसा कहना तो छोटा मुँह बड़ी बात है ।
- टस से मस न होना (परवाह नहीं करना) – शिव को कितना भी समझाओ कि बुरे लोगों का साथ नहीं करो, परन्तु वह तो टस से मस नहीं होता और उन्हीं लोगों का साथ करता है ।
- दिन फिरना (भाग्य बदलना) – कभी दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि सबके दिन फिरते हैं ।
- धूप में बाल सफेद न होना (अनुभवी होना) – देखो, मेरा कहना मान लो, मैंने धूप में बाल सफेद नहीं किए ।
- निन्यानवे के फेर में पड़ना (असमंजस में पड़ना) – निन्यानवे के फेर में पड़कर मनुष्य का जीवन दुखी हो जाता है ।
- पगड़ी उछालना (अपमान करना) – बड़ों की पगड़ी उछालना बुरी बात है ।
- पत्थर की लकीर होना (पक्की बात होना) – सरदार पटेल का कहना पत्थर की लकीर होता था ।
- पाँचों उंगलियाँ घी में होना (बहुत लाभ होना) – वस्तुओं के भाव चढ़ जाने से व्यापारियों की पाँचों उंगलियाँ घी में होती हैं ।
- भीगी बिल्ली बनना (भयभीत हो जाना) – पुलिस को देखते ही चोर भीगी बिल्ली बन गया ।
- भैंस के आगे बीन बजाना (समझाने पर भी कोई प्रभाव न होना) – नशे वाले को कितना भी नशा छोड़ने के लिए कहो उसके सामने सब कुछ कहना तो भैंस के आगे बीन बजाने जैसा ही होता है ।
- मिट्टी का माधो (कुछ न करने वाला) – जतिन बिलकुल मिट्टी का माधो है, उसे कितना ही समझाओ उस पर कोई असर नहीं होता ।
- फूँक-फूँक कर कदम रखना (सावधानी से काम करना) – आजकल सब काम करने से पहले फूँक-फूँक कर कदम रखने चहिए ।
- बगलें झोंकना (जवाब न दे सकना) – अध्यापक के प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकने पर सुखबीर बगलें झाँकने लगा ।
- लगा में भंग डालना (आनंद में बाधा) – इतना अच्छा मैच हो रहा था कि वर्षा ने रंग में भंग डाल दिया ।
- लोहा लेना (डट कर टक्कर लेना) – चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस से लोहा लिया और बहुमत से विजय प्राप्त की ।
- श्री गणेश करना (प्रारम्भ करना) – परीक्षाओं के सिर पर आते ही रमन ने पड़ने का श्रीगणेश कर दिया ।
- हक्का-बक्का रहना (आश्चर्य चकित होना) – अपने शत्रु को अपने घर आया देखकर मनजीत हक्का-बक्का रह गया ।
- हाथ मलते रह जाना (पछताना) -सारा साल इन्द्रजीत पढ़ी नहीं । परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाने पर हाथ मलते रह गई ।
- हाथों के तोते उड़ जाना (बहुत व्याकुल तथा शोकग्रस्त होना) -पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर उसके हाथों के तोते उड़ गए ।
- ज़रूर पढ़ें: Hindi Muhavare – 3400+ हिन्दी मुहावरे
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मान्यवर,
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धन्यवाद सहित,
शेखर बनर्जी
Very helpful